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हाईकोर्ट ने रद्द किया सांसद नवनीत कौर का जाति प्रमाण पत्र

महाराष्ट्र के अमरावती की सांसद नवनीत राणा का जाति प्रमाण पत्र (Navneet Rana Caste Certificate) बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) ने रद्द कर दिया है. उनके जाति प्रमाण पत्र को शिवसेना नेता और उनके चुनावी प्रतिद्वंद्वी आनंदराव अदसुल ने कोर्ट में चुनौती दी थी. हाई कोर्ट के फैसले के बाद कौर ने कहा है कि वह फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएंगी.

अमरावती की सांसद
अमरावती की सांसद
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Published : Jun 8, 2021, 1:21 PM IST

Updated : Jun 9, 2021, 6:12 PM IST

मुंबई : बंबई उच्च न्यायालय (Bombay High Court) ने अमरावती से लोकसभा सदस्य नवनीत राणा (Navneet Rana) को जारी जाति प्रमाणपत्र मंगलवार को रद्द कर दिया और कहा कि प्रमाणपत्र जाली दस्तावेजों का इस्तेमाल कर धोखाधड़ी से प्राप्त किया गया था. अदालत ने सांसद को छह सप्ताह के अंदर प्रमाणपत्र वापस करने का निर्देश दिया.

न्यायमूर्ति आर डी धनुका और न्यायमूर्ति वी जी बिष्ट की खंडपीठ ने उन पर दो लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया जो उन्हें दो सप्ताह के भीतर महाराष्ट्र विधिक सेवा प्राधिकरण में जमा कराना होगा.

अदालत ने कहा कि राणा ने अनुसूचित जाति प्रमाणपत्र प्राप्त करने के लिए 'मोची' जाति से संबंधित होने का दावा किया और यह इस श्रेणी के उम्मीदवार को उपलब्ध होने वाले विभिन्न लाभों को हासिल करने के इरादे से किया गया था जबकि उन्हें मालूम है कि वह उस जाति से संबंधित नहीं हैं.

नवनीत राणा (Navneet Rana) 2019 में महाराष्ट्र के अमरावती लोकसभा (Amravati Lok Sabha) क्षेत्र से निर्वाचित हुयी थीं.

अनुसूचित जाति के उम्मीदवार
उच्च न्यायालय ने अपने निर्णय में कहा, 'आवेदन (जाति प्रमाण पत्र के लिए) जानबूझकर कपटपूर्ण दावा करने के लिए किया गया था ताकि प्रतिवादी संख्या 3 (राणा) को अनुसूचित जाति के उम्मीदवार के वास्ते आरक्षित सीट पर संसद सदस्य के पद के लिए चुनाव लड़ने में सक्षम बनाया जा सके.' पीठ ने कहा कि प्रमाणपत्र जाली दस्तावेजों का इस्तेमाल कर धोखाधड़ी से प्राप्त किया गया था और इसलिए ऐसा जाति प्रमाण पत्र रद्द कर दिया जाता है.

यह भी पढ़ें- MP नवनीत राणा ने शिवसेना सांसद पर धमकी देने का लगाया आरोप

पीठ ने कहा, 'हमारे विचार में प्रतिवादी संख्या तीन ने जाति प्रमाण पत्र फर्जी दस्तावेजों के आधार पर जाति जांच समिति से धोखे से सत्यापित करवाया था. इसलिए जाति प्रमाण पत्र रद्द कर उसे जब्त कर लिया गया है.'

राणा को 'मोची' जाति से संबंधित बताया था
उच्च न्यायालय ने सामाजिक कार्यकर्ता आनंदराव अदसुले की याचिका पर यह आदेश दिया जिसमें 30 अगस्त, 2013 को मुंबई के उपजिलाधिकारी द्वारा जारी जाति प्रमाण पत्र रद्द (Caste Certificate Cancel) करने का अनुरोध किया था, जिसमें राणा को 'मोची' जाति से संबंधित बताया गया था.

अदसुले ने बाद में मुंबई जिला जाति प्रमाणपत्र जांच समिति में शिकायत दर्ज कराई, जिसने राणा के पक्ष में फैसला सुनाया और उसके जाति प्रमाण पत्र को मान्य किया. इसके बाद अदसुले ने उच्च न्यायालय में अपील दायर की.

