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छोटू चायवाले ने बयां किया उस रात का 'खौफनाक मंजर', ताबड़तोड़ गोलियों के बीच कई लोगों को पहुंचाया था अस्पताल - 15 years of terrorist attack

देश की आर्थिक राजधानी मुंबई पर 26 नवंबर 2008 को हुए आतंकवादी हमले को कल 15 साल हो जाएंगे. 26/11 के इस आतंकी हमले में कई लोगों की जान बचाने वाले छोटू चायवाले ने 'ईटीवी भारत' के साथ पंद्रह साल पहले की वो कड़वी यादें साझा की हैं.Mumbai terror attack, Mohammad Taufik Shaikh, Chhotu Chai Wala, 15 years of Mumbai Attack.

15 years of terrorist attack
आतंकी हमले के 15 साल
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 25, 2023, 10:26 PM IST

खास बातचीत

मुंबई: मुंबई में हुए भीषण आतंकी हमले को कल 15 साल हो जाएंगे. छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस (सीएसएमटी) के पड़ोस में सेंट जॉर्ज अस्पताल के सामने छोटू चायवाला के नाम से मशहूर मोहम्मद तौफीक शेख 26/11 के आतंकी हमले में बाल-बाल बच गए थे.

छोटू चायवाला ने कहा कि उन्हें आज भी वह काली रात याद है जब पाकिस्तानी आतंकवादी अजमल कसाब और इस्माइल खान ने लोगों पर गोलियां चलाकर उन्हें मार डाला था. कई लोग घायल हो गए थे. छोटू ने बताया कि 'जब मैं छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म नंबर 21 से 26 पर चाय के पैसे लेने गया तो वहां मेरी जान ही निकल गई. लेकिन मैं हजारों नागरिकों की जान बचा सका.'

छोटू चायवाले के सामने पंद्रह साल पहले की वो कड़वी यादें ताजा हो गईं. छोटू की 26/11 की बहादुरी के लिए उसे 27 पुरस्कार और कुछ वित्तीय सहायता मिली.

'मैं बिहार के डुमरी गांव से हूं. जब मैं दस साल का था, तब मेरी मां के निधन के बाद मैं बिहार छोड़कर मुंबई आ गया. अब 39 साल की उम्र तक मुंबई में हूं. मेरी दोनों बेटियां 7वीं और 9वीं कक्षा में पढ़ रही हैं. रेलवे और राज्य सरकार ने मदद के कई वादे किए लेकिन उन्होंने इसे पूरा नहीं किया. मुंबई में हुआ ये भयानक हमला कहीं और नहीं दोहराया जाना चाहिए.'-मोहम्मद तौफीक शेख (छोटू चायवाला)

क्या हुआ था उस रात : छोटू चायवाला ने कहा, 'मैं रात 9 बजे के आसपास दिन की चाय के पैसे इकट्ठा करने गया था. मैं प्लेटफॉर्म नंबर 21 से 26 पर पैसे इकट्ठा करने जा रहा था. तभी मैंने गोलियों की आवाज सुनी. मुझे लगा कि पटाखे हैं क्योंकि उसी समय भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच क्रिकेट मैच चल रहे थे. अगले ही पल मैंने विस्फोट और गोलियों की आवाज सुनी. मैं यह देखने गया कि शोर क्या था और मैंने दो लोगों को बड़ी बंदूकों से लैस देखा. पहले मुझे लगा कि यह कमांडो हैं, जो लोगों को गोली मार रहे हैं. एक पल के लिए मुझे लगा कि मैं भी मर जाऊंगा, इसलिए मैंने अपनी पत्नी को फोन किया और उससे कहा कि मैं घर वापस नहीं आ पाऊंगा.'

छोटू चायवाले ने की मदद: छोटू चायवाला ने कहा 'जब गोलियों की आवाज आई तो मैं टिकट काउंटर के पास मेडिकल शॉप के पास खड़ा था. मैंने गोलियों की आवाज सुनकर चिल्लाना शुरू कर दिया. उस समय छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस रेलवे स्टेशन से कई लोग बाहर आ गए. लगभग 75 प्रतिशत यात्रियों में से पच्चीस प्रतिशत बाहर निकल गए. काफी यात्री अंदर फंसे हुए थे.

हम आठ से दस लोग टिकट काउंटर पर थे. कसाब ने टिकट काउंटर के सामने आकर गोलियां चला दीं. टिकट काउंटर में जहां हम खड़े थे, उस टिकट काउंटर का शीशा और टेबल टूट गए. स्टेशन मास्टर की गर्दन के पास कांच का टुकड़ा फंस गया. स्टेशन मास्टर का नाम एसएन जाधव था.

