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सूर्य और चंद्र ग्रहण के साथ हो रही Navratri 2023 की शुरुआत, जानिए कब और कहां दिखेगा ग्रहण

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 11, 2023, 7:30 PM IST

Updated : Oct 11, 2023, 9:49 PM IST

नवरात्र 2023 की शुरुआत और अंत में विशेष खगोलीय घटना होने वाली है. Navratri 2023 की शुरुआत में सूर्य ग्रहण (Solar Eclipse 2023) और अंत में चंद्र ग्रहण (Lunar Eclipse 2023) पड़ रहा है. आईए जानते हैं सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण भारत में दिखेगा या नहीं और दिखेगा तो कब दिखेगा.

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सूर्य और चंद्र ग्रहण के साथ हो रही Navratri 2023 की शुरुआत. देखें खबर

लखनऊ: इस बार देवी की अराधना के दिन नवरात्र 15 अक्टूबर से शुरू हो रहे हैं. इसके ठीक एक दिन पहले यानी 14 अक्टूबर को एक विशेष खगोलीय घटना होने वाली है. ये खगोलीय घटना है सूर्य ग्रहण. अब सवाल ये उठता है कि नवरात्र के पहले हो रहे इस सूर्य ग्रहण का भारत या यहां के लोगों का क्या असर होगा. तो इसके बारे में आपको बता दें कि इस सूर्य ग्रहण का भारत या यहां के लोगों पर कोई असर नहीं होगा. क्योंकि यह भारत में दिखाई ही नहीं देगा. सूर्य ग्रहण रात को शुरू होकर, रात में ही खत्म हो जाएगा.

Solar Eclipse 2023
Solar Eclipse 2023

सूर्य के साथ पड़ेगा चंद्र ग्रहणः ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान इंदिरा गांधी नक्षत्रशाला के वैज्ञानिक सुमित श्रीवास्तव ने कहा कि इस दिन आंशिक चंद्र ग्रहण भी होगा. इसमें चंद्रमा पृथ्वी की छाया से होकर गुजरेगा, लेकिन पृथ्वी की छाया चांद के बहुत कम हिस्से पर पड़ेगी. इसलिए यह आंशिक चंद्र ग्रहण है. यह पूरे यूरोप सहित एशिया, अफ्रीका और वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया में देखा जा सकेगा.

क्या है सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहणः इंदिरा गांधी नक्षत्रशाला के वैज्ञानिक सुमित श्रीवास्तव ने बताया कि पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा करती है, चंद्रमा पृथ्वी की परिक्रमा करता है और अगर इस परिक्रमा के दौरान सूर्य और पृथ्वी के बीच चंद्रमा आ जाता है, तो सूर्य ग्रहण होता है. वहीं, अगर सूर्य और चंद्रमा के बीच पृथ्वी आ जाता है तो चंद्रग्रहण होता है.

क्या होता है हाइब्रिड सूर्य ग्रहणः हाइब्रिड सूर्य ग्रहण उसे कहते हैं, जो आंशिक, पूर्ण और कुंडलाकार सूर्य ग्रहण का मिश्रण होता है. इस सूर्य ग्रहण को पृथ्वी पर अलग-अलग स्थानों पर रह रहे लोग एक ही वक्त में अलग-अलग रूपों में देखते हैं. हाइब्रिड सूर्य ग्रहण के दौरान चंद्रमा की धरती से दूरी न तो ज्‍यादा होती है और न ही कम. हाइब्रिड सूर्य ग्रहण में चंद्रमा पृथ्वी से इतना दूर होता है कि उसकी छाया पृथ्वी के छोटे हिस्से पर खत्म होती है. ऐसे में छोटे छाया वाले हिस्से में पूर्ण सूर्य ग्रहण दिखता है. दूसरी तरफ जहां छाया फैलती है, वहां कुंडलाकार सूर्य ग्रहण दिखाई देता है. इसे हाइब्रिड सूर्यग्रहण कहा जाता है.

सूर्य ग्रहण के बाद लगेगा चंद्रग्रहणः 14 अक्टूबर को सूर्य ग्रहण लगने के बाद साल का आखिरी चंद्र ग्रहण भी लगेगा. यह चंद्र ग्रहण 28 अक्तूबर को पूर्णिमा तिथि पर लगेगा. यह चंद्र ग्रहण आंशिक चंद्रग्रहण होगा. जिसे भारत में देखा जा सकेगा. भारतीय समयानुसार 28 अक्टूबर की आधी रात 01 बजकर 06 मिनट से 02 बजकर 22 मिनट तक चंद्रग्रहण लगेगा. साल 2023 का पहला चंद्र ग्रहण वैशाख पूर्णिमा के दिन शुक्रवार पांच मई को लगा था. यह ग्रहण दुनियाभर के कई हिस्सों में देखा गया. लेकिन, भारत में यह ग्रहण दिखाई नहीं दिया था.

क्या है उपच्‍छाया चंद्र ग्रहणः जब चंद्र पर पृथ्वी की छाया न पड़कर उपछाया पड़ती है, तो इसे उपच्‍छाया चंद्र ग्रहण कहा जाता है. इस ग्रहण में चंद्रमा के आकार पर किसी प्रकार का प्रभाव नहीं पड़ता है. चांद की रोशनी में हल्का सा धुंधलापन आ जाता है और चंद्रमा का रंग मटमैला हो जाता है. इसे वास्तविक चंद्रग्रहण नहीं माना जाता. सूतक के नियम भी इसमें लागू नहीं होते हैं.

