नई दिल्ली : अखिल भारतीय कानूनी जागरूकता कार्यक्रम का शुभारंभ आज वाराणसी में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति यूयू ललित और राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और अन्य गणमान्य लाेगाें की उपस्थिति में किया.
न्यायमूर्ति यू यू ललित ने अपने संबोधन में महिला सशक्तीकरण को बढ़ावा देने में कानूनी जागरूकता कार्यक्रमों के महत्व का उल्लेख किया.
उन्हाेंने कहा कि ऐसे जागरूकता कार्यक्रमों के माध्यम से महिलाओं काे मजबूती मिलेगी. मुझे यह कहते हुए बहुत गर्व हो रहा है कि राष्ट्रीय महिला आयोग के सहयोग से नालसा महिलाओं के लिए जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन कर रहा है. शुरू में हम उन शिक्षकों को प्रशिक्षण दे रहे हैं जो समाज के विभिन्न वर्गों में महिलाओं को प्रशिक्षण देंगे और उन्हें उनके कानूनी अधिकारों के बारे में जागरूक करेंगे.
आयाेग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने कहा कि समाज का एक बड़ा वर्ग अभी भी उनके लिए उपलब्ध सुविधाओं से अनजान है. देश के सभी जिलों में संविधान द्वारा महिलाओं काे दिए गए अधिकारों और स्थिति को ठीक करने या उनका उल्लंघन होने पर न्याय पाने की प्रक्रिया के बारे में जागरूक करना अत्यंत आवश्यक हो गया है.
उन्हाेंने कहा कि महिलाओं के लिए यह जरूरी हो गया है कि वे संविधान द्वारा उन्हें दिए गए अधिकारों और स्थिति को सुधारने या उनका उल्लंघन होने पर न्याय पाने की प्रक्रिया के बारे में जागरूक हों.
उन्हाेंने कहा कि आयाेग NALSA के सहयोग से हर महिला में इस तरह की जागरूकता फैलाने के लिए अथक प्रयास कर रहा है. कार्यक्रम का उद्देश्य देश भर के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को इस तरह की नियमित सत्रों का आयाेजन किया जाए ताकि महिलाओं को उनकी शिकायतों के निवारण के लिए उपलब्ध न्याय प्रणाली से अवगत कराया जा सके.
यह भारतीय दंड संहिता सहित विभिन्न कानूनों के तहत महिलाओं और लड़कियों को उनके अधिकारों के बारे में जागरूक करेगी.
आपकाे बता दें कि आयोग ने 15 अगस्त, 2020 को जमीनी स्तर पर महिलाओं के लिए नालसा के सहयोग से एक पायलट परियोजना 'कानूनी जागरूकता कार्यक्रम' शुरू किया था. पायलट परियोजना के तहत देश के 8 राज्यों, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, राजस्थान, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और असम के सभी जिलों को शामिल किया गया था.
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