नई दिल्ली : राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की अदालत ने तीन आरोपियों को केरल वालपट्टनम में प्रतिबंधित आतंकी संगठन आईएसआईएस से जुड़े होना का दोषी ठहराया है. अदालत 15 जुलाई को इनकी सजा का ऐलान करेगी. बता दें कि अदालत ने मिदलाज, अब्दुल रजाक और हमसा को एक आतंकवादी संगठन में सदस्यता से संबंधित अपराधों, एक आतंकवादी संगठन को समर्थन देने, आपराधिक साजिश, और गैरकानूनी गतिविधियों की रोकथाम के तहत दोषी पाया है.
एनआईए ने कहा कि ये लोग सीरिया में आईएसआईएस / दाइश में शामिल होने के लिए भारत से बाहर जाने का प्रयास कर रहे थे. इस संबंध में शुरू में केरल के वालपट्टनम में अक्टूबर 2017 को एनआईए ने प्राथमिकी दर्ज की थी लेकिन 12 दिसंबर, 2017 को मामले को अपने हाथ में ले लिया था. जांच एजेंसी के सूत्रों ने बताया कि केरल में आईएसआईएस के साथ स्थानीय युवकों और गिरोहों के संबंध को लेकर कई अन्य जांच चल रही है. कई मौकों पर, केरल इस तथ्य के बाद पहले ही सुर्खियों में आ चुका है कि राज्य के कई स्थानीय युवक कथित तौर पर इस्लामिक आतंकवादी संगठन में शामिल हो गए हैं. इसके अलावा एनआईए ने पहले कई मौकों पर आईएसआईएस में शामिल होने के प्रयास के लिए कई युवाओं को गिरफ्तार किया था.
बताया जाता है कि सुनवाई के दौरान मिदिलाज और अब्दुल रजाक ने अदालत से नरमी का अनुरोध करते हुए दावा किया कि उनके परिवार के सदस्य उन पर निर्भर हैं और उनके घर में बुजुर्ग माता-पिता हैं. जबकि हमसा ने कहा कि उन्होंने कट्टरपंथी विचारधारा को छोड़ दिया है. उन्होंने कहा कि उन्हें अब आईएस की विचारधारा का पालन करने का पछतावा है और उन्होंने सीखा कि सभी लोग समान हैं. हालांकि, अभियोजन पक्ष ने कहा कि आरोपी व्यक्तियों के साथ कोई नरमी नहीं बरती जानी चाहिए और उन्हें उस अपराध के लिए अधिकतम सजा दी जानी चाहिए जिसमें वे शामिल थे. अभियोजन पक्ष ने कहा कि दोषी व्यक्तियों के प्रति किसी भी तरह की नरमी समाज को गलत संदेश देगी. 2016 में कन्नूर के विभिन्न हिस्सों से लगभग 15 लोगों के आईएस में शामिल होने के बाद केरल पुलिस ने 2017 में मामला दर्ज किया था.
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