जमशेदपुर : झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिले के अति नक्सल प्रभावित क्षेत्र पटमदा के झुंझका गांव में एक जमाने में नक्सलियों की तूती में ग्रामीण जीवन जीने को मजबूर थे. कुछ समय बाद हालात बदले, कानून-व्यवस्था हर हाल में कायम रखने को लेकर पुलिस और अर्द्धसैनिक बलों की गश्ती से नक्सलियों के पांव इस इलाके से उखड़ने लगे हैं. प्रशासन के चुस्त-दुरुस्त रवैये से यहां के लोगों में भी सरकार और पुलिस के प्रति विश्वास जगा है.
झुंझका गांव जंगलों और पहाड़ों से घिरा है. पश्चिम बंगाल से बिल्कुल सटे होने की वजह से नक्सलियों का पनाहगाह भी माना जाता है. एक दशक पूर्व नक्सलियों ने इस क्षेत्र में अपनी धमक जमाने के बाद संगठन का विस्तार करते हुए गांव के युवकों को डरा धमका कर दस्ते में शामिल किया.
ऐसे ही युवकों में से आठवीं कक्षा तक की पढ़ाई पूरी कर चुका मेधावी छात्र राम प्रसाद शामिल था, जिसे परिवार के लोग सचिन कहकर बुलाते थे. आज वही सचिन नक्सली दस्ते का एरिया कमांडर बन चुका है, जो सरकार और प्रशासन के लिए चुनौती बना हुआ है.
मां की पुकार- घर आ जा बेटा
नक्सली वारदातों को अंजाम देकर सचिन ने तेजी से संगठन में पैर पसारना शुरू कर दिया. झारखंड सरकार ने सचिन पर 15 लाख रुपये इनाम की घोषणा की है. जमशेदपुर के सांसद सुनील महतो की हत्या में भी सचिन का नाम आया था.
नक्सली सचिन के पिता कहते हैं कि सचिन पटमदा के हाई स्कूल में पढ़ाई करता था, पढ़ने लिखने में तेज-तर्रार था. अचानक एक दिन घर से लापता हो गया. कुछ दिनों के बाद खबर मिली कि बेटा नक्सलियों के साथ मिलकर जंगल में रह रहा है. सचिन के पिता ने अपील की है कि उम्र के इस पड़ाव में सचिन नक्सली दस्ते को छोड़कर मुख्यधारा के साथ जुड़ जाए.
नक्सली सचिन के छोटे भाई कहते हैं कि असीम मंडल उर्फ आकाश दस्ता, जिसपर झारखंड सरकार ने एक करोड़ रुपये का इनाम रखा है. वह एक बार अपने साथियों के साथ झुंझका गांव में मिलने आया था. नक्सली असीम मंडल नहीं चाहता है कि सचिन कभी-भी परिवार वालों से मिले. सचिन की मां कहती है कि अब उम्र हो चली है, एक बार बेटे को देखने की इच्छा है, सचिन घर लौट के आ जा.
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पुलिस की अपील
नक्सली सचिन के घर दो साल पहले एक बिटिया ने जन्म लिया है. सचिन के छोटे भाई की पत्नी गुहार लगाती है कि भैया अब हमारे साथ रहने आ जाइए, समाज की मुख्यधारा से जुड़कर कुछ समय अपने परिवार वालों के संग बिताइए.
पूर्वी सिंहभूम जिले के ग्रामीण एसपी सुभाषचंद्र जाट बताते हैं कि नक्सलियों के डर से कभी इस गांव के ग्रामीण पलायन किया करते थे, पुलिस और ग्रामीणों के संबंध के बाद ग्रामीण खुशहाली से जीवन जी रहे हैं. सचिन के आत्मसमर्पण से यहां के युवाओं को बेहतर जिंदगी मिलेगी.