श्रीनगर: जम्मू कश्मीर की ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर में तीन दशक बाद गुरु बाजार से डलगेट तक पारंपरिक मार्ग पर 8वां मुहर्रम जुलूस निकाला गया. इस स्थानीय पुलिस बल के साथ भारतीय सेना के जवान भी मौजूद रहे. यह पारंपरिक जुलूस शहीद गंज से शुरू होकर डलगेट पर खत्म हुआ. इस पारंपरिक जुलूस पर 1989 से प्रतिबंध लगा दिया गया था.
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#WATCH | Srinagar, J&K | Muharram procession taken out through its historic route in the city. The procession was allowed from 6 am to 8 am today, by the Administration. pic.twitter.com/fqbq6uOGwP
— ANI (@ANI) July 27, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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— ANI (@ANI) July 27, 2023#WATCH | Srinagar, J&K | Muharram procession taken out through its historic route in the city. The procession was allowed from 6 am to 8 am today, by the Administration. pic.twitter.com/fqbq6uOGwP
— ANI (@ANI) July 27, 2023
दरअसल, जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने बुधवार को तीन दशक बाद मुहर्रम जुलूस की औपचारिक अनुमति दे दी. डिविजनल कमिश्नर विजय कुमार बिधूड़ी ने कहा कि सुबह छह बजे से आठ बजे तक दो घंटे के लिए जुलूस निकालने की अनुमति थी. उन्होंने कहा कि मौजूदा स्थिति के सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए यह फैसला लिया गया है. डिविजनल कमिश्नर विजय कुमार बिधूड़ी ने कश्मीरी जनता और शिया समुदाय को बधाई दी है. उन्होंने कहा कि यह वर्तमान शांतिपूर्ण माहौल में उनके योगदान के कारण है, जिसने प्रशासन के लिए यह ऐतिहासिक निर्णय लेना सुविधाजनक बना दिया है.
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बिधूड़ी ने कहा कि शिया समुदाय के प्रतिनिधियों और गुरुबाजार की स्थानीय समिति के साथ कई दौर की बातचीत के बाद यह फैसला लिया गया. जुलूस के दौरान सुरक्षा के पुख्ता प्रतिबंध किए गए. दरअसल, साल 1989 में जब कश्मीर में उग्रवाद शुरू हुआ तो राज्य के तत्कालीन राज्यपाल जगमोहन ने कश्मीर में मुहर्रम जुलूस पर प्रतिबंध लगा दिया था. जुलूस की अनुमति देने के प्रशासन के फैसले को अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद घाटी में शांति के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि माना जा रहा है.