भोपाल। मध्यप्रदेश के 2023 के विधानसभा चुनाव में इस बार मर्द भी उतरेगा. आप इस सूचना को कोई आरोप मान लें इसके पहले जरुरी है कि आप ये जान लें कि मर्द है क्या. बेशक अपने नाम के मुताबिक 'मर्द' की लड़ाई पुरुषों के लिए ही है. तो आपको बताते हैं कि ये एमपी चुनाव में उतरने वाला ये मर्द है "मेरा अधिकार राष्ट्रीय दल" जो शार्ट फार्म में 'मर्द' है. इसका नारा ही है बेटों के सम्मान में, मर्द उतरे मैदान में.
चुनाव लड़ पुरुषों की आवाज उठाएगा 'मर्द': जिस वक्त मध्यप्रदेश की राजनीति में बाकी राजनीतिक दल महिलाओं के लिए रियायतों और सौगातों की झड़ी लगाए हुए हैं. वे इसके जरिए जहां अपनी अपनी जीत पक्की करने में जुटे हैं. ऐसे में एक राजनीतिक दल ऐसा भी है जो पीड़ित पुरुषो की आवाज़ बनने के मकसद से चुनावी मैदान में उतर रहा है. मर्द के पदाधिकारियों का कहना है कि कि अगर इस दल को जीत मिली तो सबसे पहले महिला कानूनों की वजह से हो रहा पुरुषों का शोषण रोकने के लिए पुरुष सुरक्षा बिल लाया जाएगा. दल की दलील है कि पुरुष की प्रताड़ना के मामले महिलाओं के दोगुने से भी ज्यादा हैं. इनके आंकडे के मुताबिक भारत में हर साल करीब 90 हजार पुरुष खुदकुशी कर लेते हैं.
2023 के विधानसभा चुनावों में मर्द की एमपी में भी एंट्री: मर्द दल की पूरे देश के 14 राज्यों में इकाईयां गठित हो चुकी हैं. 2018 में वजूद में आए अपनी तरह के इस अनोखे दल की खासियत ये है कि इनका एजेंडा मैनिफैस्टो और प्रचार सबकुछ पुरुषों पर उनके परिवार की माँ, बहनों के साथ होने वाली नाइंसाफी और ज्यादती पर केन्द्रित हैं.
-2019 के लोकसभा चुनाव में लखनऊ और बनारस दो सीटों पर मर्द पार्टी ने अपने उम्मीदवार उतारे थे.
-बनारस में प्रत्याशी आशुतोष पाण्डेय की सभी दस प्रस्तावक महिलाएं थीं.
- इस बार एमपी में 2023 के विधानसभा चुनाव और फिर 2024 में लोक सभा चुनाव में भी पार्टी अपने उम्मीदवार उतारेगी.
- इस पार्टी की नेशनल काउंसिल में अलग अलग राज्यों से 24 सदस्य हैं.
अभी जमीन तैयार कर रहे हैं: पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष कपिल चौधरी कहते हैं, हम अभी जमीन बना रहे हैं. अभी तो चुनावी खर्च भी हमें अपनी ही सेविंग से निकालना पड़ता है. 2023 में अभी थोड़ा समय है. तब तक हम उम्मीदवार तैयार कर रहे हैं. उम्मीदवार तय होने पर हम एमपी में भी विधानसभा चुनाव लड़ेंगे.
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महिलाओं की तुलना में पुरुषों की खुदकुशी के मामले दो गुने: मर्द दल के अध्यक्ष कपिल चौधरी कहते हैं कि पुरुष के अधिकारों पर अतिक्रमण इस समय समाज की सबसे बड़ी चिंता होनी चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं है. एनसीआरबी के आंकड़े देखिए तो 1967 से 2021 तक महिलाओं के मुकाबले पुरुषों की खुदकुशी के मामले दोगुने से ज्यादा हैं. कपिल कहते हैं कि हमने ये दल पुरुष के सम्मान व अधिकारों की रक्षा और परिवार बचाने के लिए बनाया है. हमारा कहना है कि कानून ऐसा हो जो पुरुषों और उनके परिवारो के लिए न्याय संगत हो.
हमारी लड़ाई कठिन, लेकिन लड़ते रहेंगे: कपिल मानते हैं कि हमारी लड़ाई कठिन है हम जानते हैं, क्योंकि महिलाओं के विषय को चुनावी मुद्दा माना जाता है, लेकिन शेष आधी आबादी अर्थात पुरुष की प्रताड़ना चुनावी मुद्दा नही बनती. कपिल कहते हैं कि अब लोगों के बीच जागरुकता आ रही है. हम सत्ता प्राप्ति का लक्ष्य लेकर नही चल रहे हैं. हम इतना चाहते हैं कि नोटा को वोट करने वाले लोग इधर रुख करें. हम किसी तरह हार जीत का अंतर तय करने की स्थिति में आ जाएं ताकि ये मुद्दा राजनीतिक विमर्श का विषय बने. अगर कोई राजनीतिक दल अपने मेनिफेस्टो में पुरुषों के इन मुदद्दों को उठाता है तो हमारा उसे पूरा समर्थन होगा.
यह है 'मर्द' का एजेंडा: 'मर्द' दल की दलील है कि कोई भी कानून जेंडर बायस्ड नहीं होना चाहिए. दल का मानना है कानून अगर जुर्म की नाजाय जेंडर आधारित है, तो कानून में बदलाव के लिए जरूरी हो जाता है कि कानून बनाने वाली संस्था,अर्थात लोक सभा व विधान सभा में अपने दल के सदस्यों को पहुंचाएं. कपिल कहते हैं अगर पुरुष गलत है तो सजा दीजिए , लेकिन गलत कानूनों की वजह से कोई निर्दोष पुरुष सजा ना भुगते और झूठा केस लिखाने वालों पर भी बराबर की कार्रवाई हो, यही हमारी लड़ाई है.
मर्द का मैनिफैस्टो, लाएंगे पुरुष सुरक्षा बिल: मर्द पार्टी का मैनिफैस्टो भी खास है. जिसमें महिला कानूनों की वजह से हो रहे पुरुषों का शोषण रोकने के लिए पुरुष सुरक्षा बिल लाना. पुरुष पक्ष की सुनवाई के लिए सरकारी स्तर पर मैन्स पॉवर लाईन. पुरुष कल्याण मंत्रालय के साथ राष्ट्रीय पुरुष आयोग का गठन किया जाएगा, ताकि कोई भी नीति या कानून बनाते समय पुरुषों का भी पक्ष रखा जाए. मैनिफेस्टो में कहा गया है कि पति की परिवार की माता बहनें जिन्हें अपराधी मानकर कार्रवाई होती है उनके सम्मान की हर हाल में रक्षा हो. जो भुगतान की गई गुजारा भत्ता की राशि है वो टैक्स फ्री की जाए. इसके अलावा महिला तुष्टीकरण के नाम पर पुरुष विरोधी प्रचार प्रसार पर रोक लगे.