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पोकरण में 'माउंटेड गन' का सफल परीक्षण, दुशमनों को घुटने टेकने पर कर देगा मजबूर

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jan 5, 2024, 9:50 PM IST

भारत-पाक सीमा से सटे सरहदी जैसलमेर जिला इन दिनों डीआरडीओ ने दुश्मन को मुंह तोड़ जवाब देने वाली 155×52 एटीएजीएस को बीईएमएल के आर्मर्ड ट्रक पर लगाकर उसका परीक्षण किया. इस परीक्षण से जैसलमेर की पोकरण फील्ड फायरिंग रेंज समेत आसपास का समूचा इलाका गन के धमाकों से गूंज उठा.

माउंटेड गन का सफल परीक्षण
माउंटेड गन का सफल परीक्षण

जैसलमेर. भारत-पाक सीमा से सटे सरहदी जैसलमेर जिला इन दिनों डीआरडीओ ने दुश्मन को मुंह तोड़ जवाब देने वाली 155×52 एटीएजीएस को बीईएमएल के आर्मर्ड ट्रक पर लगाकर उसका परीक्षण किया. इस परीक्षण से जैसलमेर की पोकरण फील्ड फायरिंग रेंज समेत आसपास का समूचा इलाका गन के धमाकों से गूंज उठा. रक्षा सूत्रों के अनुसार रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन यानि डीआरडीओ के अधिकारियों व भारतीय सेना के अधिकारियों व जवानों की मौजूदगी में यह परीक्षण किया गया, जो कि पूरी तरह से सफल रहा. रक्षा सूत्रों ने बताया कि डीआरडीओ द्वारा मिशन मोड पर इसे तैयार करने व इसके परीक्षण को अंजाम दिया गया तथा इस गन का परीक्षण भारतीय सेना के तोपखाने में आधुनिकीकरण को लेकर मील का पत्थर साबित हुई है.

60 सेकंड में 5 राउंड करती है फायर: रक्षा सूत्रों के अनुसार इस गन की मारक क्षमता 60 सेकंड में लगभग 5 राउंड फायर करने की है. वहीं माउंटेड ऑर्टलरी गन का मतलब है गाड़ी पर तैनात की जाने वाली तोप. रक्षा सूत्रों ने बताया कि गाड़ी पर तैनात की जाने वाली इस तरह की गन का सबसे बड़ा फायदा होता है कि सेना को जब कभी जंग के हालात में इस ऑर्टलरी गन से फायर किया जाता है तो उसके राउंड के एलिवेशन से दुश्मन के गन के लोकेशन का आसानी से पता लगा लेता है और इसके बाद दुश्मन को नेस्तानाबूद करना शुरू कर देता है. इतना ही नहीं यह गन एक बार फायर करने के तुरंत बाद अपनी जगह बदल सकता है ताकि दुश्मन के हमले से भी बचा जा सके.

पढ़ें: भारत-पाकिस्तान सीमा पर तैनात किए जाएंगे स्वदेशी बने एंटी ड्रोन सिस्टम

भारत सरकार लगातार कर रही सेना को मजबूत: सूत्रों के अनुसार दुनिया की ताकतवर सेनाओं में चौथे नंबर पर आने वाली भारतीय सेना को और अधिक मजबूती प्रदान करने के लिए भारत सरकार लगातार प्रयास कर रही है. साथ ही भारत सरकार अपने बजट का एक बड़ा हिस्सा भारतीय सेना के तीनों अंगों जल, थल और वायु सेनाओं के लिए विभिन्न प्रकार के हथियार व अन्य जरूरी उपकरणों को खरीदने व बनाने के लिए खर्च करती है. ताकि, आने वाले समय में भारतीय सेना किसी प्रकार की स्थिति से निपटने के लिए हमेशा तैयार रहे. बता दें कि भारतीय सेना व डीआरडीओ देश में निर्मित किए गए विभिन्न उपकरणों व हथियारों का परीक्षण जैसलमेर की पोकरण फील्ड फायरिंग रेंज में ही करती है.

जैसलमेर. भारत-पाक सीमा से सटे सरहदी जैसलमेर जिला इन दिनों डीआरडीओ ने दुश्मन को मुंह तोड़ जवाब देने वाली 155×52 एटीएजीएस को बीईएमएल के आर्मर्ड ट्रक पर लगाकर उसका परीक्षण किया. इस परीक्षण से जैसलमेर की पोकरण फील्ड फायरिंग रेंज समेत आसपास का समूचा इलाका गन के धमाकों से गूंज उठा. रक्षा सूत्रों के अनुसार रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन यानि डीआरडीओ के अधिकारियों व भारतीय सेना के अधिकारियों व जवानों की मौजूदगी में यह परीक्षण किया गया, जो कि पूरी तरह से सफल रहा. रक्षा सूत्रों ने बताया कि डीआरडीओ द्वारा मिशन मोड पर इसे तैयार करने व इसके परीक्षण को अंजाम दिया गया तथा इस गन का परीक्षण भारतीय सेना के तोपखाने में आधुनिकीकरण को लेकर मील का पत्थर साबित हुई है.

60 सेकंड में 5 राउंड करती है फायर: रक्षा सूत्रों के अनुसार इस गन की मारक क्षमता 60 सेकंड में लगभग 5 राउंड फायर करने की है. वहीं माउंटेड ऑर्टलरी गन का मतलब है गाड़ी पर तैनात की जाने वाली तोप. रक्षा सूत्रों ने बताया कि गाड़ी पर तैनात की जाने वाली इस तरह की गन का सबसे बड़ा फायदा होता है कि सेना को जब कभी जंग के हालात में इस ऑर्टलरी गन से फायर किया जाता है तो उसके राउंड के एलिवेशन से दुश्मन के गन के लोकेशन का आसानी से पता लगा लेता है और इसके बाद दुश्मन को नेस्तानाबूद करना शुरू कर देता है. इतना ही नहीं यह गन एक बार फायर करने के तुरंत बाद अपनी जगह बदल सकता है ताकि दुश्मन के हमले से भी बचा जा सके.

पढ़ें: भारत-पाकिस्तान सीमा पर तैनात किए जाएंगे स्वदेशी बने एंटी ड्रोन सिस्टम

भारत सरकार लगातार कर रही सेना को मजबूत: सूत्रों के अनुसार दुनिया की ताकतवर सेनाओं में चौथे नंबर पर आने वाली भारतीय सेना को और अधिक मजबूती प्रदान करने के लिए भारत सरकार लगातार प्रयास कर रही है. साथ ही भारत सरकार अपने बजट का एक बड़ा हिस्सा भारतीय सेना के तीनों अंगों जल, थल और वायु सेनाओं के लिए विभिन्न प्रकार के हथियार व अन्य जरूरी उपकरणों को खरीदने व बनाने के लिए खर्च करती है. ताकि, आने वाले समय में भारतीय सेना किसी प्रकार की स्थिति से निपटने के लिए हमेशा तैयार रहे. बता दें कि भारतीय सेना व डीआरडीओ देश में निर्मित किए गए विभिन्न उपकरणों व हथियारों का परीक्षण जैसलमेर की पोकरण फील्ड फायरिंग रेंज में ही करती है.

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