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कैप्टन पर निशाना साधने वाले सिद्धू के पीछे पड़ी पंजाब कांग्रेस की ब्रिगेड - कानूनी टीम

नवजोत सिंह सिद्धू द्वारा पंजाब के सीएम पर निशाना साधने के बाद अब पूरी पंजाब कांग्रेस की ब्रिगेड उनके पीछे पड़ गई है. पंजाब कांग्रेस का कहना है कि नवजोत सिद्धू रोजाना सीएम के खिलाफ ट्वीट कर रहे हैं और बादल परिवार की मदद कर रहे हैं.

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Published : Apr 24, 2021, 7:33 PM IST

चंडीगढ़ : नवजोत सिंह सिद्धू ने शुक्रवार को ट्विट किया था कि क्या गृहमंत्री के लिए धार्मिक ग्रंथों की बेअदबी मामला सर्वोच्च प्राथमिकता नहीं है? जिम्मेदारी के लिए केवल महाधिवक्ता (एजी) को बलि का बकरा बनाने का मतलब है कि कार्यकारी प्राधिकरण का कोई पर्यवेक्षी नियंत्रण नहीं है.

उन्होंने सवाल किया कि एजी को कौन नियंत्रित करता है? जिम्मेदारियों को स्थानांतरित करने के इस खेल में कानूनी टीम सिर्फ एक मोहरा है. सिद्धू के इस हमले से पंजाब कांग्रेस के कई नेता नाराज हो गए हैं. अमृतसर (पश्चिम) से कांग्रेस के विधायक डॉ. राज कुमार वेरका ने एआईसीसी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को एक पत्र लिखकर उन्हें हस्तक्षेप करने और सिद्धू को सार्वजनिक रूप से सरकार के खिलाफ जाने से रोकने के लिए कहा है.

लुधियाना के सांसद रवनीत बिट्टू ने एक फेसबुक लाइव किया और सिद्धू को करारा जवाब दिया है. कहा यह सरदार जी 2016 से पहले बीजेपी का चेहरा थे और नवंबर 2016 में कांग्रेस में शामिल हुए थे. सरकार के अच्छे और बुरे काम होते हैं तो जिम्मेदारी टीम के सभी 11 खिलाड़ियों की है. यह सही नहीं है कि अगर हम हारते हैं तो केवल कप्तान को दोषी ठहराते हैं और पूरी टीम को नहीं. जो भाग रहा है वह नेता नहीं हो सकता.

पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने 89 पेज के आदेश जारी किए हैं, जो पिछली SIT रिपोर्ट को खारिज करता है और नए SIT को 6 महीने के भीतर रिपोर्ट देने को कहा है. कोर्ट ने फैसला सुनाया कि आईपीएस अधिकारी कुंवर विजय प्रताप सिंह (जिन्होंने समयपूर्व सेवानिवृत्ति ले ली है) राजनीतिक पैंतरेबाजी में लिप्त रहे और अपने आधिकारिक पद का दुरुपयोग किया.

शनिवार को सिद्धू ने फिर ट्विट किया

हमें न्याय कैसे मिलेगा? अगर चार्जशीट में प्रकाश और सुखबीर बादल का नाम बदलने के 2 साल बाद भी उनके खिलाफ कोई चालान नहीं किया गया और न ही उनके नाम एफआईआर में जोड़े गए. कोर्ट के सामने दो सबूतों को क्यों नहीं जांचा गया या लाया नहीं गया? मामले को कमजोर करने और देरी के लिए कौन जिम्मेदार है?

यह भी पढ़ें-पंजाब में बेअदबी की घटनाओं की बेतरतीब जांच से न्याय में हो रही देरी: सिद्धू

2022 में राज्य में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और सभी राजनीतिक दल अब अपने हितों के लिए कोटकपूरा गोलीकांड मामले के लिए खेल खेल रहे हैं. क्या 2022 का चुनाव फिर से असली विकास के सवालों के बजाय उसी मुद्दे पर लड़ा जाएगा. फिलहाल नवजोत सिद्धू ने इस मुद्दे पर अपने कप्तान के खिलाफ लगातार ट्वीट किया है.

चंडीगढ़ : नवजोत सिंह सिद्धू ने शुक्रवार को ट्विट किया था कि क्या गृहमंत्री के लिए धार्मिक ग्रंथों की बेअदबी मामला सर्वोच्च प्राथमिकता नहीं है? जिम्मेदारी के लिए केवल महाधिवक्ता (एजी) को बलि का बकरा बनाने का मतलब है कि कार्यकारी प्राधिकरण का कोई पर्यवेक्षी नियंत्रण नहीं है.

उन्होंने सवाल किया कि एजी को कौन नियंत्रित करता है? जिम्मेदारियों को स्थानांतरित करने के इस खेल में कानूनी टीम सिर्फ एक मोहरा है. सिद्धू के इस हमले से पंजाब कांग्रेस के कई नेता नाराज हो गए हैं. अमृतसर (पश्चिम) से कांग्रेस के विधायक डॉ. राज कुमार वेरका ने एआईसीसी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को एक पत्र लिखकर उन्हें हस्तक्षेप करने और सिद्धू को सार्वजनिक रूप से सरकार के खिलाफ जाने से रोकने के लिए कहा है.

लुधियाना के सांसद रवनीत बिट्टू ने एक फेसबुक लाइव किया और सिद्धू को करारा जवाब दिया है. कहा यह सरदार जी 2016 से पहले बीजेपी का चेहरा थे और नवंबर 2016 में कांग्रेस में शामिल हुए थे. सरकार के अच्छे और बुरे काम होते हैं तो जिम्मेदारी टीम के सभी 11 खिलाड़ियों की है. यह सही नहीं है कि अगर हम हारते हैं तो केवल कप्तान को दोषी ठहराते हैं और पूरी टीम को नहीं. जो भाग रहा है वह नेता नहीं हो सकता.

पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने 89 पेज के आदेश जारी किए हैं, जो पिछली SIT रिपोर्ट को खारिज करता है और नए SIT को 6 महीने के भीतर रिपोर्ट देने को कहा है. कोर्ट ने फैसला सुनाया कि आईपीएस अधिकारी कुंवर विजय प्रताप सिंह (जिन्होंने समयपूर्व सेवानिवृत्ति ले ली है) राजनीतिक पैंतरेबाजी में लिप्त रहे और अपने आधिकारिक पद का दुरुपयोग किया.

शनिवार को सिद्धू ने फिर ट्विट किया

हमें न्याय कैसे मिलेगा? अगर चार्जशीट में प्रकाश और सुखबीर बादल का नाम बदलने के 2 साल बाद भी उनके खिलाफ कोई चालान नहीं किया गया और न ही उनके नाम एफआईआर में जोड़े गए. कोर्ट के सामने दो सबूतों को क्यों नहीं जांचा गया या लाया नहीं गया? मामले को कमजोर करने और देरी के लिए कौन जिम्मेदार है?

यह भी पढ़ें-पंजाब में बेअदबी की घटनाओं की बेतरतीब जांच से न्याय में हो रही देरी: सिद्धू

2022 में राज्य में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और सभी राजनीतिक दल अब अपने हितों के लिए कोटकपूरा गोलीकांड मामले के लिए खेल खेल रहे हैं. क्या 2022 का चुनाव फिर से असली विकास के सवालों के बजाय उसी मुद्दे पर लड़ा जाएगा. फिलहाल नवजोत सिद्धू ने इस मुद्दे पर अपने कप्तान के खिलाफ लगातार ट्वीट किया है.

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