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मसूरी : जॉर्ज एवरेस्ट का कायाकल्प, ब्रिटिशकालीन इमारत का हुआ जीर्णोद्धार

जॉर्ज एवरेस्ट जीर्णोद्धार का काम मार्च अंत तक पूरा हो जाएगा, जिसके बाद देश विदेश से मसूरी आने वाले पर्यटकों को जॉर्ज एवरेस्ट हाउस के पुराने स्वरूप के साथ नई सुविधा देखने को मिलेगा. विस्तार से पढ़ें पूरी खबर...

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Published : Jan 29, 2021, 5:03 PM IST

george everest
george everest

मसूरी : पहाड़ों की रानी की पहचान जॉर्ज एवरेस्ट से भी की जाती है. देश विदेश से सैलानी जॉर्ज एवरेस्ट घूमने आते हैं. वहीं, वर्तमान में इसका जीर्णोद्धार का काम किया जा रहा है. जल्द ही जॉर्ज एवरेस्ट नए स्वरूप में कई सुविधाओं के साथ नजर आएगा. साथ ही यहां म्यूजिक थीम बेस्ड लाइटिंग लगाया जा रहा है, जो पर्यटकों को एक अलग अनुभूति प्रदान करेगा.

मार्च तक खत्म होगा जीर्णोद्धार कार्य
जॉर्ज एवरेस्ट जीर्णोद्धार का काम मार्च के अंत तक खत्म हो जाएगा, जिसके बाद देश-विदेश से मसूरी आने वाले पर्यटकों को जॉर्ज एवरेस्ट हाउस के पुराने स्वरूप के साथ सेंटर कम म्यूजियम, ऑडियो विजुअल थिएटर, स्टार गेजिंग, ग्लास हाउस, डोम्स, ओपन एरिया थिएटर, सेल्फी प्वाइंट और मोबाइल फूड वैन देखने को मिलेगा. साथ ही वन आरक्षित क्षेत्र होने के कारण यहां कम्पोस्ट टाॅयलेट लगाए जा रहे है.

जॉर्ज एवरेस्ट का कायाकल्प

80 फीसदी काम हुआ पूरा
जॉर्ज एवरेस्ट हाउस के साइट इंजीनियर कुलदीप शर्मा ने बताया कि मसूरी जॉर्ज का जीर्णोद्धार का काम लगभग 80 फीसदी पूरा हो चुका है. वहीं, अब फिनिशिंग का काम चल रहा है. अगर मौसम ने साथ दिया तो उम्मीद है कि 31 मार्च तक काम पूरा हो जाएगा. जाॅर्ज एवरेस्ट हाउस नई सुविधा, नई लुक के साथ नजर आएगा. इसमें खास बात यह होगी कि जॉर्ज एवरेस्ट हाउस अपने पुराने स्वरूप में ही नजर आएगा.

23 करोड़ 71 लाख रुपये से जीर्णोद्धार
कुलदीप शर्मा ने बताया कि जॉर्ज एवरेस्ट हाउस के मुख्य ग्राउंड में जॉर्ज एवरेस्ट द्वारा मसूरी में रिसर्च के दौरान इस्तेमाल की गई मशीन का एक नमूना प्रदर्शित किया जाएगा, जो आपने आप में अनोखा होगा. वहीं, पार्किंग की विशेष सुविधा होगी. 23 करोड़ 71 लाख रुपये की लागत से इसका जीर्णोद्धार किया जा रहा है, जिसके तहत जॉर्ज एवरेस्ट हाउस के मूल स्वरूप को संरक्षित करते हुए पुरानी तकनीक दाल और चूने को पीसकर कर पुराने जमाने के हिसाब से चिनाई की जा रही है.

आधुनिक तकनीक से सड़क निर्माण
उन्होंने बताया कि जॉर्ज एवरेस्ट हाउस के पास हाथीपांव से लेकर जॉर्ज एवरेस्ट तक आधुनिक तकनीक से सड़क का निर्माण किया जा चुका है. वहीं, सड़क किनारे रेलिंग लगाए जाने का कार्य पूरा हो चुका है. मसूरी जॉर्ज हाउस के आसपास के क्षेत्र में ट्रैक रूट भी बनाया जा रहा है.

