पटना: जातीय गनगणना पर नीतीश सरकार को बड़ी राहत मिली है. बिहार सरकार जनगणना करा सकेगी. पटना हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है. कोर्ट ने विरोधियों की सभी 6 याचिकाएं खारिज कर दी है. हालांकि कोर्ट ने इसे जनगणना की तरह नहीं, बल्कि सर्वे की तरह कराने की सरकार को मंजूरी दी है. हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के विनोद चंद्रन ने यह फैसला सुनाया. वहीं याचिकाकर्ता के वकील दीनू कुमार ने कहा कि इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जाएगी.
बिहार में जातीय गणना का आदेश जारी : बिहार में जातीय गणना के मामले में पटना हाई कोर्ट ने बिहार सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया है. अदालत के इस फैसले के बाद सरकार ने जाति आधारित गणना कराने को लेकर आदेश जारी कर दिया. सभी जिलों के जिलाधिकारी (DM) को भेजे गए आदेश में कहा गया कि बिहार में जाति आधारित गणना 2022 को फिर से शुरू किया जाय.
रोक लगाने वाली सभी याचिकाएं खारिज : पटना हाईकोर्ट ने जातीय जनगणना के विरुद्ध दायर सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया है. अब बिहार सरकार प्रदेश में जातीय जनगणना करा सकती है. बता दें कि इससे पहले 3 जुलाई 2023 से लगातार पांच दिनों तक कोर्ट में मामले की सुनवाई हुई. पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के वी चंद्रन की खंडपीठ ने फैसला सुरक्षित रख लिया था और आज कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है.
'फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएंगे' : वहीं इस मामले में याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि फैसले की कॉपी देखकर पता चलेगा कि आखिर कोर्ट ने इस तरह का फैसला क्यों सुनाया है. इस फैसले के खिलाफ हम सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करेंगे. हमारी सारी याचिकाएं खारिज कर दी गई हैं.
हाई कोर्ट के फैसले पर किसने क्या कहा? : वहीं जेडीयू और आरजेडी ने पटना हाईकोर्ट के फैसले का स्वागत किया है. महागठबंधन के नेताओं का कहना है कि इस सर्वे से जनता का कल्याण होगा. साथ ही नीतीश कुमार के इस फैसले से बिहार के अलावा दूसरे राज्यों में भी जातीय गणना का मार्ग प्रशस्त होगा.
"राजनीतिक तिकड़म करने वाले लोग जाति सर्वे को अपरोक्ष रूप से रोकने की खतरनाक साजिश कर रहे थे. पटना हाईकोर्ट ने दूषित मंशा वाले याचिका को निरस्त किया और जातीय गणना का मार्ग प्रशस्त किया है. नीतीश कुमार द्वारा लिया गया जातीय गणना का फैसला बिहार और दूसरे राज्यों के लिए नजीर बनेगा."- नीरज कुमार, प्रवक्ता, जेडीयू
"बिहार में जातीय गणना कराने पर पटना हाईकोर्ट की सहमति का हम स्वागत करते हैं.यह ऐतिहासिक फैसला है. गरीबों शोषितों और वंचितों के अधिकार और सम्मान देने के बिहार सरकार के फैसले को गति मिलेगी."- एजाज अहमद, प्रवक्ता, आरजेडी
जातीय गणना पर कब क्या हुआ?: नीतीश कुमार की सरकार ने बिहार में जातीय गणना पिछले साल ही शुरू कराने का निर्णय लिया था. 9 जून 2022 को बिहार सरकार की ओर से जाति आधारित गणना कराने की अधिसूचना जारी की गई थी. सरकार की ओर से कैबिनेट में 500 करोड़ की स्वीकृति दी गई थी. 7 जनवरी 2023 से बिहार में जातीय गणना की प्रक्रिया शुरू हुई थी, दूसरे चरण का कार्य 15 अप्रैल से शुरू हुआ और 15 मई तक इसे पूरा करना था.
पटना HC ने लगाई थी रोक: पटना हाईकोर्ट ने अंतरिम आदेश देते हुए राज्य सरकार के द्वारा की जा रही जातीय व आर्थिक सर्वेक्षण पर रोक लगा दी थी. कोर्ट ने इस पर रोक लगा कर जानना चाहा था कि क्या जातियों के आधार पर गणना व आर्थित सर्वेक्षण कराना कानूनी बाध्यता है. कोर्ट के द्वारा ये भी पूछा गया था कि ये अधिकार राज्य सरकार के क्षेत्राधिकार में आता है या नहीं. साथ ही कोर्ट ने पूछा था कि क्या इससे आम नागरिक के निजता का उल्लंघन होगा या नही.
सुप्रीम कोर्ट भी गई थी सरकार: पटना हाईकोर्ट के रोक के बाद बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी थी. कोर्ट ने कहा था कि पटना हाईकोर्ट ने मामले पर फैसला सुरक्षित रख लिया है इसलिए सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई का कोई मतलब नहीं है.
पटना HC में सुनवाई, अंतिम दिन सरकार की दलील: जातीय जनगणना पर बिहार सरकार के महाधिवक्ता पीके शाही ने सुनवाई के अंतिम दिन कोर्ट को बताया था कि 'यह सिर्फ एक सर्वेक्षण है. इसका मकसद आम जनता के बारे में सामाजिक अध्ययन के लिए आंकड़े जुटाना है. इसका उपयोग आम लोगों के कल्याण और हित के लिए किया जाएगा. ऐसा सर्वेक्षण राज्य सरका के अधिकार क्षेत्र में है. इस सर्वेक्षण से किसी की निजता का उल्लंघन नहीं हो रहा है.