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हिमस्खलन  : दो अब भी लापता, रियर एडमिरल बोले- जारी रहेगा सर्च ऑपरेशन

उत्तराखंड के जोशीमठ पहुंचे नौसेना के रियर एडमिरल सूरज बेरी ने माउंट त्रिशूल रेस्क्यू अभियान के बारे में मीडिया को जानकारी दी. उन्होंने बताया कि अभी भी एक नौसेना अधिकारी और एक पोर्टर लापता हैं, उनके मिलने तक रेस्क्यू अभियान जारी रहेगा.

हिमस्खलन
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Published : Oct 5, 2021, 12:51 PM IST

Updated : Oct 5, 2021, 2:28 PM IST

चमोली : भारतीय नौसेना (Indian Navy) के रियर एडमिरल सूरज बेरी (Rear Admiral Suraj Berry) आज जोशीमठ पहुंचे. इस दौरान उन्होंने माउंट त्रिशूल (Mount Trishul) आरोहण के दौरान हुए हिमस्खलन (Avalanche) हादसे की विस्तार से जानकारी दी. उन्होंने कहा कि एक्सपीडिशन दल के लापता नौसेना अधिकारी और पोर्टर की तलाश जारी है.

मीडिया से मुखाबित होते हुए एडमिरल सूरज बेरी ने कहा कि स्वर्णिम विजय वर्ष के अवसर पर वेस्टर्न नेवल कमांड आईएनएस (INS) टू माउंट त्रिशूल एक्सपीडिशन पर तीन सितंबर को 20 सदस्यीय दल मुंबई से निकला था. 10 पर्वतारोहियों ने शिखर पर चढ़ना शुरू किया था, लेकिन शिखर से पहले हिमस्खलन में फंस गए. इस दल को एक से तीन अक्टूबर के बीच किसी भी समय में माउंट त्रिशूल को फतह करना था और अक्टूबर माह में ही वापस वेस्टर्न नेवल कमान पहुंचना था.

बॉडी न मिलने तक जारी रहेगा सर्च ऑपरेशन- रियर एडमिरल सूरज बेरी

पढ़ें : मद्महेश्वर धाम में बारिश का कहर, मंदिर में घुसा बारिश का पानी

वहीं, जब नौसेना का एक्सपीडिशन दल माउंट त्रिशूल फतह करने के लिए निकल रहा था, तभी त्रिशूल माउंट पर हिमस्खलन हो गया. इसी हिमस्खलन में पांच जवान और एक पोर्टर लापता हो गए. इसके बाद भारतीय सेना और वायुसेना की मदद से 48 घंटे के अंदर रेस्क्यू कर नेवी के लापता चार अधिकारियों के शव बरामद कर लिये गये हैं. जबकि, नौसेना का एक लापता अधिकारी और पोर्टर के लिए अभी भी हम लगातार राहत एवं बचाव कार्य में जुटे हुए हैं. उन्होंने कहा कि जब तक इन दोनों की बॉडी नहीं मिल जाती है, तब तक रेस्क्यू अभियान चलाया जाएगा.

मौसम डाल रहा खलल : लगातार मौसम खराब होने के कारण रेस्क्यू में दिक्कत है आ रही है. आज सुबह भी रेस्क्यू में दिक्कत आई है, क्योंकि वहां एक बार फिर से हिमस्खलन होने के कारण रेस्क्यू को रोकना पड़ा है. मौसम ठीक होने के बाद तत्काल फिर से रेस्क्यू शुरू किया जाएगा.

माउंट त्रिशूल की खतरनाक चढ़ाई : एडमिरल सूरज बेरी ने बताया कि उन्होंने भी भारतीय सेना के अधिकारी के साथ त्रिशूल का मुआयना किया है और देखा है कि यह बहुत ही खतरनाक एक्सपीडिशन था. यहां की चढ़ाई 65 से 80 डिग्री खड़ी चढ़ाई है, जो कि बहुत मुश्किल काम था.

चमोली : भारतीय नौसेना (Indian Navy) के रियर एडमिरल सूरज बेरी (Rear Admiral Suraj Berry) आज जोशीमठ पहुंचे. इस दौरान उन्होंने माउंट त्रिशूल (Mount Trishul) आरोहण के दौरान हुए हिमस्खलन (Avalanche) हादसे की विस्तार से जानकारी दी. उन्होंने कहा कि एक्सपीडिशन दल के लापता नौसेना अधिकारी और पोर्टर की तलाश जारी है.

मीडिया से मुखाबित होते हुए एडमिरल सूरज बेरी ने कहा कि स्वर्णिम विजय वर्ष के अवसर पर वेस्टर्न नेवल कमांड आईएनएस (INS) टू माउंट त्रिशूल एक्सपीडिशन पर तीन सितंबर को 20 सदस्यीय दल मुंबई से निकला था. 10 पर्वतारोहियों ने शिखर पर चढ़ना शुरू किया था, लेकिन शिखर से पहले हिमस्खलन में फंस गए. इस दल को एक से तीन अक्टूबर के बीच किसी भी समय में माउंट त्रिशूल को फतह करना था और अक्टूबर माह में ही वापस वेस्टर्न नेवल कमान पहुंचना था.

बॉडी न मिलने तक जारी रहेगा सर्च ऑपरेशन- रियर एडमिरल सूरज बेरी

पढ़ें : मद्महेश्वर धाम में बारिश का कहर, मंदिर में घुसा बारिश का पानी

वहीं, जब नौसेना का एक्सपीडिशन दल माउंट त्रिशूल फतह करने के लिए निकल रहा था, तभी त्रिशूल माउंट पर हिमस्खलन हो गया. इसी हिमस्खलन में पांच जवान और एक पोर्टर लापता हो गए. इसके बाद भारतीय सेना और वायुसेना की मदद से 48 घंटे के अंदर रेस्क्यू कर नेवी के लापता चार अधिकारियों के शव बरामद कर लिये गये हैं. जबकि, नौसेना का एक लापता अधिकारी और पोर्टर के लिए अभी भी हम लगातार राहत एवं बचाव कार्य में जुटे हुए हैं. उन्होंने कहा कि जब तक इन दोनों की बॉडी नहीं मिल जाती है, तब तक रेस्क्यू अभियान चलाया जाएगा.

मौसम डाल रहा खलल : लगातार मौसम खराब होने के कारण रेस्क्यू में दिक्कत है आ रही है. आज सुबह भी रेस्क्यू में दिक्कत आई है, क्योंकि वहां एक बार फिर से हिमस्खलन होने के कारण रेस्क्यू को रोकना पड़ा है. मौसम ठीक होने के बाद तत्काल फिर से रेस्क्यू शुरू किया जाएगा.

माउंट त्रिशूल की खतरनाक चढ़ाई : एडमिरल सूरज बेरी ने बताया कि उन्होंने भी भारतीय सेना के अधिकारी के साथ त्रिशूल का मुआयना किया है और देखा है कि यह बहुत ही खतरनाक एक्सपीडिशन था. यहां की चढ़ाई 65 से 80 डिग्री खड़ी चढ़ाई है, जो कि बहुत मुश्किल काम था.

Last Updated : Oct 5, 2021, 2:28 PM IST
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