मसूरी: कश्मीरी पंडितों के नरसंहार और विस्थापन पर बनी फिल्म 'The Kashmir Files' की चर्चा पूरे देश में हो रही है. कई राज्यों में इस फिल्म को टैक्स फ्री कर दिया गया है, जिसमें उत्तराखंड भी शामिल है. आपको जानकर हैरानी होगी कि 'द कश्मीर फाइल्स' की ज्यादातर शूटिंग मसूरी में हुई है. फिल्म में वो तमाम सीन जो आपको कश्मीर के लगते हैं, दरअसल वह मसूरी के हैं.
हिमाचल से उत्तराखंड लाई गई 'द कश्मीर फाइल्स' की शूटिंग: इन दिनों पूरे देश को हिलाकर रखने वाली बॉलीवुड फिल्म कश्मीर फाइल्स की 90 फीसदी शूटिंग उत्तराखंड में हुई है. इसका ज्यादातर हिस्सा देहरादून और मसूरी में फिल्माया गया है. बॉलीवुड फिल्म 'द कश्मीर फाइल्स' के लिए लाइन प्रोडक्शन का काम देहरादून बेस्ड लाइन प्रोडक्शन कंपनी The Buzzz Makers ने किया है. यह प्रोडक्शन कंपनी उत्तराखंड की कंपनी है. इसमें ज्यादातर काम करने वाले लोग भी उत्तराखंड से आने वाले हैं.
तीन साल पहले शुरू हुई शूटिंग: 'द कश्मीर फाइल्स' के लाइन प्रोड्यूसर गौरव गौतम ने बताया कि कश्मीर फाइल्स की शूटिंग तीन साल पहले शुरू हुई थी. शुरुआती दौर में इस फिल्म को हिमाचल के किसी पहाड़ी इलाके में फिल्माए जाने की प्लानिंग की गई थी. लेकिन द बज्ज मेकर्स लाइन प्रोडक्शन कंपनी ने इस फिल्म के डायरेक्टर विवेक रंजन अग्निहोत्री को उत्तराखंड में इस फिल्म की शूटिंग के लिए कहा.
लाइन प्रोडक्शन कंपनी ने विवेक रंजन अग्निहोत्री को बताया कि उत्तराखंड में भी बेहद अच्छी लोकेशन हैं, जिन पर एक बार विचार किया जाना चाहिए. जिसके बाद विवेक रंजन अग्निहोत्री ने उत्तराखंड के मसूरी सहित कई इलाकों को इस फिल्म के लिए चयनित किया. इसीलिए फिल्म मेकर्स ने मसूरी की वादियों को हू-ब-हू कश्मीर बनाने का काम किया है. मसूरी की वादियां कहीं पर भी कश्मीर की वादियों से कमतर नजर नहीं आ रही हैं.
पढ़ें- फिल्म 'द कश्मीर फाइल्स' से कश्मीरी पंडितों की मौत और विस्थापन पर छिड़ी बहस
पीएम मोदी ने भी की तारीफ: 'द कश्मीर फाइल्स' महज एक फिल्म नहीं बल्की कश्मीरी पंडितों के दर्द की दास्तां है, जो जख्म वर्षों पहले कश्मीरी पंडितों को मिले थे, वह आज तक हरे हैं. यह फिल्म देखने के बाद हर कोई भावुक हो रहा है. इस फिल्म को प्रधानमंत्री मोदी समेत राज्य सरकारों द्वारा भी सराहा जा रहा है. इस फिल्म के निर्माण में किस हद तक चुनौतियां सामने आई होंगी इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि जब शूटिंग के दौरान तिरंगे को उखाड़ कर फेंकने का सीन फिल्माया गया, तो बवाल मच गया था.
'द कश्मीर फाइल्स को फिल्माना बड़ी चुनौती थी: 'द कश्मीर फाइल्स' के लाइन प्रोड्यूसर पर्व बाली ने बताया कि 'द कश्मीर फाइल्स' को फिल्माना उनके लिए एक बड़ी चुनौती थी. पर्व बाली बताते हैं कि इस फिल्म की शूटिंग के दौरान फिल्माए जाने वाले कई सीन बवाल खड़ा कर देते थे. मसूरी लालटिब्बा क्षेत्र में फिल्माए गए आतंकवादियों द्वारा तिरंगे को उखाड़ कर फेंक देने वाला सीन जब फिल्माया गया, तो स्थानीय लोगों ने इसका बहुत विरोध किया. क्योंकि कोई भी भारतवासी इस तरह का सीन बर्दाश्त नहीं कर सकता है.
पढ़ें- 'द कश्मीर फाइल्स' देख फूट-फूटकर रोई महिला, डायरेक्टर के पैर छूकर किया धन्यवाद
हालांकि, फिल्म निर्माताओं ने मसूरी के लोगों को समझाने की बहुत कोशिश की लेकिन कोई भी मानने को तैयार नहीं था. उस वक्त लोगों को यह समझ में नहीं आ रहा था कि यह क्या हो रहा है? इसी तरह से तमाम दीवारों पर भारत विरोधी नारे लिख देना और आतंकवादियों के झुंड से कश्मीर का वह माहौल बना देना, कहीं ना कहीं लोगों का विरोध का कारण बनता था. ऐसी कई चुनौतियों का सामना करते हुए फिल्म निर्माताओं ने कश्मीरी पंडितों के दर्द को पर्दे पर उतारा है. आज फिल्म को पर्दे पर देखकर हमारे जेहन में सिरहन हो उठती है. उस वक्त अगर फिल्म को फिल्माने में थोड़ा भी कसर छोड़ी जाती तो आज यह फिल्म लोगों के दिलों पर उतना असर नहीं कर पाती.
