भोपाल। राजधानी भोपाल में G20 बैठक में ग्लोबल गवर्नेंस विथ लाइफ एंड वैल्यूज को केंद्र में रखा गया. बंगलादेश ने उनके यहां रह रहे रोहिंग्या समुदाय की वापसी के लिए यूनाइटेड नेशंस सहित भारत से मदद मांगी है. सम्मेलन में हिस्सा लेने आए बांग्लादेश सरकार के सेंटर फॉर पॉलिसी डायलॉग के फैलो देवोप्रिया भट्टाचार्य ने ये मुद्दा उठाया. इस बैठक में भारत सहित 22 देशों के कई प्रतिनिधि शामिल हुए. वहीं जी-20 के तहत हुए थिंक-20 की दो दिवसीय बैठक का समापन हुआ.
बांग्लादेश में 10 लाख से ज्यादा रोहिंग्या: बांग्लादेश सरकार के सेंटर फॉर पॉलिसी डायलॉग के फैलो देवोप्रिया भट्टाचार्य ने कहा कि समिट में हेल्थ फॉर ऑल की बात हुई है, लेकिन रोहिंग्या समुदाय मूलभूत सुविधाओं से जूझ रहे हैं. बांग्लादेश 10 लाख रोहिंग्या कम्युनिटी के लोगों का पुनर्वास कर रहा है. यह आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है. अब हम उनको हर तरह का सपोर्ट दे रहे हैं. भट्टाचार्य ने कहा कि रोहिंग्या को पढ़ाई, स्वास्थ्य के साथ सभी सुविधाएं मुहैया कराई जा रहीं हैं.
रोहिंगियों की म्यांमार वापसी चाहता है बंगलादेश: भट्टाचार्य का कहना है कि बांग्लादेश दूसरे देशों से मदद चाहता है. उनके यहां से रोहिंग्या म्यांमार वापस चले जाए, लेकिन इनका कहना है कि अभी तक हमें किसी देश से कोई मदद नहीं मिली है. उन्होंने उम्मीद जताई है कि बाकी देश इनको जरूरी सुविधाएं मुहैया कराएंगे. उन्होंने यूनाइटेड नेशंस, भारत, चीन और रूस जैसे बड़े देशों से सहयोग की अपील की. जिससे रोहिंग्यों को वापस म्यांमार भेजा जा सके.
G-20 Summit 2023: भारत ने पकड़ी डिजिटल की राह, थिंक-20 में बोले विशेषज्ञ
थिंक-20 बैठक का समापन: G-20 थिंक-20 की दो दिनी बैठक का समापन हुआ. बैठक में भारत समेत 22 देशों से सैकड़ों प्रतिनिधि शामिल हुए. दो दिवसीय, थिंक 20 (टी20) सम्मेलन 'ग्लोबल गवर्नेंस विद लाइफ, वैल्यूज एंड वेलबीइंग-फोस्टरिंग कोऑपरेशन इन फ्रेमवर्क, फाइनेंस एंड टेक्नोलॉजी' का आयोजन विकासशील देशों के लिए अनुसंधान और सूचना प्रणाली (आरआईएस) और अटल बिहारी वाजपेयी सुशासन एवं नीति विश्लेषण संस्थान (AIGGPA), मध्य प्रदेश सरकार का एक स्वायत्त संस्थान, नीति आयोग (MPNITI) और अन्य भागीदारों के सहयोग से किया गया था. यह सम्मेलन टी20 टास्क फोर्स के सदस्यों, शिक्षाविदों, विषय विशेषज्ञों, नीति निर्माताओं, राजनयिकों, यूनिसेफ और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों, निजी क्षेत्रों, फाउंडेशन और सिविल सोसाइटी को एक साथ लेकर आया.
कई राष्ट्रीय और आंतरिक विशेषज्ञों की भागीदारी के साथ 'बच्चों में निवेश: भविष्य में निवेश' पर एक संयुक्त आरआईएस-यूनिसेफ पैनल ने जी20 के लिए नीतिगत सिफारिशें पेश कीं. जो बाल-केंद्रित नीतियों में निवेश पर ध्यान केंद्रित करती है. जो प्रगतिशील सार्वभौमिक बाल लाभों को प्राथमिकता देती है. खासकर बच्चों के शुरुआती साल, मातृत्व लाभ और चाइल्ड केएर में साक्ष्य से पता चलता है कि शुरुआती वर्षों में निवेश करने से उच्चतम और सबसे समावेशी आर्थिक विकास प्राप्त करने के लिए संज्ञानात्मक पूंजी को बढ़ावा मिल सकता है.
दो दिवसीय सम्मेलन के परिणामों को साझा करते हुए, आरआईएस के महानिदेशक, सचिन चतुर्वेदी ने कहा, 'विकास परिवर्तन (डेवलपमेंट ट्रांसफॉर्मेशन) के दृष्टिकोण में बदलाव की आवश्यकता है, जो विकास में महिलाओं की भूमिका को पहचानें. महिला उद्यमिता को बढ़ावा दिया जाना चाहिए. बच्चों में निवेश को वह प्राथमिकता और ध्यान नहीं मिला है. जिसके वे हकदार हैं और इसके लिए हमने पोषण और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा जैसे व्यापक G20 विचार-विमर्श को सूचित करने के लिए T20 प्रक्रिया में बच्चों के विशिष्ट मुद्दों को प्राथमिकता दी है. आइए हम आज मानवता के कल के लिए बच्चों में निवेश करें.
जी-20 का विजन: दक्षिण एशिया के लिए यूनिसेफ के क्षेत्रीय निदेशक, जॉर्ज लारिया-अदजेई ने कहा, 'एक पृथ्वी, एक परिवार और एक भविष्य का जी20 विजन है कि, व्यक्तियों और राष्ट्रों की मस्तिष्क शक्ति या संज्ञानात्मक क्षमताओं को प्राथमिकता देनी चाहिए. हम जानते हैं कि बचपन और किशोरावस्था में निवेश समावेशी आर्थिक विकास का एक शक्तिशाली चालक हो सकता है. दुनिया को संज्ञानात्मक विकास को आगे बढ़ाने की जरूरत है, जिसके लिए विकास के लिए एक नए मॉडल की आवश्यकता है. हम जानते हैं कि जी20 की अगुवाई में भारत के साथ यह नया मॉडल सामने आएगा.