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मानवाधिकार आयोग ने जारी की दुष्कर्म मामलों में एसओपी

अक्सर महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराध जैसे बलात्कार और उनके यौन शोषण के मामलों को सुलझाने में धीमी मेडिकल प्रक्रिया और भी अड़चनें डाल देती हैं. इस प्रक्रिया को और भी लचीला और दुरुस्त करने के लिए एनएचआरसी ने एक एसओपी तैयार किया है. जानें, क्या हैं इसके मायने और किस तरह यह दुष्कर्म के मामलों को सुलझाने में मददगार साबित हो सकता है...

बलात्कार के मामलों में एनएचआरसी ने जारी की एसओपी
बलात्कार के मामलों में एनएचआरसी ने जारी की एसओपी
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Published : Dec 16, 2020, 3:58 PM IST

नई दिल्ली : राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने महिलाओं के साथ होने वाले यौन उत्पीड़न के मामलों में सजा के लिए प्रभावी अभियोजन सुनिश्चित करने के लिए वैज्ञानिक और फॉरेंसिक सबूतों के संग्रह और प्रसंस्करण पर एक 'मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी)' तैयार किया है.

चिकित्सा विशेषज्ञों के परामर्श से तैयार एसओपी को कार्यान्वयन के लिए सभी संबंधित अधिकारी को निर्देश जारी करने के लिए राज्यों / संघ राज्य क्षेत्रों को भेजा गया है.

एसओपी प्रमुख परिचालन प्रक्रियाओं के सात वर्गों में विभाजित की गई है. यह वर्ग हैंः पीड़ितों की देखभाल, मुस्तैदी और परीक्षा, नमूनों का संग्रह, रक्त और मूत्र के नमूनों का संग्रह, जननांग और गुदा साक्ष्य, एफएसएल और जनरल सैंपल्स को हैंडल करना.

आयोग इस एसओपी के साथ सामने आया है, जिसमें देखा गया है कि कथित बलात्कार और यौन उत्पीड़न के कई मामलों में फॉरेंसिक सबूतों की मेडिकल जांच, उनके संग्रह और इससे जुड़े अहम कार्यों में काफी देरी हो जाती है.

मेडिकल जांच के नमूनों को फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी, एफएसएल को बहुत देरी के बाद भेजा जाता है और तब तक यह नमूने खराब हो जाते हैं और परीक्षण के लिए उपयुक्त नहीं रह जाते.

पढ़ें : महिला अपराध के खिलाफ सिर्फ सख्त दिशानिर्देश या होगी कार्रवाई

यह देरी जांच को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करती है, जिससे मामले सुलझने में बहुत देर हो जाती है या फिर कभी-कभी यह सुलझ ही नहीं पाते.

यह मानक संचालन प्रक्रिया अगर संबंधित अधिकारियों द्वारा लागू कर दी जाती है, तो देशभर में महिलाओं पर यौन उत्पीड़न के मामलों में मेडिकल जांच की प्रणाली को बेहतर बनाने में मदद कर सकती है.

नई दिल्ली : राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने महिलाओं के साथ होने वाले यौन उत्पीड़न के मामलों में सजा के लिए प्रभावी अभियोजन सुनिश्चित करने के लिए वैज्ञानिक और फॉरेंसिक सबूतों के संग्रह और प्रसंस्करण पर एक 'मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी)' तैयार किया है.

चिकित्सा विशेषज्ञों के परामर्श से तैयार एसओपी को कार्यान्वयन के लिए सभी संबंधित अधिकारी को निर्देश जारी करने के लिए राज्यों / संघ राज्य क्षेत्रों को भेजा गया है.

एसओपी प्रमुख परिचालन प्रक्रियाओं के सात वर्गों में विभाजित की गई है. यह वर्ग हैंः पीड़ितों की देखभाल, मुस्तैदी और परीक्षा, नमूनों का संग्रह, रक्त और मूत्र के नमूनों का संग्रह, जननांग और गुदा साक्ष्य, एफएसएल और जनरल सैंपल्स को हैंडल करना.

आयोग इस एसओपी के साथ सामने आया है, जिसमें देखा गया है कि कथित बलात्कार और यौन उत्पीड़न के कई मामलों में फॉरेंसिक सबूतों की मेडिकल जांच, उनके संग्रह और इससे जुड़े अहम कार्यों में काफी देरी हो जाती है.

मेडिकल जांच के नमूनों को फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी, एफएसएल को बहुत देरी के बाद भेजा जाता है और तब तक यह नमूने खराब हो जाते हैं और परीक्षण के लिए उपयुक्त नहीं रह जाते.

पढ़ें : महिला अपराध के खिलाफ सिर्फ सख्त दिशानिर्देश या होगी कार्रवाई

यह देरी जांच को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करती है, जिससे मामले सुलझने में बहुत देर हो जाती है या फिर कभी-कभी यह सुलझ ही नहीं पाते.

यह मानक संचालन प्रक्रिया अगर संबंधित अधिकारियों द्वारा लागू कर दी जाती है, तो देशभर में महिलाओं पर यौन उत्पीड़न के मामलों में मेडिकल जांच की प्रणाली को बेहतर बनाने में मदद कर सकती है.

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