नई दिल्ली : राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने एक नई समिति का गठन करके उसे उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में बूचड़खानों और चमड़े के कारखानों से हो रहे प्रदूषण पर एक रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए हैं. अधिकरण के अध्यक्ष न्यायाधीश आदर्श कुमार गोयल की अगुवाई वाली पीठ ने इकाइयों के संचालन में अनेक कमियां पाईं,जिनमें गाजियाबाद के कुछ इलाकों में अवैध तरीके से भूजल निकालना शामिल है.
पीठ ने कहा,'तदनुसार हम केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड(सीपीसीबी),राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एसपीसीबी),केन्द्रीय भूजल प्राधिकरण (सीजीडब्ल्यूए)और गाजियाबाद के जिला मजिस्ट्रेट की चार सदस्यीय संयुक्त समिति गठित करते हैं,जो एक माह के भीतर उक्त स्थान पर जाएगी और उसके एक माह के भीतर अपनी रिपोर्ट तैयार करेगी. एसपीसीबी समन्वय और अनुपालन के लिए नोडल एजेंसी होगी.'
पीठ ने कहा कि रिपोर्ट में दर्ज मानकों के संदर्भ में अनुपालन स्थिति, निस्तारण का तरीका, डासना नाला जो कि हिंडन नदी में गिरता है उसमें गंदा पानी जाने की अनुमति देने के कारण,यदि अपशिष्ट का उपयोग बागवानी अथवा सिंचाई के लिए किया जाता है तो सीपीसीबी के दिशा-निर्देशों का अनुपालन, गाजियाबाद ब्लॉक के ‘अत्यधिक शोषित’ होने को देखते हुए भूजल की अनुमति और अन्य मुद्दों का जिक्र होना चाहिए.'
पीठ ने कार्रवाई रिपोर्ट तीन माह के भीतर पेश करने के निर्देश दिए हैं. पीठ ने कहा,'अगर आवेदक अथवा कोई अन्य पक्ष असहमत है तो वह कानून के अनुरूप कदम उठाने के लिए स्वतंत्र हैं.'
हरित अधिकरण ने कहा कि चूंकि पहली रिपेार्ट में ताजा स्थिति का विवरण नहीं है ,इसलिए इसे दिखाना जरूरी है. इससे पहले की समिति में सीपीसीबी, आईआईटी दिल्ली और एनईईआरआई के अधिकारी शामिल थे.
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अधिकरण गाजियाबाद में इंटरनेशनल एग्रो फूड फैक्टरी, साबू साकिर मीट फैक्टरी, करण फ्रोजन फूड्स, जेएमडी मीट फैक्टरी, अल-नफीस फ्रोजन फूड एक्सपोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड ,ईगल कॉन्टिनेंटल फूड्स प्राइवेट लिमिटेड और एक्सक्लूसिव लेदर / त्रियश एंटरप्राइजेज द्वारा संचालित बूचड़खानों और चमड़ा कारखानों के संचालन से होने वाले प्रदूषण के खिलाफ अधिवक्ता अश्विनी कुमार द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा था.
अधिवक्ता सुमीर सोढ़ी की ओर से दायर याचिका अधिकरण में करीब पांच साल से लंबित है.
(पीटीआई-भाषा)