कोरबा: छत्तीसगढ़ के बड़े आदिवासी लीडर नंदकुमार साय ने बीजेपी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है. सोशल मीडिया पर पत्र जारी कर उन्होंने कहा कि "मेरे व्यक्तिगत गरिमा को ठेस पहुंचाई जा रही है". यह मामला उनका व्यक्तिगत है. लेकिन सार्वजनिक जीवन में उन्होंने जो मुकाम हासिल किया. जिस कद तक वह पहुंचे. वहां तक पहुंचना किसी भी पार्टी के नेता के लिए एक सुनहरे सपने जैसा है.
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धूमिल नहीं है लक्ष्य मेरा,
— Dr Nand Kumar Sai (@nandksai) April 30, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
अम्बर समान यह साफ है
उम्र नहीं है बाधा मेरी,
मेरे रक्त में अब भी ताप है
सहस्त्र पाप मेरे नाम हो जाएं,
चाहे बिसरे मेरे काम हो जाएं,
मेरे तन-मन का हर एक कण,
इस माटी को समर्पित है
मेरे जीवन का हर एक क्षण,
जन-सेवा में अर्पित है।
आदिवासी_समाज_का_हित_सर्वोपरि pic.twitter.com/OE0hiEkULf
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— Dr Nand Kumar Sai (@nandksai) April 30, 2023
अम्बर समान यह साफ है
उम्र नहीं है बाधा मेरी,
मेरे रक्त में अब भी ताप है
सहस्त्र पाप मेरे नाम हो जाएं,
चाहे बिसरे मेरे काम हो जाएं,
मेरे तन-मन का हर एक कण,
इस माटी को समर्पित है
मेरे जीवन का हर एक क्षण,
जन-सेवा में अर्पित है।
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— Dr Nand Kumar Sai (@nandksai) April 30, 2023
अम्बर समान यह साफ है
उम्र नहीं है बाधा मेरी,
मेरे रक्त में अब भी ताप है
सहस्त्र पाप मेरे नाम हो जाएं,
चाहे बिसरे मेरे काम हो जाएं,
मेरे तन-मन का हर एक कण,
इस माटी को समर्पित है
मेरे जीवन का हर एक क्षण,
जन-सेवा में अर्पित है।
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नंदकुमार साय का सफर विधायकी से शुरू हुआ. वह तीन बार विधायक, तीन बार सांसद रहे. राज्यसभा में भी पार्टी का प्रतिनिधित्व किया. बीजेपी ने उन्हें राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग का अध्यक्ष भी बनाया. प्रदेश में उनकी टक्कर और कद के जनप्रतिनिधि गिनती के ही मिलेंगे. नंदकुमार का जन्म 1 जनवरी 1946 को हुआ था. भगोरा, मध्य प्रदेश और बरार के क्षेत्र में वह ब्रिटिश भारत में जन्मे थे. वर्तमान में उनकी वर्ष उम्र 77 वर्ष है. निवास जशपुर में है. उनके तीन बेटे और चार बेटियां हैं. नंदकुमार शुरू से ही भारतीय जनता पार्टी के साथ ही जुड़े रहे.
Nand Kumar Sai आज कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं नंदकुमार साय, राजीव भवन में महत्वपूर्ण बैठक
3 बार विधायक 3 बार लोकसभा सदस्य : नंदकुमार साय अविभाजित मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भी रहे. जशपुर के तपकरा विधानसभा क्षेत्र से 1977 से 1980, 1985 से 1989 और 1998 से 2003 तक विधायक रहे. वह छत्तीसगढ़ की पहली विधानसभा में अजीत जोगी सरकार के दौरान छत्तीसगढ़ के पहले नेता प्रतिपक्ष बने. इसके अलावा वह तीन बार लोकसभा के लिए चुने गए. रायगढ़ लोकसभा क्षेत्र से वह 1989 से 1991, 1996 से 1998 तक सदस्य रहे. इसके बाद उन्होंने सरगुजा लोकसभा सीट का भी प्रतिनिधित्व किया. 2004 से 2009 तक वह सरगुजा के सांसद रहे हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी हैं साय : बीजेपी में उनका कद सिर्फ राज्य में ही नहीं केंद्रीय स्तर पर भी काफी व्यापक है. उनका नाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबियों में भी शुमार होता रहा है. 2009 से 2016 तक उन्हें बीजेपी ने राज्यसभा भेजा जहां उन्होंने छत्तीसगढ़ राज्य का प्रतिनिधित्व किया. राज्यसभा का कार्यकाल पूरा होते ही बीजेपी ने नंदकुमार साय को 2017 में ही राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया. इस पद पर वह 2020 तक बने रहे.
Raipur: आदिवासी नेता नंदकुमार साय ने बीजेपी से दिया इस्तीफा
साय को मनाने पर होना चाहिए विचार : प्रदेश के बड़े आदिवासी लीडर पूर्व गृहमंत्री और वर्तमान में रामपुर विधानसभा सीट से विधायक ननकीराम कंवर ने साय के इस्तीफे पर कहा कि"यह नंदकुमार साय का व्यक्तिगत निर्णय है. उनके साथ मैंने काम जरूर किया है और पार्टी में उनका कद भी बड़ा है. चुनाव के पहले ऐसा हुआ है, देश में बड़े-बड़े पूर्व मुख्यमंत्रियों ने भी पार्टी बदल ली है. पूरे देश में ही इस तरह का माहौल चल रहा है. मैं इसमें क्या कह सकता हूं. यह उनका व्यक्तिगत मामला है, उन्हें मनाना है या नहीं पार्टी को इस विषय में विचार करना है. पार्टी स्तर पर इस विषय में मंथन होना चाहिए".