आगरा: नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) और उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) ने एक बार फिर आगरा विकास प्राधिकरण (एडीए) की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए हैं. एनजीटी ने शमसाबाद रोड स्थित नालंदा टाउन कॉलोनी मामले में सख्त लहजे में कार्रवाई के निर्देश दिए हैं. एनजीटी ने नालंदा टाउन कॉलोनी में सीवर ट्रीटमेंट प्लांट नहीं होने और खुले में सीवर बहने पर एडीए पर दो करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है क्योंकि, बिल्डर ने सीवर ट्रीटमेंट का कोई इंतजाम नहीं किया था इसलिए, रोजाना करीब 1.45 लाख लीटर सीवेज खुले में बह रहा है. इधर, यूपीपीसीबी ने बिल्डर पर लगी जुर्माना राशि जमा नहीं अदा करने पर आरसी जारी करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है.
बता दें कि खुले में सीवर बहने और गंदगी की वजह से नालंदा टाउन और आसपास की कॉलोनियों की जनता ने सुनवाई नहीं होने पर एनटीजी की शरण ली थी. इस पर एनजीटी ने सुनवाई की एडीए के खिलाफ 25 लाख रुपये का जुर्माना लगाया और सीवर ट्रीटमेंट ठीक करने के आदेश दिए थे. एनजीटी ने एडीए को आदेश दिए हैं कि बिना बुनियादी सुविधाएं विकसित किसी भी आवासीय योजना को अनुमति न दी जाए. इसके साथ ही नालंदा टाउन प्रकरण में फिर से 18 जनवरी को एनजीटी चेयरमैन आदर्श कुमार गोयल, जज सुधीर कुमार और विशेषज्ञ सदस्य सैंथिल वेल की पीठ ने सुनवाई की. इसमें एडीए की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए गए और दो करोड़ रुपये का जुर्माना एडीए पर लगाया गया है. विभाग को जुर्माना पूर्व में लगाए 25 लाख रुपये जुर्माने के अतिरिक्त देना होगा. आदेश में स्पष्ट लिखा है कि बिल्डर से वसूल की जाने वाली धनराशि का उपयोग भी पर्यावरण की क्षतिपूर्ति के लिए किया जाए. एनजीटी की ओर से जारी किए गए जुर्माने पर एडीए उपाध्यक्ष चर्चित गौड ने बताया कि इस मामले में पहले विधिक राय लेंगे.
बिल्डर के खिलाफ आरसी जारी होगी
बता दें कि एनजीटी के आदेश पर बिल्डर राधेश्याम शर्मा के खिलाफ थाना ताजगंज में मुकदमा दर्ज कराया था. अब इसी मामले में पर्यावरण की क्षति पहुंचाने पर उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने डेवलपर राधेश्याम शर्मा पर 2.13 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था. इसकी वसूली नहीं होने पर अब यूपीपीसीबी ने बिल्डर राधेश्याम शर्मा के खिलाफ रिकवरी के लिए आरसी जारी करके वसूली प्रक्रिया शुरू कर दी है.
शमसाबाद रोड की 62 कॉलोनियां हैं प्रभावित
सीवेज और ड्रेनेज की समस्या से शमसाबाद रोड की छोटी-बड़ी करीब 62 कॉलोनियां प्रभावित हैं. इस बारे में याचिकाकर्ता ने कॉलोनी के लोगों के शपथपत्र की एक सूची एनजीटी में दाखिल की है. इसमें मौजा बरौली अहीर क्षेत्र की करीब 42 कॉलोनियां और मौजा रजरई की करीब 20 कॉलोनियों का जिक्र किया है. यहां पर सीवेज ट्रीटमेंट की व्यवस्था नहीं है.
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