जॉर्ज एवरेस्ट का इतिहास की जानकारी मिलेगा
कुलदीप शर्मा नें कहा कि जॉर्ज एवरेस्ट हाउस संग्रहालय में जॉर्ज एवरेस्ट के द्वारा प्रयोग किए जाने वाले इक्विपमेंट्स, डायरी सहित अन्य सामानों को रखा जाएगा, जिससे यहां आने वाले पर्यटकों के साथ स्थानीय लोगों को भी जॉर्ज एवरेस्ट के बारे में जानकारी मिलेगी. इसके आस-पास की जगहों को भी विकसित किया जा रहा है, जिससे पर्यटकों के लिए जॉर्ज एवरेस्ट के क्षेत्र को खास बनाया जा सके.

पर्यटकों को पसंदीदा जगह बनेगा जॉर्ज एवरेस्ट
मसूरी विधायक गणेश जोशी ने कहा कि प्रदेश सरकार लगातार मसूरी के विकास के लिए काम कर रही है, जिसके तहत जॉर्ज एवरेस्ट हाउस को नई तकनीक से उसके मूल स्वरूप को संरक्षित करते हुए बनाया जा रहा है. जब यह बनकर तैयार होगा तो देश-विदेश से आने वाले पर्यटकों को काफी पसंद आएगा.

जॉर्ज एवरेस्ट का इतिहास

ब्रिटिश काल में सर जॉर्ज एवरेस्ट ने 1832 से लेकर 1843 तक मसूरी के पार्क स्टेट हाथी पांव स्थित इसी भवन में रहते थे. उन्होंने हिमालय की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट की खोज की थी और उन्हीं के नाम पर इस चोटी का नाम रखा गया था. उन्होंने यहां रहते हुए ही सर जॉर्ज एवरेस्ट ने द ग्रेट ट्रिगनोमेट्रिक सर्वे आफ इंडिया जैसी अहम उपलब्धि हासिल की थी, जिन्होंने कभी देहरादून और मसूरी में रहकर हिमालय की ऊंचाई को नापा था.

उन्होंने भारत सहित कईं देशों की ऊंची चोटियों की खोज के साथ-साथ उनका मानचित्र तैयार किया था. सर जॉर्ज एवरेस्ट का मकान और प्रयोगशाला गांधी चौक से लगभग छह किलोमीटर दूर मसूरी में पार्क रोड पर स्थित है. अब यह पर्यटन स्थल बन गया है. यहां से एक तरफ दून घाटी, उत्तर में अगलाड नदी और हिमालयन रेंज के मनोरम दृश्य देख दिल प्रफुल्लित हो जाता है. जॉर्ज एवरेस्ट एक अंग्रेजी सर्वेक्षण और भू-वैज्ञानिक थे.

पढ़ें :- माइनस 20 डिग्री में मध्य प्रदेश की बेटी ने केदार कांठा की चोटी पर फहराया तिरंगा

ईस्ट इंडिया कंपनी में शामिल हुए थे जॉर्ज एवरेस्ट
सैन्य प्रशिक्षण लेने के बाद एवरेस्ट ईस्ट इंडिया कंपनी में शामिल हो गए और 16 साल की उम्र में भारत आए. 1830 से 1843 तक उन्होंने भारत के सर्वेक्षक के रूप में काम किया. भारत सर्वेक्षण विभाग एक केंद्रीय एजेंसी है, जिसका काम नक्शा बनाने और सर्वेक्षण करना है. इस एजेंसी का निर्माण 1767 ब्रिटिश इंडिया कंपनी के क्षेत्र को संगठित करने हेतु किया गया था. यह भारत सरकार के सबसे पुराने इंजीनियरिंग विभागों में से एक है. महान त्रिकोणमितीय सर्वेक्षण इस योजना को 19वीं शताब्दी में शुरुआती दौर में विलियम्स लेमिंटन द्वारा चलाया गया और बाद में सर जॉर्ज एवरेस्ट ने इस ऑपरेशन को गतिशील किया.

सतपाल महाराज ने भी किया निरीक्षण
जिला पर्यटन अधिकारी जसपाल सिंह चौहान ने बताया कि जॉर्ज एवरेस्ट हाउस के जिर्णोद्वार का कार्य मार्च अंत तक पूरा किया जाना है. जॉर्ज एवरेस्ट पर आधारित म्यूजियम और ऑब्जर्वेटरी का जिम्मा पुरातत्व विभाग संभालेगा. वहीं पर्यटन से जुड़े सभी कार्यों को पर्यटन विभाग संभालेगा. उन्होंने कहा कि जॉर्ज एवरेस्ट हाउस के जीर्णोद्वार का कार्य की समय-समय पर मॉनिटरिंग की जाती है. स्वयं पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज और पूर्व पर्यटन मंत्री अमृता रावत ने जिर्णोद्वार कार्य का निरीक्षण किया था, जिससे वह काफी सतुंष्ट नजर आए थे.

