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यूपी : शहीद के पर्वतारोही बेटे को मदद की दरकार, 26 जनवरी को किलिमंजारो फतह की तैयारी - पर्वतारोही नितीश

गोरखपुर के रहने वाले पर्वतारोही नीतीश 26 जनवरी को अफ्रीकी महाद्वीप की सबसे ऊंची चोटी किलिमंजारो चोटी पर तिरंगा फहराने की तैयारी में हैं. नीतीश अब तक कई चोटियों पर तिरंगा लहरा चुके हैं. पारिवारिक और आर्थिक समस्या के बीच नीतीश ने जो रास्ता तय किया है, वह उन लोगों के लिए मिसाल है जो मुसीबतों के सामने हार मान लेते हैं.

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Published : Jan 11, 2021, 9:31 PM IST

गोरखपुर : कुछ कर गुजरने का जज्‍बा हो तो हिमशिखर भी नतमस्‍तक हो जाते हैं. ये कहावत गोरखपुर के युवा पर्वतारोही 23 वर्षीय नी‍तीश पर सटीक बैठती है. नीतीश 26 जनवरी को अफ्रीका महाद्वीप की सबसे ऊंची चोटी किलिमंजारो को फतह करने की ठान चुके हैं. उनका सपना है कि वह माउंट किलिमंजारो पर तिरंगा फहराकर गोरखपुर के साथ देश का नाम रोशन करें.

किन्‍नर समाज को मुख्‍यधारा से जोड़ने का देंगे संदेश
हर बार जन जागरूकता का संदेश देने वाले नी‍तीश इस बार किन्‍नर समाज को मुख्‍यधारा से जोड़ने का संदेश देंगे. शहर के राजेन्‍द्र नगर पश्चिमी निवासी नीतीश कुमार सिंह 18 जनवरी को अफ्रीका के लिए रवाना हो रहे हैं. वह बताते हैं कि इस बार वह अफ्रीका महाद्वीप की सबसे ऊंची चोटी किलिमंजारों को फतह करने के लिए चढ़ाई करेंगे. साल 1999 में शहीद हुए लांसनायक अमरजीत सिंह और जलसा देवी के पुत्र नीतीश का सफर 21 जनवरी को साउथ अफ्रीका के तंजानिया से शुरू होगा. 26 जनवरी गणतंत्र दिवस पर वे माउंट किलिमंजारो को फतह कर वहां भारत का तिरंगा फहराएंगे. नी‍तीश बताते हैं कि ये काफी महंगा और मुश्किल भरा काम है. वे कहते हैं कि हरियाणा और पंजाब की सरकार, तो खिलाड़ियों को सरकारी मदद देती है. ऐसे ही यहां की सरकार को भी मदद करनी चाहिए.

किलिमंजारो चोटी पर तिरंगा फहराने की तैयारी में नीतीश.

किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर ने बढ़ाया मदद का हाथ

नीतीश के इस बार के अभियान में उन्हें कोई खास आर्थिक मदद नहीं मिली है. न ही कोई सरकारी मदद. लेकिन, किन्‍नर अखाड़ा की महामंडलेश्‍वर किरण नंद गिरी ने उनकी मदद कर उम्‍मीद की किरण जगाई है. हालांकि, नीतीश को अभी भी और भी मदद की दरकार है. किन्नर अखाड़ा की महामंडलेश्वर किरण नंद गिरी कहती हैं कि नीतीश के दोस्‍तों ने जब उन्‍हें बताया कि वो किलिमंजारो चोटी को फतह करने जा रहा है. इसके लिए उसे रुपये की कमी आ रही है, तो उन्‍होंने नीतीश की मदद के लिए अपना हाथ आगे बढ़ा दिया. नीतीश को इस यात्रा में कुल 5 लाख रुपये की आवश्यकता पड़ेगी. जिसमें उन्होंने 2 लाख 80 हजार रुपये इकट्ठा कर लिया है. शेष 2 लाख 20 हजार रुपये की उन्हें आवश्यकता है. जिले के कई समाजसेवियों ने नीतीश को मदद का आश्वासन दिया है.