सांसद नवनीत राणा से जुड़ी खबरें-

मैं जनता के हित के मुद्दे संसद में उठाऊंगी : नवनीत राणा

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याचिका में दावा किया गया था कि नवनीत राणा के पति रवि राणा के प्रभाव के कारण प्रमाण पत्र प्राप्त किया गया था, जो महाराष्ट्र विधानसभा के सदस्य थे. पीठ ने कहा कि नवनीत राणा के मूल जन्म प्रमाण पत्र में 'मोची' जाति का उल्लेख नहीं है.

(एक्सट्रा इनपुट- पीटीआई-भाषा)

मुंबई : बंबई उच्च न्यायालय (Bombay High Court) ने अमरावती से लोकसभा सदस्य नवनीत राणा (Navneet Rana) को जारी जाति प्रमाणपत्र मंगलवार को रद्द कर दिया और कहा कि प्रमाणपत्र जाली दस्तावेजों का इस्तेमाल कर धोखाधड़ी से प्राप्त किया गया था. अदालत ने सांसद को छह सप्ताह के अंदर प्रमाणपत्र वापस करने का निर्देश दिया.

न्यायमूर्ति आर डी धनुका और न्यायमूर्ति वी जी बिष्ट की खंडपीठ ने उन पर दो लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया जो उन्हें दो सप्ताह के भीतर महाराष्ट्र विधिक सेवा प्राधिकरण में जमा कराना होगा.

अदालत ने कहा कि राणा ने अनुसूचित जाति प्रमाणपत्र प्राप्त करने के लिए 'मोची' जाति से संबंधित होने का दावा किया और यह इस श्रेणी के उम्मीदवार को उपलब्ध होने वाले विभिन्न लाभों को हासिल करने के इरादे से किया गया था जबकि उन्हें मालूम है कि वह उस जाति से संबंधित नहीं हैं.

नवनीत राणा (Navneet Rana) 2019 में महाराष्ट्र के अमरावती लोकसभा (Amravati Lok Sabha) क्षेत्र से निर्वाचित हुयी थीं.

अनुसूचित जाति के उम्मीदवार
उच्च न्यायालय ने अपने निर्णय में कहा, 'आवेदन (जाति प्रमाण पत्र के लिए) जानबूझकर कपटपूर्ण दावा करने के लिए किया गया था ताकि प्रतिवादी संख्या 3 (राणा) को अनुसूचित जाति के उम्मीदवार के वास्ते आरक्षित सीट पर संसद सदस्य के पद के लिए चुनाव लड़ने में सक्षम बनाया जा सके.' पीठ ने कहा कि प्रमाणपत्र जाली दस्तावेजों का इस्तेमाल कर धोखाधड़ी से प्राप्त किया गया था और इसलिए ऐसा जाति प्रमाण पत्र रद्द कर दिया जाता है.

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पीठ ने कहा, 'हमारे विचार में प्रतिवादी संख्या तीन ने जाति प्रमाण पत्र फर्जी दस्तावेजों के आधार पर जाति जांच समिति से धोखे से सत्यापित करवाया था. इसलिए जाति प्रमाण पत्र रद्द कर उसे जब्त कर लिया गया है.'

राणा को 'मोची' जाति से संबंधित बताया था
उच्च न्यायालय ने सामाजिक कार्यकर्ता आनंदराव अदसुले की याचिका पर यह आदेश दिया जिसमें 30 अगस्त, 2013 को मुंबई के उपजिलाधिकारी द्वारा जारी जाति प्रमाण पत्र रद्द (Caste Certificate Cancel) करने का अनुरोध किया था, जिसमें राणा को 'मोची' जाति से संबंधित बताया गया था.

अदसुले ने बाद में मुंबई जिला जाति प्रमाणपत्र जांच समिति में शिकायत दर्ज कराई, जिसने राणा के पक्ष में फैसला सुनाया और उसके जाति प्रमाण पत्र को मान्य किया. इसके बाद अदसुले ने उच्च न्यायालय में अपील दायर की.

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याचिका में दावा किया गया था कि नवनीत राणा के पति रवि राणा के प्रभाव के कारण प्रमाण पत्र प्राप्त किया गया था, जो महाराष्ट्र विधानसभा के सदस्य थे. पीठ ने कहा कि नवनीत राणा के मूल जन्म प्रमाण पत्र में 'मोची' जाति का उल्लेख नहीं है.

(एक्सट्रा इनपुट- पीटीआई-भाषा)

Last Updated : Jun 9, 2021, 6:12 PM IST
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