ग्वालियर। मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव नजदीक है, इस दौरान ग्वालियर चंबल अंचल की राजनीति का कुछ अलग ही अंदाज देखने को मिलता है. आम तौर पर हर जगह चुनाव के वक्त लोग बिजली, पानी और सड़क के लिए माननीय के यहां चक्कर लगाते हैं, लेकिन चंबल में लोगों की माननीय के यहां शस्त्र लाइसेंस बनवाने की होड़ लगी रहती है. यही कारण है कि चुनाव के वक्त यहां रेवड़ी की तरह शस्त्र लाइसेंस बनवाए जाते हैं और खुद माननीय भी अपने समर्थक और कार्यकर्ताओं के लिए बिजली पानी और सड़क के अलावा हथियारों की अनुशंसा बांटते हुए नजर आते हैं. इस समय चुनाव नजदीक होने के कारण चंबल में यही हालत देखने को मिल रहे हैं. इसलिए प्रशासनिक अधिकारियों ने अपने दफ्तरों के सामने शस्त्र लाइसेंस के आवेदन न लेने की सूचना चस्पा कर दी है.
मंत्री-विधायक के पास लाइसेंस बनवाने पहुंचते हैं कई आवेदन: चुनाव के वक्त ग्वालियर चंबल अंचल के सभी मंत्रियों और विधायकों के पास शस्त्र लाइसेंस बनवाने वालों की संख्या सबसे अधिक है. रोज 20-25 से ज्यादा लोग ऐसे हैं, जो मंत्री और विधायक के पास शस्त्र लाइसेंस बनवाने के लिए पहुंच रहे हैं. जहां मंत्री उनकी सूची तैयार कर उन्हें प्रशासन तक भिजवाता है. यही कारण है कि इस समय प्रशासन के अधिकारियों के पास शस्त्र लाइसेंस बनवाने के आवेदनों की संख्या हजारों में हो चुकी है. इसलिए प्रशासन के अधिकारियों ने अपने दफ्तरों के सामने शस्त्र लाइसेंस के आवेदन लेने की सूची चस्पा कर कर दी है. जिला प्रशासन अधिकारियों ने बताया है कि उनका कहना है कि रोज लगभग 20-25 लोग शस्त्र लाइसेंस बनवाने के आवेदन लेकर आ रहे हैं. जिनमें कई मंत्रियों और विधायकों की अनुशंसा की जाती है.
चंबल-अंचल में सबसे ज्यादा शस्त्र लाइसेंस: पूरे मध्य प्रदेश में ग्वालियर चंबल ऐसा इलाका है. जहां पर शस्त्र लाइसेंस की संख्या सबसे अधिक है. अंचल के ग्वालियर, मुरैना, भिंड और दतिया जिले में सबसे ज्यादा शस्त्र लाइसेंस पाए जाते हैं. यहां पर एक लाख से अधिक शस्त्र लाइसेंस की बंदूके मौजूद है. इन शस्त्र लाइसेंस बंदूकों का सबसे अधिक उपयोग स्टेटस सिंबल के लिए होता है. यानी जब अंचल में शादी समारोह या किसी अन्य समारोह में यहां के लोगों को जाना होता है, तो वह अपने कंधे पर लाइसेंसी बंदूक को लटका कर जरूर ले जाते हैं. कहा जाता है कि जिसके पास जिसके कंधे पर लाइसेंसी बंदूक टंगी होती है. उसका समाज में मान सम्मान ज्यादा होता है. यही कारण है कि यहां के लोग मान सम्मान के लिए लाइसेंस बनवाने के लिए हमेशा रास्ता तलाशते हैं.
चंबल-अंचल में शस्त्र लाइसेंस की परंपरा सबसे ज्यादा: वहीं शस्त्र लाइसेंसो की बढ़ती संख्या को लेकर ग्वालियर के कलेक्टर अक्षय कुमार और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने बताया है कि "यह सही बात है शस्त्र लाइसेंस की परंपरा इस क्षेत्र में काफी अधिक है, लेकिन धीरे-धीरे हम इसको कम करने की कोशिश कर रहे हैं. इसको लेकर वरिष्ठ नेताओं और अधिकारियों से बातचीत की है. इसके साथ उन्होंने बताया है कि यहां पर कई बार ऐसा होता है कि किसी को जान का खतरा है या कोई कोर्ट का मामला है, उनको शस्त्र लाइसेंस की अनुशंसा की जाती है. लेकिन जो लोग बिना वजह स्टेटस सिंबल को लेकर शस्त्र लाइसेंस की मांग कर रहे हैं, उनको बिल्कुल भी नहीं दिया जाएगा. इसके अलावा यहां के लोग सबसे अधिक शस्त्र लाइसेंस का उपयोग सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी के लिए उपयोग करना एक बड़ी वजह है."
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यहां स्टेटस सिंबल है शस्त्र लाइसेंस: वहीं मंत्री और जिला प्रशासन द्वारा शस्त्र लाइसेंस की अनुशंसा को लेकर कहा है कि "ग्वालियर चंबल-अंचल में यहां का व्यक्ति काफी स्वाभिमानी है. शस्त्र लाइसेंस बंदूक एक प्रतिष्ठा का विषय भी बन गया है. इस इलाके में पहले धन आता है, तो सबसे पहले वह अपना हथियार खरीदता है. उसके बाद अन्य सुविधाओं पर वह पैसा खर्च करता है, लेकिन यहां के जो नेता है, वह इसका पूरा फायदा उठाते हैं. यही कारण है कि यहां के लोग और कार्यकर्ताओं को माननीय ऑब्लाइज करने के लिए शस्त्र लाइसेंस की अनुशंसा करते हैं. जिससे वह चुनाव में काम आ सके. यह जानकार आश्चर्य होगा कि पूरे मध्य प्रदेश में सबसे अधिक शस्त्र लाइसेंस इस इलाके में है. उनका जमकर दुरुपयोग भी होता है. हर साल लाइसेंस की वजह से कई जाने जाती हैं. यहां पर हत्याएं होती हैं. यहां के नेताओं और अधिकारियों को सोचना चाहिए की शस्त्र लाइसेंस उनको दिया जाए जिसको जरूरत है.