नई दिल्ली : राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने रविवार को कहा कि ऐसे खाद्य पदार्थ जो जलवायु परिवर्तन की समस्या को बढ़ाते हों उनसे दूरी बनाने की जरूरत है साथ ही ऐसे सेहतमंद खाद्य पदार्थों को अपनाने की जरूरत है जो प्रकृति को किसी प्रकार का नुकसान नहीं पहुंचाते हों. राष्ट्रपति राष्ट्रीय राजधानी में तीन दिवसीय 'वर्ल्ड फूड इंडिया' कार्यक्रम (तीन से पांच नवंबर) के समापन सत्र को संबोधित कर रही थीं.
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Food remains one of the basic necessities of life for every human being. It is distressing indeed to realise that a substantial number of human beings go to bed on an empty stomach in many parts of the world. This puts a strain on the great economic and technological progress… pic.twitter.com/0Xmvwz8lvj
— President of India (@rashtrapatibhvn) November 5, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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उन्होंने कहा, 'हम जो खाते हैं हमें उसके पर्यावरणीय मूल्य को भी ध्यान में रखना चाहिए. पिछली पीढ़ियों को इस संदर्भ में चिंता करने की जरूरत नहीं थी.' मुर्मू ने कहा, 'वक्त आ गया है कि हम अपने खाद्य पदार्थों का चयन इस प्रकार से करें कि उससे प्रकृति को किसी प्रकार का नुकसान नहीं पहुंचे.'
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India’s fast-growing economy offers a large market. Moreover, its rich knowledge base of agricultural and food processing offers lessons for our times. I have in mind millets, which had nourished generations and generations but were getting forgotten in cities and have now been… pic.twitter.com/uAjFtD55ps
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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि ऐसे खाद्य पदार्थ जो जलवायु परिवर्तन की समस्या को बढ़ाते हों उनसे दूरी बनाने की जरूरत है साथ ही ऐसे सेहतमंद खाद्य पदार्थों को अपनाने की जरूरत है जो प्रकृति को किसी प्रकार का नुकसान नहीं पहुंचाते हों खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री पशुपति कुमार पारस ने कहा कि इस क्षेत्र में काफी संभावनाएं हैं. उन्होंने कहा कि भारत के कुल कृषि निर्यात में खाद्य प्रसंस्करण का योगदान 75 प्रतिशत है.
पारस ने कहा कि तीन दिवसीय कार्यक्रम के दौरान लगभग 35,000 करोड़ रुपये के निवेश के लिए समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए, उन्होंने कहा कि यह कार्यक्रम सभी पक्षकारों के प्रयासों से सफल रहा है. 'वर्ल्ड फूड इंडिया' के पहले दिन खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय और विभिन्न संस्थाओं के बीच कुल 16 समझौता ज्ञापनों (एमओयू) पर हस्ताक्षर हुए. इनमें लगभग 17,990 करोड़ रुपये का निवेश हुआ.
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