मसूरी : पहाड़ों की रानी की पहचान जॉर्ज एवरेस्ट से भी की जाती है. देश विदेश से सैलानी जॉर्ज एवरेस्ट घूमने आते हैं. वहीं, वर्तमान में इसका जीर्णोद्धार का काम किया जा रहा है. जल्द ही जॉर्ज एवरेस्ट नए स्वरूप में कई सुविधाओं के साथ नजर आएगा. साथ ही यहां म्यूजिक थीम बेस्ड लाइटिंग लगाया जा रहा है, जो पर्यटकों को एक अलग अनुभूति प्रदान करेगा.

मार्च तक खत्म होगा जीर्णोद्धार कार्य
जॉर्ज एवरेस्ट जीर्णोद्धार का काम मार्च के अंत तक खत्म हो जाएगा, जिसके बाद देश-विदेश से मसूरी आने वाले पर्यटकों को जॉर्ज एवरेस्ट हाउस के पुराने स्वरूप के साथ सेंटर कम म्यूजियम, ऑडियो विजुअल थिएटर, स्टार गेजिंग, ग्लास हाउस, डोम्स, ओपन एरिया थिएटर, सेल्फी प्वाइंट और मोबाइल फूड वैन देखने को मिलेगा. साथ ही वन आरक्षित क्षेत्र होने के कारण यहां कम्पोस्ट टाॅयलेट लगाए जा रहे है.

जॉर्ज एवरेस्ट का कायाकल्प

80 फीसदी काम हुआ पूरा
जॉर्ज एवरेस्ट हाउस के साइट इंजीनियर कुलदीप शर्मा ने बताया कि मसूरी जॉर्ज का जीर्णोद्धार का काम लगभग 80 फीसदी पूरा हो चुका है. वहीं, अब फिनिशिंग का काम चल रहा है. अगर मौसम ने साथ दिया तो उम्मीद है कि 31 मार्च तक काम पूरा हो जाएगा. जाॅर्ज एवरेस्ट हाउस नई सुविधा, नई लुक के साथ नजर आएगा. इसमें खास बात यह होगी कि जॉर्ज एवरेस्ट हाउस अपने पुराने स्वरूप में ही नजर आएगा.

23 करोड़ 71 लाख रुपये से जीर्णोद्धार
कुलदीप शर्मा ने बताया कि जॉर्ज एवरेस्ट हाउस के मुख्य ग्राउंड में जॉर्ज एवरेस्ट द्वारा मसूरी में रिसर्च के दौरान इस्तेमाल की गई मशीन का एक नमूना प्रदर्शित किया जाएगा, जो आपने आप में अनोखा होगा. वहीं, पार्किंग की विशेष सुविधा होगी. 23 करोड़ 71 लाख रुपये की लागत से इसका जीर्णोद्धार किया जा रहा है, जिसके तहत जॉर्ज एवरेस्ट हाउस के मूल स्वरूप को संरक्षित करते हुए पुरानी तकनीक दाल और चूने को पीसकर कर पुराने जमाने के हिसाब से चिनाई की जा रही है.

आधुनिक तकनीक से सड़क निर्माण
उन्होंने बताया कि जॉर्ज एवरेस्ट हाउस के पास हाथीपांव से लेकर जॉर्ज एवरेस्ट तक आधुनिक तकनीक से सड़क का निर्माण किया जा चुका है. वहीं, सड़क किनारे रेलिंग लगाए जाने का कार्य पूरा हो चुका है. मसूरी जॉर्ज हाउस के आसपास के क्षेत्र में ट्रैक रूट भी बनाया जा रहा है.

जॉर्ज एवरेस्ट का इतिहास की जानकारी मिलेगा
कुलदीप शर्मा नें कहा कि जॉर्ज एवरेस्ट हाउस संग्रहालय में जॉर्ज एवरेस्ट के द्वारा प्रयोग किए जाने वाले इक्विपमेंट्स, डायरी सहित अन्य सामानों को रखा जाएगा, जिससे यहां आने वाले पर्यटकों के साथ स्थानीय लोगों को भी जॉर्ज एवरेस्ट के बारे में जानकारी मिलेगी. इसके आस-पास की जगहों को भी विकसित किया जा रहा है, जिससे पर्यटकों के लिए जॉर्ज एवरेस्ट के क्षेत्र को खास बनाया जा सके.

