चंडीगढ़ : नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) ने अपना इस्तीफा वापस ले लिया है. इसके साथ ही सिद्धू ने कहा कि 'कांग्रेस अध्यक्ष, राहुल और प्रियंका जी के इस सिपाही ने अपना इस्तीफ़ा वापस ले लिया है. जिस दिन नए एडवोकेट जनरल बनेंगे और नया पैनल आ जाएगा, मैं उस दिन ऑफिस जाकर अपना कार्यभार संभालूंगा.'
सिद्धू ने कहा कि वह कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, सांसद राहुल गांधी और महासचिव प्रियंका गांधी के सिपाही हैं. उन्होंने कहा कि 'मैंने सरकार पर दबाव बनाए रखा ताकि सही फैसले हों.' सिद्धू ने कहा कि जिस दिन नए एडवोकेट जनरल बनेंगे और नया पैनल बन जाएगा, उस दिन मैं भी अपना कार्यभार संभाल लूंगा.
सिद्धू ने कहा कि 'मैं उनसे (सीएम) लंबे समय से मिल रहा हूं. मैं उनसे पिछले 1 महीने से बात कर रहा हूं. पहली बैठक पंजाब भवन में थी, उस समय बात यह थी कि पैनल (डीजीपी पर) आएगा और एक हफ्ते में चीजें तय हो जाएंगी. 90 दिन की सरकार है, 50 दिन हो गए हैं.'
उन्होंने कहा कि 'नवजोत सिंह सिद्धू का व्यक्तिगत कुछ भी नहीं है, मैं उनसे राज्य के लिए बात करता हूं. राज्य के लिए जो भी अच्छा किया जा सकता है, उसके लिए मैं उनसे बात करता हूं. मेरा चरणजीत चन्नी से कोई मतभेद नहीं है, बिल्कुल भी नहीं. मैं जो कुछ भी करता हूं पंजाब के लिए करता हूं. मैं पंजाब के लिए खड़ा हूं. पंजाब मेरी आत्मा है. यही कारण है कि पिछले 4.5 वर्षों के दौरान, मैंने शराब, बस आदि जैसे कई मुद्दे उठाए हैं. सीएम के पास केंद्रीकृत शक्ति थी लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की. मुझे किसी पद का लालच नहीं है लेकिन मैं केवल पंजाब के लोगों के अधिकारों के लिए लड़ता हूं.' सिद्धू ने कहा कि '2022 के चुनाव में कांग्रेस को 80-100 सीटें दिलाऊंगा.'
कैप्टन अमरिंदर सिंह पर निशाना साधते हुए सिद्धू ने कहा कि उन्हें अपनी उम्र का तो लिहाज करना चाहिए. वह 80 साल के हैं. वो दूसरों की इज्जत करेंगे, तभी कोई उनकी भी इज्जत करेगा.
इशारों ही इशारों में सीएम चन्नी पर निशाना साधते हुए सिद्धू ने कहा कि सत्ता हासिल दो ही तरीके से की जा सकती है. या तो आप लॉलीपॉप दे दो या फिर पंजाब की तकदीर बदल दो. आप निर्णय कर लो. मैं तो किसी पाप का भागीदार नहीं बन सकता. उन्होंने पूछा कि हमारे वर्तमान सीएम ने नशा और बेअदबी को लेकर क्या किया, ये तो बताइए. हम गांवों में जाकर क्या जवाब देंगे. 90 दिनों में सरकार ने क्या किया.
सिद्धू ने कहा कि बादल सरकार के आंखों के तारे इकबाल प्रीत सिंह को डीजीपी बना दिया. आज तक उन्हें नहीं हटाया गया है.
सिद्धू के इस्तीफे की क्या थी वजह
सिद्धू के इस्तीफे का बड़ा कारण एडवोकेट जनरल एपीएस दयोल थे. वह दयोल का शुरू से ही विरोध करते आ रहे थे. मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने उनकी नियुक्ति की थी. एक नवंबर को दयोल ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया. सिद्धू का कहना था कि बेअदबी मामले में दयोल ने कोर्ट में पैरवी की थी. इसी तरह से सिद्धू डीजीपी सुमेध सिंह सैनी को लेकर भी हमलावर थे. बेअदबी मामले में सुमेध सिंह सैनी और परमराज उमरानंगल का नाम शामिल है. दयोल इस मामले की पैरवी कर रहे थे. सिद्धू ने इन दोनों मुद्दों को लेकर कैप्टन अमरिंदर सिंह पर हमला किया था. समेध के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का भी मामला है. इस मामले में भी दयोल ही उनकी कानूनी पैरवी कर रहे हैं.
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दरअसल पहले उन्होंने कैप्टन अमरिंदर सिंह (Capt Amarinder Singh) के साढ़े चार साल के कामकाज पर सवाल उठाया था. वे लगातार हाई कमान पर दबाव बनाते रहे, ताकि मुख्यमंत्री बदला जा सके. नए मुख्यमंत्री बनने के बाद वह मंत्रियो के विभाग बंटवारे में भी दखलंदाजी करते रहे. उन्होंने पंजाब के डीजीपी और एडवोकेट जनरल की नियुक्ति पर सवाल उठाए. मुख्यमंत्री चन्नी से भी नाराजगी दिखाई और उसके बाद प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया. अब सिद्धू ने बयान दिया है कि वह जल्द ही कार्यभार संभालेंगे. सिद्धू के इस बयान के बाद राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि वह अब भी दबाव की राजनीति कर रहे हैं. वह चाहते हैं कि नए पैनल में उनकी दखलंदाजी हो.