कॉमर्स में ग्रेजुएट हैं पर्वतारोही नीतीश

नीतीश ने दिल्ली और अरुणाचल से साल 2016 में पहाड़ की चढ़ाई का अभ्यास शुरू किया. अक्टूबर 2020 में उन्होंने उत्तराखंड की माउंट रुद्रगौरा की चढ़ाई पूरी की, जो 19086 फीट की ऊंची चोटी है. अब इनका अगला लक्ष्य अफ्रीका महाद्वीप की सबसे ऊंची चोटी माउंट किलिमंजारो पर अपने देश का तिरंगा फहराने का है. इस चोटी की ऊंचाई 19,340 फीट है. इस चोटी को फतह करने के लिए नीतीश ने उत्तराखंड में 2 महीने पहाड़ों में प्रशिक्षण लिया है. वे गोरखपुर में पिछले एक महीने से प्रशिक्षण ले रहे थे. जिसमें मुख्य रूप से साइकिलिंग, 10 से 12 किलो वजन के साथ दौड़ लगाना और योग आदि शामिल था. नीतीश ने अब तक जितने भी पहाड़ों पर चढ़ाई की है, उनकी चोटी से जन जागरूकता के लिए संदेश दिया है.

नीतीश की अब तक की उपलब्धियां

नीतीश ने दिल्‍ली में साल 2016 में एक साल का प्रशिक्षण लिया है. इसके बाद वे साल 2018 में माउंट एवरेस्‍ट फतह करने के लिए 6200 मीटर तक पहुंचे. खराब सेहत की वजह से उन्‍हें वापस लौटना पड़ा. साल 2018 में ही उन्‍होंने लेह-लद्दाख स्थित स्टॉक कांगड़ी (ऊंचाई 6124 मीटर), 2019 में अरुणाचल प्रदेश स्थित मीरा थांग ग्लेश्यिर (ऊंचाई 16,600 फीट), 2020 में उत्तराखंड में 9,000 फीट ऊंची पीननट चोटी और अक्‍टूबर 2020 में उत्तराखंड के माउंट रुद्रगौरा पर्वत (ऊंचाई 19,081 फीट) को फतह किया है.

गोरखपुर : कुछ कर गुजरने का जज्‍बा हो तो हिमशिखर भी नतमस्‍तक हो जाते हैं. ये कहावत गोरखपुर के युवा पर्वतारोही 23 वर्षीय नी‍तीश पर सटीक बैठती है. नीतीश 26 जनवरी को अफ्रीका महाद्वीप की सबसे ऊंची चोटी किलिमंजारो को फतह करने की ठान चुके हैं. उनका सपना है कि वह माउंट किलिमंजारो पर तिरंगा फहराकर गोरखपुर के साथ देश का नाम रोशन करें.

किन्‍नर समाज को मुख्‍यधारा से जोड़ने का देंगे संदेश
हर बार जन जागरूकता का संदेश देने वाले नी‍तीश इस बार किन्‍नर समाज को मुख्‍यधारा से जोड़ने का संदेश देंगे. शहर के राजेन्‍द्र नगर पश्चिमी निवासी नीतीश कुमार सिंह 18 जनवरी को अफ्रीका के लिए रवाना हो रहे हैं. वह बताते हैं कि इस बार वह अफ्रीका महाद्वीप की सबसे ऊंची चोटी किलिमंजारों को फतह करने के लिए चढ़ाई करेंगे. साल 1999 में शहीद हुए लांसनायक अमरजीत सिंह और जलसा देवी के पुत्र नीतीश का सफर 21 जनवरी को साउथ अफ्रीका के तंजानिया से शुरू होगा. 26 जनवरी गणतंत्र दिवस पर वे माउंट किलिमंजारो को फतह कर वहां भारत का तिरंगा फहराएंगे. नी‍तीश बताते हैं कि ये काफी महंगा और मुश्किल भरा काम है. वे कहते हैं कि हरियाणा और पंजाब की सरकार, तो खिलाड़ियों को सरकारी मदद देती है. ऐसे ही यहां की सरकार को भी मदद करनी चाहिए.