छोटू चायवाला ने बताया कि उन्होंने फिर घायलों की मदद करना शुरू किया. जान बचाने के लिए ठेले का सहारा लिया गया. कई घायलों को सीएसटी स्टेशन के पीछे से ठेले से सेंट जॉर्ज हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया. जबकि घायल रेलवे स्टेशन मास्टर को भायखला स्थित रेलवे अस्पताल में भर्ती कराया गया.

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छोटू चायवाला ने कहा कि उन्हें आज भी वह काली रात याद है जब पाकिस्तानी आतंकवादी अजमल कसाब और इस्माइल खान ने लोगों पर गोलियां चलाकर उन्हें मार डाला था. कई लोग घायल हो गए थे. छोटू ने बताया कि 'जब मैं छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म नंबर 21 से 26 पर चाय के पैसे लेने गया तो वहां मेरी जान ही निकल गई. लेकिन मैं हजारों नागरिकों की जान बचा सका.'

छोटू चायवाले के सामने पंद्रह साल पहले की वो कड़वी यादें ताजा हो गईं. छोटू की 26/11 की बहादुरी के लिए उसे 27 पुरस्कार और कुछ वित्तीय सहायता मिली.

'मैं बिहार के डुमरी गांव से हूं. जब मैं दस साल का था, तब मेरी मां के निधन के बाद मैं बिहार छोड़कर मुंबई आ गया. अब 39 साल की उम्र तक मुंबई में हूं. मेरी दोनों बेटियां 7वीं और 9वीं कक्षा में पढ़ रही हैं. रेलवे और राज्य सरकार ने मदद के कई वादे किए लेकिन उन्होंने इसे पूरा नहीं किया. मुंबई में हुआ ये भयानक हमला कहीं और नहीं दोहराया जाना चाहिए.'-मोहम्मद तौफीक शेख (छोटू चायवाला)

क्या हुआ था उस रात : छोटू चायवाला ने कहा, 'मैं रात 9 बजे के आसपास दिन की चाय के पैसे इकट्ठा करने गया था. मैं प्लेटफॉर्म नंबर 21 से 26 पर पैसे इकट्ठा करने जा रहा था. तभी मैंने गोलियों की आवाज सुनी. मुझे लगा कि पटाखे हैं क्योंकि उसी समय भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच क्रिकेट मैच चल रहे थे. अगले ही पल मैंने विस्फोट और गोलियों की आवाज सुनी. मैं यह देखने गया कि शोर क्या था और मैंने दो लोगों को बड़ी बंदूकों से लैस देखा. पहले मुझे लगा कि यह कमांडो हैं, जो लोगों को गोली मार रहे हैं. एक पल के लिए मुझे लगा कि मैं भी मर जाऊंगा, इसलिए मैंने अपनी पत्नी को फोन किया और उससे कहा कि मैं घर वापस नहीं आ पाऊंगा.'

छोटू चायवाले ने की मदद: छोटू चायवाला ने कहा 'जब गोलियों की आवाज आई तो मैं टिकट काउंटर के पास मेडिकल शॉप के पास खड़ा था. मैंने गोलियों की आवाज सुनकर चिल्लाना शुरू कर दिया. उस समय छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस रेलवे स्टेशन से कई लोग बाहर आ गए. लगभग 75 प्रतिशत यात्रियों में से पच्चीस प्रतिशत बाहर निकल गए. काफी यात्री अंदर फंसे हुए थे.

हम आठ से दस लोग टिकट काउंटर पर थे. कसाब ने टिकट काउंटर के सामने आकर गोलियां चला दीं. टिकट काउंटर में जहां हम खड़े थे, उस टिकट काउंटर का शीशा और टेबल टूट गए. स्टेशन मास्टर की गर्दन के पास कांच का टुकड़ा फंस गया. स्टेशन मास्टर का नाम एसएन जाधव था.

छोटू चायवाला ने बताया कि उन्होंने फिर घायलों की मदद करना शुरू किया. जान बचाने के लिए ठेले का सहारा लिया गया. कई घायलों को सीएसटी स्टेशन के पीछे से ठेले से सेंट जॉर्ज हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया. जबकि घायल रेलवे स्टेशन मास्टर को भायखला स्थित रेलवे अस्पताल में भर्ती कराया गया.

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