हैदराबाद : भारत में हर साल पांच अप्रैल को राष्ट्रीय समुद्री दिवस मनाया जाता है. यह दिन अंतरमहाद्वीपीय वाणिज्य और वैश्विक अर्थव्यवस्था के समर्थन में लोगों के बीच जागरुकता फैलाने के लिए मनाया जाता है. इसके साथ भारतीय जहाजरानी उद्योग की गतिविधियों और देश की अर्थव्यवस्था में इसकी भूमिका से अवगत कराना भी इसका उद्देश्य है.
राष्ट्रीय समुद्री दिवस का थीम उस लक्ष्य को प्रदर्शित करता है, जिसे अंतरराष्ट्रीय समुद्री संगठन (IMO) और उसके सदस्य प्राप्त करने के लिए विभिन्न उपाय कर रहे हैं.
पृष्ठभूमि
राष्ट्रीय समुद्री दिवस 5 अप्रैल, 1964 से मनाया जा रहा है. पहली बार 5 अप्रैल, 1919 के दिन सिंधिया स्टीम नेविगेशन कंपनी लि. का पहला स्टीम शिप एसएस लॉयल्टी मुंबई से लंदन की पहली समुद्री यात्रा के लिए अंतरराष्ट्रीय जल क्षेत्र में उतारा गया था. यह कदम भारतीय नौवहन इतिहास के लिए बहुत महत्वपूर्ण था, क्योंकि उस दौरान समुद्री मार्गों को अंग्रेजों द्वारा नियंत्रित किया जाता था.
मर्चेंट नेवी वीक का आयोजन 31 मार्च से 05 अप्रैल, 2021 तक राजभवन मुंबई में किया गया है. एक से तीन अप्रैल तक वेबिनार का भी आयोजन किया गया. इस दिवस को मनाने का उद्देश्य लोगों को भारतीय जहाजरानी उद्योग की गतिविधियों और देश की अर्थव्यवस्था में इसकी भूमिका से अवगत कराना है.
इतिहास
यह एक समय था जब ब्रिटिश ग्लोबल मरीनटाइम कॉमन के मालिक थे और ब्रिटिश शिपिंग उद्योग पर उनका काफी प्रभाव था. इस समय, एक गुजराती उद्योगपति वालचंद हीराचंद ने भारतीय, घरेलू, जहाजरानी उद्योग की आवश्यकता के रूप में बताया.
उन्होंने अपने दोस्तों नरोत्तम मोरार्जी, किलाचंद देवचंद और लल्लूभाई समलदास के साथ ग्वालियर के शाही सिंधिया परिवार से एक स्टीमर, आरएमएस महारानी खरीदा. आरएमएस महारानी को पहली बार 1890 में कनाडा के प्रशांत रेलवे से ग्वालियर शाही परिवार द्वारा खरीदा गया था. जिसे प्रथम विश्व युद्ध के दौरान भारतीय सैनिकों के लिए एक अस्पताल जहाज के रूप में उपयोग किया गया था.
चार भारतीयों ने अपनी कंपनी का नाम सिंधिया स्टीम नेविगेशन कंपनी लिमिटेड रखा, जिसे पहले स्वदेशी शिपिंग उद्यम के रूप में जाना जाता था, जिसका उद्देश्य भारत का अपना व्यापारिक बेड़ा बनाना था.
बाद में आरएमएस महारानी का नाम बदलकर एसएस लॉयल्टी कर दिया गया और 5 अप्रैल, 1919 को इसने लंदन की अपनी पहली यात्रा शुरू की.
कोविड का प्रभाव : भारतीय बंदरगाहों के कार्गो वॉल्यूम में 5-8% की गिरावट
- लॉकडाउन के दौरान प्रमुख बंदरगाहों पर कुल मिलाकर कार्गो में 22 फीसदी तक की कमी देखी गई. पेट्रोलियम उत्पादों और तरल कार्गो, थर्मल कोयले और कंटेनरों के आवागमन में भारी गिरावट देखने को मिली.
- कोविड महामारी और लॉकडाउन लागू होने के कारण भारतीय बंदरगाहों पर कार्गो की मात्रा इस वित्त वर्ष में 5 से 8 प्रतिशत के मध्यम रहने की उम्मीद है.
- महामारी के प्रभाव के कारण संक्रमण को रोकने के लिए साल 2020 में अप्रैल-मई में राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन लगाया गया, जिस कारण 22 प्रतिशत तक की कमी देखी गई.
- अप्रैल 2020 में, भारत ने लॉकडाउन के कारण अपने मेजर पोर्ट्स कार्गो ट्रैफिक में 21% से अधिक की गिरावट देखी. बिजली की खपत में भी 22 प्रतिशत और ऑयल व गैस की मांग में 70 फीसदी तक की कमी देखी गई.
- लौह अयस्क, कोयला, तेल और गैस जैसे बल्क कार्गो की हैंडलिंग, लॉकडाउन के दौरान विभिन्न बंदरगाहों पर आसानी से हो रही है. इन सभी उत्पादों को आवश्यक वस्तुओं के रूप में वर्गीकृत किया गया.
राहत देने के लिए सरकार की ओर से उठाए गए कदम
- जहाजरानी मंत्रालय के साथ कार्गो के आवागमन को लेकर परेशानी का सामना कर रहे बंदरगाह सेक्टर को भंडारण के लिए अतिरिक्त भूमि का आवंटन किया गया है.
- लोडिंग, अनलोडिंग या कार्गो की निकासी में देर होने पर उपयोगकर्ताओं से जुर्माना शुल्क की माफी की घोषणा की गई.
- कुछ अन्य उठाए गए कदमों में शिपिंग लाइनों द्वारा पोत-संबंधी शुल्क के भुगतान को स्थगित किया गया, साथ ही कुछ पट्टे के किराये और लाइसेंस शुल्क में दी गई छूट शामिल है.