ये भी पढ़ेंः Watch Eclipse : इस दिन लगेगा साल 2023 का आखिरी सूर्य ग्रहण, जानिए कब और कहां दिखाई देंगे साल के आखिरी ग्रहण

सूर्य और चंद्र ग्रहण के साथ हो रही Navratri 2023 की शुरुआत. देखें खबर

लखनऊ: इस बार देवी की अराधना के दिन नवरात्र 15 अक्टूबर से शुरू हो रहे हैं. इसके ठीक एक दिन पहले यानी 14 अक्टूबर को एक विशेष खगोलीय घटना होने वाली है. ये खगोलीय घटना है सूर्य ग्रहण. अब सवाल ये उठता है कि नवरात्र के पहले हो रहे इस सूर्य ग्रहण का भारत या यहां के लोगों का क्या असर होगा. तो इसके बारे में आपको बता दें कि इस सूर्य ग्रहण का भारत या यहां के लोगों पर कोई असर नहीं होगा. क्योंकि यह भारत में दिखाई ही नहीं देगा. सूर्य ग्रहण रात को शुरू होकर, रात में ही खत्म हो जाएगा.

Solar Eclipse 2023
Solar Eclipse 2023

सूर्य के साथ पड़ेगा चंद्र ग्रहणः ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान इंदिरा गांधी नक्षत्रशाला के वैज्ञानिक सुमित श्रीवास्तव ने कहा कि इस दिन आंशिक चंद्र ग्रहण भी होगा. इसमें चंद्रमा पृथ्वी की छाया से होकर गुजरेगा, लेकिन पृथ्वी की छाया चांद के बहुत कम हिस्से पर पड़ेगी. इसलिए यह आंशिक चंद्र ग्रहण है. यह पूरे यूरोप सहित एशिया, अफ्रीका और वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया में देखा जा सकेगा.

क्या है सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहणः इंदिरा गांधी नक्षत्रशाला के वैज्ञानिक सुमित श्रीवास्तव ने बताया कि पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा करती है, चंद्रमा पृथ्वी की परिक्रमा करता है और अगर इस परिक्रमा के दौरान सूर्य और पृथ्वी के बीच चंद्रमा आ जाता है, तो सूर्य ग्रहण होता है. वहीं, अगर सूर्य और चंद्रमा के बीच पृथ्वी आ जाता है तो चंद्रग्रहण होता है.

क्या होता है हाइब्रिड सूर्य ग्रहणः हाइब्रिड सूर्य ग्रहण उसे कहते हैं, जो आंशिक, पूर्ण और कुंडलाकार सूर्य ग्रहण का मिश्रण होता है. इस सूर्य ग्रहण को पृथ्वी पर अलग-अलग स्थानों पर रह रहे लोग एक ही वक्त में अलग-अलग रूपों में देखते हैं. हाइब्रिड सूर्य ग्रहण के दौरान चंद्रमा की धरती से दूरी न तो ज्‍यादा होती है और न ही कम. हाइब्रिड सूर्य ग्रहण में चंद्रमा पृथ्वी से इतना दूर होता है कि उसकी छाया पृथ्वी के छोटे हिस्से पर खत्म होती है. ऐसे में छोटे छाया वाले हिस्से में पूर्ण सूर्य ग्रहण दिखता है. दूसरी तरफ जहां छाया फैलती है, वहां कुंडलाकार सूर्य ग्रहण दिखाई देता है. इसे हाइब्रिड सूर्यग्रहण कहा जाता है.

सूर्य ग्रहण के बाद लगेगा चंद्रग्रहणः 14 अक्टूबर को सूर्य ग्रहण लगने के बाद साल का आखिरी चंद्र ग्रहण भी लगेगा. यह चंद्र ग्रहण 28 अक्तूबर को पूर्णिमा तिथि पर लगेगा. यह चंद्र ग्रहण आंशिक चंद्रग्रहण होगा. जिसे भारत में देखा जा सकेगा. भारतीय समयानुसार 28 अक्टूबर की आधी रात 01 बजकर 06 मिनट से 02 बजकर 22 मिनट तक चंद्रग्रहण लगेगा. साल 2023 का पहला चंद्र ग्रहण वैशाख पूर्णिमा के दिन शुक्रवार पांच मई को लगा था. यह ग्रहण दुनियाभर के कई हिस्सों में देखा गया. लेकिन, भारत में यह ग्रहण दिखाई नहीं दिया था.

क्या है उपच्‍छाया चंद्र ग्रहणः जब चंद्र पर पृथ्वी की छाया न पड़कर उपछाया पड़ती है, तो इसे उपच्‍छाया चंद्र ग्रहण कहा जाता है. इस ग्रहण में चंद्रमा के आकार पर किसी प्रकार का प्रभाव नहीं पड़ता है. चांद की रोशनी में हल्का सा धुंधलापन आ जाता है और चंद्रमा का रंग मटमैला हो जाता है. इसे वास्तविक चंद्रग्रहण नहीं माना जाता. सूतक के नियम भी इसमें लागू नहीं होते हैं.

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Last Updated : Oct 11, 2023, 9:49 PM IST
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