ग्वालियर। जैसे-जैसे मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव नजदीक आते जा रहे हैं वैसे ही ग्वालियर चंबल अंचल में राजनीतिक दलों की सक्रियता काफी तेज हो गई है. बीजेपी और कांग्रेस की तरफ से तमाम बड़े दिग्गजों ने यहां पर डेरा डालना शुरू कर दिया है और लगातार अपने कार्यकर्ता और नेताओं के साथ रणनीति तैयार करने में लगे हुए हैं. इसी बीच अंचल में तीसरी राजनीतिक पार्टी के रूप में आम आदमी पार्टी भी कम दिखाई नहीं दे रही है. आम आदमी पार्टी के भी तमाम बड़े नेता यहां पर बैठके कर रहे हैं और कार्यकर्ताओं के साथ मुलाकात करने में जुटे हैं.
1 जुलाई को ग्वालियर दौरे पर केजरीवाल: ग्वालियर चंबल अंचल में बीजेपी कांग्रेस के तमाम दिग्गजों के बीच अब आप पार्टी के सुप्रीमो और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ग्वालियर आ रहे हैं. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल एक जुलाई को ग्वालियर आएंगे, जहां पर विशाल आम सभा को संबोधित करेंगे. इस आम सभा में पूरे प्रदेश भर से लगभग एक लाख की अधिक संख्या में लोग शामिल होने का दावा किया जा रहा है. सीएम केजरीवाल की दूरी को लेकर आप पार्टी के वरिष्ठ नेतृत्व ने दिल्ली से यहां पर डेरा डाल दिया है और लगातार रणनीति बनाने में लगे हुए हैं.
'आप' की सक्रियता से बीजेपी-कांग्रेस की उड़ी नींद: वही, अंचल में आम आदमी पार्टी की दस्तक के बाद सबसे ज्यादा परेशानी बीजेपी और कांग्रेस में दिखाई दे रखी है. भले ही बीजेपी और कांग्रेस के नेता यह कहते हुए दिखाई दे रहे हैं कि 'आप' पार्टी से उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है, लेकिन असल में सच्चाई यह है कि 'आप' की सक्रियता से बीजेपी और कांग्रेस की नींद उड़ी हुई हैं. इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि बीजेपी और कांग्रेस से नाराज नेता और कार्यकर्ता आम आदमी पार्टी के संपर्क में हैं. साथ ही बीजेपी और कांग्रेस से नाराज जनता को भी तीसरे दल के रूप में आम आदमी पार्टी का साथ मिल गया है.
भाजपा को सबसे ज्यादा नुकसान: ग्वालियर चंबल अंचल में आम आदमी पार्टी से बीजेपी और कांग्रेस दोनों की चिंता बड़ी हुई है. हालांकि दोनों के कारण अलग-अलग हैं. आम आदमी पार्टी ने स्थानीय निकाय चुनाव में बीजेपी को काफी नुकसान पहुंचा था. ग्वालियर और मुरैना दोनों सीटें बीजेपी इसलिए हार गई थी क्योंकि आम आदमी पार्टी के प्रत्याशियों ने यहां पर काफी वोट हासिल कर लिए थे. माना जाता है कि शहरी क्षेत्र में बीजेपी की पकड़ काफी मजबूत है इसलिए जो वोट आम आदमी पार्टी को गया उसमें से ज्यादातर बीजेपी का वोट बैंक था. यही कारण है कि 57 साल बाद कांग्रेस ग्वालियर नगर निगम जीत गई और बीजेपी का यह किला ढह गया. क्योंकि आम आदमी पार्टी की प्रत्याशी रुचि राय गुप्ता ने लगभग 30000 वोट हासिल किए थे और बीजेपी की मेयर प्रत्याशी लगभग 10000 वोट से चुनाव हार गई थीं. ऐसा ही आंकड़ा मुरैना नगर निगम का भी है. बीजेपी को लगता है अगर शहरी क्षेत्र में आम आदमी पार्टी के प्रति वोटों का रुझान बढ़ा तो सबसे ज्यादा नुकसान उसी को होगा. उधर आम आदमी पार्टी नगर निगम चुनावों के बाद से लगातार ग्रामीण क्षेत्रों में अपने संगठन को तैयार करने और पकड़ बनाने में जुटी हुई है.
कांग्रेस के वोट बैंक में सेंध! ग्वालियर चंबल अंचल में कांग्रेस का ग्रामीण क्षेत्रों में व्यापक जनाधार है. इसी के चलते 2018 के चुनाव में उसने अंचल की 34 में से 28 सीट पर शानदार जीत हासिल कर ली थी. चुनाव में भी ग्रामीण क्षेत्रों की सीटों पर कांग्रेस को अच्छी सफलता मिली. अब कांग्रेस को यह डर सता रहा है कि अगर आम आदमी पार्टी ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी घुसपैठ बनाएगी तो उसके ही वोट बैंक में सेंध लगेगी.
'आप' के लिए चुनौती भरी MP की राह: बता दें कि ग्वालियर चंबल अंचल में बसपा और समाजवादी पार्टी के बाद अब आप पार्टी अपना भाग्य आजमाने के लिए मैदान में आ गई है. भले ही आप पार्टी ने बीजेपी और कांग्रेस की नींद उड़ा दी है लेकिन अंचल में आप पार्टी के लिए तमाम बड़े दिग्गजों के बीच अपनी रणनीति में कामयाब होना एक बड़ी चुनौती से कम नहीं है.