लुधियाना : सांसद रवनीत सिंह बिट्टू को पार्लिमेंट में दी गई जिम्मेदारी को लेकर पंजाब में सियासी हलचल तेज हो चुकी है. सियासी गलियारों में अब अटकलें यह है कि रवनीत बिट्टू के 10 जनपथ यानी कि हाईकमान के साथ तालमेल अच्छे हैं. इस वजह से 2022 विधानसभा चुनावों में टिकट आवंटन से लेकर कार्यकारिणी गठन में उन्हें नजरअंदाज करना मुश्किल होगा.
वहीं राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की तरफ से जिस तरीके से नवजोत सिंह सिद्धू पर खेले दांवपेच के चलते उन्हें साइड लाइन किया गया. वही रवनीत सिंह बिट्टू को दिल्ली में ही बैठने को मजबूर कर दिया है. चर्चा यह भी है कि नवजोत सिंह सिद्धू का मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ अब खुद हाईकमान पैचअप करवाएंगी. पंजाब में अगर सियासी समीकरण बदलते हैं तो नवजोत सिंह सिद्धू को ग्रामीण क्षेत्रों में प्रचार करने के लिए भेजा जा सकता है.
कांग्रेस करतारपुर कॉरिडोर मामले को लेकर ग्रामीणों की सहानुभूति हासिल करना चाहेगा. नवजोत सिंह सिद्धू एक अच्छे स्टार प्रचारक हैं. रही बात रवनीत बिट्टू की तो उनके भी मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ संबंध कुछ अच्छे नहीं है. पंजाब की सियासत में बड़ा पद पाने की रेस में बिट्टू भी शामिल हैं. स्वास्थ्य मंत्री बलबीर सिंह सिद्धू ने कहा कि पंजाब में इसका कोई भी असर नहीं देखने को मिलेगा और हाईकमान को जो अच्छा लगा उन्होंने सीनियर सांसद रवनीत सिंह बिट्टू को एक अच्छा पद दिया है.
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कैबिनेट मंत्री अरुणा चौधरी ने कहा कि बंगाल चुनाव में व्यस्त होने के चलते अधीर रंजन चौधरी को भेजा गया है. वहीं उनकी जगह पार्लिमेंट में रवनीत सिंह बिट्टू सांसदों की अगुवाई करेंगे लेकिन इसका पंजाब की सियासत पर कोई ज्यादा असर नहीं पड़ेगा.