जगदलपुर: दुनिया में मां से बड़ा कोई योद्धा नहीं होता. अपने बच्चे को पालने के लिए जहां वो हर जतन कर गुजरती है, वहीं उस पर संकट आने पर इंसान तो क्या हैवान से भी भिड़ जाती है. कुछ ऐसी ही बहादुरी नैननार गांव की एक मां ने दिखाई. लकड़बग्घे के जबड़े से अपने 2 साल के बेटे को छुड़ाने के लिए उसने 3 किलोमीटर तक कड़ा संघर्ष किया. वो मां लकड़बग्घे के जबड़े के बेटे के बचाने में कामयाब तो हो गई, लेकिन शायद मासूम के हिस्से में इतनी ही सांसे विधाता ने दी थी. गंभीर रूप से घायल बच्चे की डीमरापाल हॉस्पिटल में इलाज के दौरान मौत हो गई.
घर के आंगन में खेल रहा था मासूम: घटना बस्तर जिले के चित्रकोट वन परिक्षेत्र की है. जानकारी के मुताबिक तोकापाल विकासखंड के नैननार गांव में 2 साल का मासूम अपने घर के आंगन में खेल रहा था. इसी दौरान पास की झाड़ियों में छिपकर बैठे लकड़बग्घे ने बच्चे पर हमला कर दिया. बच्चे के जबड़े में दबोचकर वह जंगल में भागने लगा. इस बीच उस पर मां की नजर पड़ी तो सन्न रह गई. बच्चे को मुंह में दबाकर भाग रहे लकड़बग्घे के पीछे शोर मचाते मां भी दौड़ पड़ी. खुद के जान की परवाह किए बगैर बच्चे को छु़ड़ने में जुट पड़ी.
लकड़बग्घे के जबड़े से मासूम के छुड़ा लाई मां: अपने बच्चे को लकड़बग्घे से छुड़ाने के लिए मां ने तीन किलोमीटर तक उसका पीछा करती रही. मां के शोर मचाने पर आसपास के लोग भी दौड़ पड़े. मां के साथ मिलकर ग्रामीणों ने बड़े ही मुश्किल से बच्चे को लकड़बग्घे के जबड़े से छुड़ाया. गंभीर रूप से घायल बच्चे को लेकर लोग बस्तर के डीमरापाल हॉस्पिटल पहुंचे. यहां इलाज के दौरान उसने दम तोड़ दिया. इस घटना से नैननार गांव सहित आसपास के क्षेत्र में दहशत है. छोटे बच्चों की सुरक्षा को लेकर लोगों की चिंता बढ़ गई है.
1 घंटे बाद बच्चे ने तोड़ दिया दम: डिमरापाल अस्पताल के अधीक्षक अनुरूप साहू ने बताया कि "सुबह करीब 8.30 बजे गंभीर रूप से घायल बच्चे का तोकापाल के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में प्राथमिक उपचार करने के बाद डिमरापाल अस्पताल पहुंचाया गया.डॉक्टरों की टीम ने पहुंचते ही घायल बच्चे का इलाज शुरू किया. करीब 1 घंटे के बाद गंभीर रूप से घायल बच्चे ने दम तोड़ दिया. पोस्टमार्टम के बाद शव को परिजनों को सौंप दिया गया है."
परिवार को मिलेगा 6 लाख का मुआवजा: चित्रकोट वन परिक्षेत्र अधिकारी प्रकाश ठाकुर ने बताया कि "जनहानि के लिए 6 लाख रुपए मुआवजा देने का प्रावधान है. पीड़ित परिवार को 25 हजार रुपए अग्रिम राशि के तौर पर दी गई है."
एक हफ्ता पहले बेटी के लिए जंगली सुअर से लड़ गई थी मां: कोरबा में एक हफ्ता पहले इसी तरह की घटना हुई थी. अपनी 11 साल की बेटी को बचाने के लिए एक मां जंगली सुअर से लड़ पड़ी थी. फावड़े और कुदाल से तब तक वार करती रही, जब तक सुअर ढेर नहीं हो गया. आधे घंटे चली इस जंग में पसान थाना क्षेत्र के तेलियामार गांव की दुवसिया बाई ने बेटी सुनीता को तो बचा लिया, लेकिन खुद नहीं बच सकी.