पर्यटकों को पसंदीदा जगह बनेगा जॉर्ज एवरेस्ट
मसूरी विधायक गणेश जोशी ने कहा कि प्रदेश सरकार लगातार मसूरी के विकास के लिए काम कर रही है, जिसके तहत जॉर्ज एवरेस्ट हाउस को नई तकनीक से उसके मूल स्वरूप को संरक्षित करते हुए बनाया जा रहा है. जब यह बनकर तैयार होगा तो देश-विदेश से आने वाले पर्यटकों को काफी पसंद आएगा.

जॉर्ज एवरेस्ट का इतिहास

ब्रिटिश काल में सर जॉर्ज एवरेस्ट ने 1832 से लेकर 1843 तक मसूरी के पार्क स्टेट हाथी पांव स्थित इसी भवन में रहते थे. उन्होंने हिमालय की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट की खोज की थी और उन्हीं के नाम पर इस चोटी का नाम रखा गया था. उन्होंने यहां रहते हुए ही सर जॉर्ज एवरेस्ट ने द ग्रेट ट्रिगनोमेट्रिक सर्वे आफ इंडिया जैसी अहम उपलब्धि हासिल की थी, जिन्होंने कभी देहरादून और मसूरी में रहकर हिमालय की ऊंचाई को नापा था.

उन्होंने भारत सहित कईं देशों की ऊंची चोटियों की खोज के साथ-साथ उनका मानचित्र तैयार किया था. सर जॉर्ज एवरेस्ट का मकान और प्रयोगशाला गांधी चौक से लगभग छह किलोमीटर दूर मसूरी में पार्क रोड पर स्थित है. अब यह पर्यटन स्थल बन गया है. यहां से एक तरफ दून घाटी, उत्तर में अगलाड नदी और हिमालयन रेंज के मनोरम दृश्य देख दिल प्रफुल्लित हो जाता है. जॉर्ज एवरेस्ट एक अंग्रेजी सर्वेक्षण और भू-वैज्ञानिक थे.

पढ़ें :- माइनस 20 डिग्री में मध्य प्रदेश की बेटी ने केदार कांठा की चोटी पर फहराया तिरंगा

ईस्ट इंडिया कंपनी में शामिल हुए थे जॉर्ज एवरेस्ट
सैन्य प्रशिक्षण लेने के बाद एवरेस्ट ईस्ट इंडिया कंपनी में शामिल हो गए और 16 साल की उम्र में भारत आए. 1830 से 1843 तक उन्होंने भारत के सर्वेक्षक के रूप में काम किया. भारत सर्वेक्षण विभाग एक केंद्रीय एजेंसी है, जिसका काम नक्शा बनाने और सर्वेक्षण करना है. इस एजेंसी का निर्माण 1767 ब्रिटिश इंडिया कंपनी के क्षेत्र को संगठित करने हेतु किया गया था. यह भारत सरकार के सबसे पुराने इंजीनियरिंग विभागों में से एक है. महान त्रिकोणमितीय सर्वेक्षण इस योजना को 19वीं शताब्दी में शुरुआती दौर में विलियम्स लेमिंटन द्वारा चलाया गया और बाद में सर जॉर्ज एवरेस्ट ने इस ऑपरेशन को गतिशील किया.

सतपाल महाराज ने भी किया निरीक्षण
जिला पर्यटन अधिकारी जसपाल सिंह चौहान ने बताया कि जॉर्ज एवरेस्ट हाउस के जिर्णोद्वार का कार्य मार्च अंत तक पूरा किया जाना है. जॉर्ज एवरेस्ट पर आधारित म्यूजियम और ऑब्जर्वेटरी का जिम्मा पुरातत्व विभाग संभालेगा. वहीं पर्यटन से जुड़े सभी कार्यों को पर्यटन विभाग संभालेगा. उन्होंने कहा कि जॉर्ज एवरेस्ट हाउस के जीर्णोद्वार का कार्य की समय-समय पर मॉनिटरिंग की जाती है. स्वयं पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज और पूर्व पर्यटन मंत्री अमृता रावत ने जिर्णोद्वार कार्य का निरीक्षण किया था, जिससे वह काफी सतुंष्ट नजर आए थे.

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