पढ़ें- बॉक्स ऑफिस पर फायर निकली 'द कश्मीर फाइल्स', 5 दिन में 50 करोड़ के पार पहुंची कमाई
मसूरी का लाइब्रेरी इलाका बन गया श्रीनगर का लाल चौक: 'द कश्मीर फाइल्स' में सबसे ज्यादा फेमस लाल चौक का वह सीन हुआ है, जहां पर फिल्म के मुख्य किरदार अनुपम खेर शिवजी के वेश में मौजूद रहते हैं. इस सीन को मसूरी के लाइब्रेरी चौक पर फिल्माया गया है. एक नजर में देखकर यह पहचाना बेहद मुश्किल है कि वह मसूरी का लाइब्रेरी चौक है या श्रीनगर का लाल चौक.
पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत का मिला सहयोग: द बज्ज मेकर्स ने बताया कि इस काम में उत्तराखंड के स्थानीय प्रशासन का बेहद सहयोग मिला. शासन प्रशासन के साथ-साथ मुख्य रूप से उस समय के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत के सहयोग से इस फिल्म को फिल्माना संभव हो पाया. लाल चौक का पूरा सेट मसूरी लाइब्रेरी चौक पर बनाया गया. तमाम दुकानों के बोर्ड उर्दू में कर दिए गए. जिस पर वहां के व्यापारियों को भी समझ नहीं आया कि यह क्या हो रहा है. लेकिन अब मसूरी के लोग इस फिल्म को देखेंगे तो समझ आएगा कि उस वक्त आखिर क्या हो रहा था?
स्थानीय लोगों को मिला मौका: प्रोडक्शन कंपनी का कहना है कि इस फिल्म में कई जूनियर आर्टिस्ट और साइड आर्टिस्ट के रूप में उत्तराखंड के लोगों को मौका मिला है. इसके अलावा इस फिल्म के उत्तराखंड में फिल्माए जाने से कई लोगों को रोजगार भी मिला है. फिल्म के निर्देशक विवेक रंजन अग्निहोत्री ने बाकायदा लाइन प्रोडक्शन कंपनी के लिए एक वीडियो जारी किया है. साथ ही उत्तराखंड की खूबसूरती के साथ-साथ उत्तराखंड में फिल्म फ्रेंडली माहौल को ले करके भी उत्तराखंड की खूब तारीफ की है.
पढ़ें- मसूरी में चल रही 'द कश्मीर फाइल्स' की शूटिंग, तीन दिग्गज अभिनेता एक साथ आएंगे नजर
'द कश्मीर फाइल्स' की बंपर कमाई: फिल्म 'द कश्मीर फाइल्स' 11 मार्च को देशभर के चुनिंदा सिनेमाघरों में रिलीज हुई थी. फिल्म ट्रेड एनालिस्ट तरण आदर्श के मुताबिक, फिल्म ने फर्स्ट डे 3.55 करोड़, दूसरे दिन (12 मार्च) 8.50 करोड़ और तीसरे दिन (13 मार्च) 15.10 करोड़, चौथे दिन (14 मार्च) 15.05 करोड़ और पांचवें दिन (15 मार्च) को 18 करोड़ की कमाई की थी. फिल्म की पांच दिनों में कुल कमाई 60.20 करोड़ रुपये आंकी गई है. बॉक्स ऑफिस पर अभी भी फिल्म की कमाई बढ़ती जा रही है. वहीं, ट्रेड एक्सपर्ट्स का मानना है कि फिल्म बॉक्स ऑफिस पर 300 से 350 करोड़ रुपये कमाने में कामयाब हो सकती है.
क्या है फिल्म की कहानी? फिल्म 'द कश्मीर फाइल्स' का निर्देशन विवेक अग्निहोत्री ने किया है. फिल्म 1990 में कश्मीरी पंडितों की दर्दनाक कहानी को बयां करती है. बता दें, अनुपम खेर खुद कश्मीर से संबंध रखते हैं और हाल ही में एक्टर ने इस त्रासदी के बारे में सोशल मीडिया पर बताया था. ‘द कश्मीर फाइल्स’ एक सच्ची कहानी है. यह कश्मीरी पंडितों की पहली पीढ़ी के लोगों के इंटरव्यू लेकर तैयार की गई है. त्रासदी के 32 साल होने पर एक्टर ने फिल्म से कई बीटीएस तस्वीरें भी शेयर की थी.
फिल्म में अनुपम खेर के अलावा मिथुन चक्रवर्ती और दिग्गज अभिनेत्री पल्लवी जोशी भी नजर आ रही हैं. बता दें कि यह फिल्म 26 जनवरी 2022 को रिलीज होनी थी, लेकिन कोविड-19 की वजह से फिल्म की रिलीज डेट को पोस्टपोन कर दिया गया था.
कश्मीरी पंडितों पर हुए अत्याचार पर है फिल्म 'द कश्मीर फाइल्स': कश्मीरी पंडितों पर 1989-90 और उसके बाद तक हुए अत्याचार दर्द और पीड़ा की कहानी को विवेक अग्निहोत्री ने बिना फिल्टर के साथ दर्शकों के सामने पेश किया है. विवेक अग्निहोत्री ने मीडिया से बातचीत में कहा है कि उन्होंने ना किसी को सही बताया, ना किसी को गलत. सिर्फ वही दिखाया जो इतिहास में हुआ. वहीं, थिएटर से निकल रहे हर दूसरे इंसान की आंखों में आंसू नजर आ रहे हैं.