जबलपुर। मध्य प्रदेश के जबलपुर की धर्मशास्त्र नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी ने एक ऐतिहासिक फैसला लेते हुए छात्राओं को मासिक धर्म के दिनों में छुट्टी देने का आदेश जारी किया है. इसके तहत छात्रों को 6 दिनों की छुट्टी मिलेगी, जिसे मेडिकल लीव नहीं माना जाएगा और इन दिनों में भी अनुपस्थित नहीं मानी जाएगी. पीरियड्स लीव देने वाली धर्मशास्त्र नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी देश की पहली यूनिवर्सिटी बन गई है, जिसने अपने यहां यह नियम लागू कर दिया है. इससे पहले केरल की एक यूनिवर्सिटी ने पीरियड्स लीव देने का ऐलान किया था. पहले छात्र ने इस मामले में आवेदन भी कर दिया है और उसे छुट्टी भी दे दी गई है. जिस स्टूडेंट लीडर कार्तिक जैन ने पहली बार इस मांग को उठाया था उसे साथी छात्रों ने पैडमैन की संज्ञा दे दी थी.
स्टूडेंट बार एसोसिएशन की मांग: धर्मशास्त्र नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष कार्तिक जैन ने 26 जनवरी को यूनिवर्सिटी प्रबंधन से पीरियड लीव देने की मांग की थी. लेकिन यूनिवर्सिटी प्रबंधन ने शुरुआती तौर पर स्टूडेंट बार एसोसिएशन की इस मांग को अस्वीकार कर दिया था इसके बाद बार एसोसिएशन ने इस मुद्दे को लेकर यूनिवर्सिटी में छात्रों के बीच ओपन हाउस रखा और सभी छात्र-छात्राओं ने इस मुद्दे पर अपने विचार रखे. इसके बाद यूनिवर्सिटी ने एक मसौदा तैयार किया.
उपस्थिति के नंबर: दरअसल धर्मशास्त्र लॉ यूनिवर्सिटी में छात्र-छात्राओं की क्लास में उपस्थित के नंबर्स दिए जाते हैं. 70% से ज्यादा उपस्थित होने पर तीन प्रतिशत नंबरों का इजाफा मिलता है. लेकिन मेंसुरेशन पीरियड की वजह से कई छात्राओं को मजबूरी में छुट्टी लेनी पड़ती थी और इसका नुकसान छात्रों को उठाना पड़ता था, उनके नंबर काम हो जाते थे. इसीलिए यूनिवर्सिटी प्रबंधन ने फैसला लिया कि अब यदि छात्रों को ज्यादा तकलीफ होती है तो वह पीरियड के दौरान आवेदन कर सकती हैं और उन्हें छुट्टी दे दी जाएगी. लेकिन इसका नुकसान उनके उपस्थिति के अंकों में नहीं होगा.
मेंसुरेशन पीरियड पर बात करना टेबू: इस मुद्दे पर ईटीवी भारत ने यूनिवर्सिटी की छात्र-छात्राओं से बात की. स्टूडेंट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष कार्तिक जैन ने बताया कि ''जब शुरुआत में उन्होंने पीरियड लीव को लेकर चर्चा शुरू की तो उनके ही दोस्तों ने उनका मजाक उड़ाना शुरू कर दिया, यहां तक कि उन्हें पैडमैन की संज्ञा दे दी. लोगों ने बहुत हंसी उड़ाई लेकिन इसके बाद धीरे-धीरे इस पर आपस में चर्चा शुरू हुई और आज इसके सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं.'' वहीं इस मुद्दे पर बोलते हुए सृष्टि का कहना है कि ''जो कदम धर्मशास्त्र नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी ने उठाया है उसे पूरे देश में हर कॉलेज और स्कूल में लागू किया जाना चाहिए.'' इसी मुद्दे पर कसक का कहना है कि ''उन दिनों में बहुत तकलीफ होती है और वह इस तकलीफ को शर्म की वजह से किसी से कह भी नहीं पाती थी.'' सुकन्या का कहना है कि ''जब तकलीफ ज्यादा होती है तो भी कॉलेज नहीं आ पाती हैं, ऐसी स्थिति में उनकी पढ़ाई का नुकसान पहले भी होता था. अब इस नुकसान की कुछ भरपाई हो सकेगी.''
पूरे देश में पहली बार: जबलपुर की धर्मशास्त्र नेशनल ला यूनिवर्सिटी के कुलपति शैलेश ऍन हेडली और डीन डॉक्टर प्रवीण त्रिपाठी का दावा है कि ''उनकी यूनिवर्सिटी देश की पहली ऐसी यूनिवर्सिटी है जिसने पीरियड लीव को फंक्शनल किया है. देश के बाकी यूनिवर्सिटी में इसकी चर्चा हो रही है या फिर दूसरी यूनिवर्सिटीज ने इसे मेडिकल लीव माना है.'' डॉक्टर प्रवीण त्रिपाठी का कहना है कि ''यह मेडिकल लीव नहीं हो सकती, क्योंकि मेंसुरेशन पीरियड कोई बीमारी नहीं है इसलिए इसे बीमारी के लिए दी जाने वाली छुट्टी में नहीं जोड़ा जा सकता.''
यूनिवर्सिटी का अधूतपूर्व फैसला: धर्मशास्त्र लॉ यूनिवर्सिटी ने जिस तरीके से पीरियड लीव को स्वीकृति दी है वह अपने आप में एक अधूतपूर्व फैसला है. क्योंकि अभी मासिक धर्म के विषय में बात करते हुए लड़कियां शर्म महसूस करती थी और उन्हें अपनी तकलीफ को परेशान होकर गुजरना पड़ता था. लेकिन अब इस विषय पर खुलकर चर्चा होगी तो छात्राओं की इस मजबूरी को समझा जा सकेगा और इस दौरान उनकी मदद करने की कोशिश की जाएगी.