चंडीगढ़ : कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा के मसले पर खुले मंच पर बात करने और यथार्थवादी दृष्टिकोण की जरूरत है. वह अपनी किताब '10 Flash Points 20 Years' के विमोचन के लिए चंडीगढ़ पहुंचे थे.
मनीष तिवारी ने कहा कि भारत के सामने जो चुनौती है चाहे 1971 से पाकिस्तान से चली आ रही हो या फिर चीन की चुनौती है, इसके प्रति हमको बहुत ही विजिलेंट होने की जरूरत है. सवाल एक सरकार बनाम दूसरी सरकार का नहीं है. जब राष्ट्रीय सुरक्षा का सवाल आता है तो इस सवाल पर दलगत राजनीति से ऊपर उठकर एक आम राय बनाने की जरूरत है.
मनीष तिवारी ने कहा कि 1999 में कारगिल के समय जो हुआ था 20 साल बाद 2020 में चीन के साथ हुआ. अगर 1999 में भांप नहीं पाए थे कि पाकिस्तान भारत की जमीन में किस हद तक घुस गया है तो 2020 में हम फिर यह नहीं भांप पाए कि चीन ने इतनी बड़ी घुसपैठ भारत की सरजमीं में की है. उन्होंने कहा कि हमारे देश में एक बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण कल्चर बन गया है कि हम किसी भी राष्ट्रीय सुरक्षा की चुनौती के ऊपर खुले मंच से और एक पैशनेट तरीके से विश्लेषण करने के लिए तैयार नहीं हैं और उसका अंजाम यह होता है कि निरंतर और लगातार जब भी हमारे ऊपर कोई आक्रमण होता है या घुसपैठ होती है. इसका पता तब लगता है जब कार्यवाही हो जाती है. सवाल जिम्मेदारी का नहीं है, सवाल सुदृढ़ बनाने का है.
उन्होंने कहा कि किताब लिखने का मकसद यही नहीं है कि किसी पर टोका टाकी की जाए या किसी पर दोषारोपण किया जाए. किताब लिखने का मकसद यह है कि जिन चुनौतियों से भारत निकला है वह चुनौती भारत के आगे दोबारा से ना आएं. उससे किस तरह से निकला जाए उसी परिपेक्ष को लेकर ये किताब लिखी गई है. उन्होंने कहा कि अगर समाज में ध्रुवीकरण होता है तो इसका नुकसान राष्ट्रीय सुरक्षा को होता है.
विधायकों के भाजपा में जाने के सवालों पर साधी चुप्पी
कांग्रेस के मौजूदा विधायकों द्वारा बीजेपी में शामिल होने के बाद कांग्रेस खेमे में चुप्पी है. कोई भी नेता इस पर बोलने को तैयार नहीं है, यहां तक कि मनीष तिवारी जो हमेशा पंजाब कांग्रेस पर निशाना साधते रहते हैं वह भी आज इस मुद्दे पर चुप्पी साध गए. उन्होंने कहा कि वह सिर्फ अपनी किताब के विमोचन पर बात करेंगे उसके अलावा कोई पॉलिटिकल रिएक्शन नहीं देंगे.
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