किलिमंजारो चोटी पर तिरंगा फहराने की तैयारी में नीतीश.

किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर ने बढ़ाया मदद का हाथ

नीतीश के इस बार के अभियान में उन्हें कोई खास आर्थिक मदद नहीं मिली है. न ही कोई सरकारी मदद. लेकिन, किन्‍नर अखाड़ा की महामंडलेश्‍वर किरण नंद गिरी ने उनकी मदद कर उम्‍मीद की किरण जगाई है. हालांकि, नीतीश को अभी भी और भी मदद की दरकार है. किन्नर अखाड़ा की महामंडलेश्वर किरण नंद गिरी कहती हैं कि नीतीश के दोस्‍तों ने जब उन्‍हें बताया कि वो किलिमंजारो चोटी को फतह करने जा रहा है. इसके लिए उसे रुपये की कमी आ रही है, तो उन्‍होंने नीतीश की मदद के लिए अपना हाथ आगे बढ़ा दिया. नीतीश को इस यात्रा में कुल 5 लाख रुपये की आवश्यकता पड़ेगी. जिसमें उन्होंने 2 लाख 80 हजार रुपये इकट्ठा कर लिया है. शेष 2 लाख 20 हजार रुपये की उन्हें आवश्यकता है. जिले के कई समाजसेवियों ने नीतीश को मदद का आश्वासन दिया है.

कॉमर्स में ग्रेजुएट हैं पर्वतारोही नीतीश

नीतीश ने दिल्ली और अरुणाचल से साल 2016 में पहाड़ की चढ़ाई का अभ्यास शुरू किया. अक्टूबर 2020 में उन्होंने उत्तराखंड की माउंट रुद्रगौरा की चढ़ाई पूरी की, जो 19086 फीट की ऊंची चोटी है. अब इनका अगला लक्ष्य अफ्रीका महाद्वीप की सबसे ऊंची चोटी माउंट किलिमंजारो पर अपने देश का तिरंगा फहराने का है. इस चोटी की ऊंचाई 19,340 फीट है. इस चोटी को फतह करने के लिए नीतीश ने उत्तराखंड में 2 महीने पहाड़ों में प्रशिक्षण लिया है. वे गोरखपुर में पिछले एक महीने से प्रशिक्षण ले रहे थे. जिसमें मुख्य रूप से साइकिलिंग, 10 से 12 किलो वजन के साथ दौड़ लगाना और योग आदि शामिल था. नीतीश ने अब तक जितने भी पहाड़ों पर चढ़ाई की है, उनकी चोटी से जन जागरूकता के लिए संदेश दिया है.

नीतीश की अब तक की उपलब्धियां

नीतीश ने दिल्‍ली में साल 2016 में एक साल का प्रशिक्षण लिया है. इसके बाद वे साल 2018 में माउंट एवरेस्‍ट फतह करने के लिए 6200 मीटर तक पहुंचे. खराब सेहत की वजह से उन्‍हें वापस लौटना पड़ा. साल 2018 में ही उन्‍होंने लेह-लद्दाख स्थित स्टॉक कांगड़ी (ऊंचाई 6124 मीटर), 2019 में अरुणाचल प्रदेश स्थित मीरा थांग ग्लेश्यिर (ऊंचाई 16,600 फीट), 2020 में उत्तराखंड में 9,000 फीट ऊंची पीननट चोटी और अक्‍टूबर 2020 में उत्तराखंड के माउंट रुद्रगौरा पर्वत (ऊंचाई 19,081 फीट) को फतह किया है.

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