लखनऊ : अयोध्या के धन्नीपुर में बनने वाली मस्जिद की डिजाइन बदलने के साथ ही उसको आधिकारिक (Mohammad Bin Abdullah Mosque in Ayodhya) रूप से नाम भी मिल गया है. ये मस्जिद अब परंपरागत स्वरूप में पांच मीनारों के बीच गुम्बद के साथ तैयार होगी. मस्जिद का नाम पैगम्बर मोहम्मद साहब के नाम पर मोहम्मद बिन अब्दुल्ला रखा गया है. इस नाम से शहर के मुस्लिम गुरु और सभी मौलाना भी खुश हैं.
ऐशबाग ईदगाह के इमाम मौलाना खालिद रशीद ने कहा कि 'बहुत खुशी बात है कि मस्जिद के लिए भी काम शुरू होने वाला है. मस्जिद का नाम नबी के नाम पर है, इससे हम सब को बहुत खुशी है. हम उम्मीद करते हैं की जल्द से जल्द मस्जिद का काम पूरा हो. मुफ्ती इरफान मियां ने भी खुशी जाहिर करते हुए कहा कि कहीं भी मस्जिद का बनना अपने आप में बहुत बड़ी रहमत है.'
वहीं इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन ट्रस्ट के अध्यक्ष ज़फर फारूकी ने बताया कि 'धन्नीपुर में प्रस्तावित मस्जिद का नक्शा परंपरागत स्वरूप से बिलकुल अलग दो मीनारों के साथ अंडाकार (ओवल शेप) तैयार किया गया था. मस्जिद की मीनारों को मॉडर्न लुक देने के लिए इसमे मेहराबों को शामिल नहीं किया गया था. उन्होंने कहा कि नवंबर 2019 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद आवंटित जगह पर बनने वाली नई मस्जिद में पांच हजार पुरुषों और चार हजार महिलाओं समेत नौ हजार लोग एक साथ नमाज अदा कर सकेंगे. पूरी मस्जिद परिसर में हमारे संसाधनों के माध्यम से अतिरिक्त भूमि की खरीद के साथ, चिकित्सा, शैक्षिक और सामाजिक सुविधाएं भी होंगी. मोहम्मद बिन अब्दुल्ला मस्जिद परिसर का काम, विभिन्न समूहों के बीच कुछ मतभेदों के कारण विलंबित हो गया था. अब जल्द ही धन्नीपुर स्थल पर शुरू होने वाला है. नींव समारोह के लिए एक प्रतीकात्मक ईंट सुन्नी वक्फ बोर्ड ऑफ इंडिया, इंडो-इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन ऑफ इंडिया, सलामती पीर दरगाह ट्रस्ट और मेगा-प्रोजेक्ट से जुड़े अन्य प्रमुख संगठनों का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिकारियों को भी सौंपी गई. एक ऐतिहासिक परियोजना बनाने के लिए अतिरिक्त सुविधाएं प्रदान करने के लिए 6 एकड़ जमीन खरीदने की योजना है.
हमारे सुझाव को मिली तवज्जो : पूर्व मंत्री और हज समिति के चेयरमैन मोहसिन रजा ने कहा कि 'कोर्ट के फैसले के बाद ही हमने अयोध्या में बनने वाली मस्जिद का नाम नबी पाक मोहम्मद साहब के नाम पर रखने का सुझाव दिया था. मुझे खुशी है कि मेरे सुझाव को तवज्जो दी गई. मोहसिन रजा ने कहा कि इस देश में बाबर के नाम पर कोई भी चीज स्वीकार नहीं होगी. मोहम्मद साहब मुसलमानों में माने जाते हैं. उनके नाम पर मस्जिद का नाम होना सभी के लिए बहुत खुशी की बात है.