भोपाल : कुन्नूर हेलीकॉप्टर क्रैश में घायल हुए वायुसेना के ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह का 15 दिसंबर को निधन हो गया. उनकी पार्थिव देह गुरुवार दोपहर भोपाल लाई गई. यहां 17 दिसंबर को पूरे सैन्य सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा. हेलीकॉप्टर दुर्घटना के बाद करीब एक सप्ताह तक जिंदगी की जंग लड़ते हुए शहीद हो गए. कैप्टन का शव बेंगलुरू के येलहंका एयर फोर्स से विशेष विमान के द्वारा भोपाल लाया गया. इससे पहले येलहंका एयर फोर्स बेस पर वायुसेना के अधिकारियों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी.
एयर फोर्स बेस पर भावुक हुए परिजन
भोपाल एयरपोर्ट पर ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह का पार्थिव शरीर देख कर उनके परिजन भावुक हो गए. बेस पर वरुण सिंह के पिता और भाई भी मौजूद थे. ग्रुप कैप्टन के छोटे भाई नेवी में सेवाएं दे रहे हैं. एयर बेस पर कैप्टन को आर्मी और वायु सेना के अधिकारियों ने श्रद्दांजलि दी. यहां से उनकी पार्थिव देह को इनर कोर्ट, सन सिटी, एयरपोर्ट रोड ले जाया जाएगा. इनर कोर्ट कॉलोनी में परिवार के सदस्य उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे. इसके बाद शव को इनर कोर्ट भवन से सटे एक पार्क में दोपहर 3:30 से 4:30 बजे के बीच तक रिश्तेदारों और परिजनों के साथ ही अन्य लोगों द्वारा पुष्पांजलि अर्पित करने के लिए रखा जाएगा. शाम को कैप्टन वरुण सिंह के शव को सैन्य अस्पताल में रखा जाएगा. जिसके बाद शुक्रवार 17 दिसंबर की दोपहर बैरागढ़ मिलिट्री एरिया में उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा.
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राजकीय सम्मान के साथ दी जाएगी विदाई, मूर्ति लगाने और स्मारक बनाने पर होगा विचार
भारतीय वायु सेना के ऑफिसर वरुण सिंह के निधन पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गहरा दुख जताया है. सीएम ने ने कहा है कि ग्रुप कैप्टन शहीद वरुण सिंह को राजकीय और सैन्य सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी जाएगी. शहीद के परिजनों को राज्य सरकार द्वारा एक करोड़ रुपए की सम्मान निधि दिए जाने के साथ ही परिवार की सहमति से उनकी स्मृति में मूर्ति लगवाने और स्मारक बनाए जाने जैसे विषय पर निर्णय लिया जाएगा. सीएम ने उनके पिता और परिजनों से फोन पर बात भी की.
शहीद वरुण सिंह का एमपी कनेक्शन
ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह का परिवार देवरिया छोड़ भोपाल में आकर रहने लगा, उनकी शादी इंदौर में हुई थी. हालांकि, वरुण का परिवार उनके साथ ही रहता था. एक तरह से उनका पैतृक निवास भले ही देवरिया रहा है, पर अब उनका सबकुछ भोपाल में ही है. यूपी के देवरिया जिले के रुद्रपुर कोतवाली क्षेत्र के कन्हौली गांव निवासी कृष्ण प्रताप सिंह सेना में कर्नल थे. रिटायर होने के बाद वह पत्नी के साथ मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में आकर रहने लगे. वरुण सिंह उनके बड़े बेटे थे, कृष्ण प्रताप सिंह का छोटा बेटा तनुज सिंह इंडियन नेवी में है. वरुण प्रताप सिंह की तैनाती तमिलनाडु के वेलिंग्टन में थी. उनके साथ पत्नी, बेटा और बेटी भी रहते थे. वरुण के चाचा अखिलेश प्रताप सिंह कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता हैं और वह देवरिया जिले की रुद्रपुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक भी रह चुके हैं.
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शौर्य चक्र से किया गया था सम्मानित
वरुण को 15 अगस्त 2021 को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शौर्य चक्र से सम्मानित किया था. यह अवार्ड विंग कमांडर को फ्लाइंग कंट्रोल सिस्टम खराब होने के बाद भी 10 हजार फीट की ऊंचाई से विमान की सफल लैंडिंग कराने पर दिया गया था. वरुण प्रताप सिंह ने संकट के समय जान की परवाह किए बिना अदम्य साहस का परिचय दिया था. 12 अक्टूबर 2020 को वरुण लाइट कॉम्बैट एयर क्राफ्ट के साथ उड़ान पर थे. लगभग 10 हजार फीट की ऊंचाई पर पहुंचते ही विमान का फ्लाइट कंट्रोल सिस्टम खराब हो गया. वरुण ने आपदा के समय धैर्य नहीं खोया. उन्होंने संयम का परिचय दिया और आबादी से दूर ले जाकर विमान की सफल लैंडिंग कराई. इससे कई लोगों की जान भी बच गई और विमान बर्बाद होने से भी बच गया. वे तेजस उड़ा रहे थे. वरुण फाइटर प्लेन पायलट थे. वे गोरखपुर में 2007 से 2009 तक कार्यरत रहे थे.
हेलीकॉप्टर हादसे में अकेले जिंदा बचे थे वरुण सिंह
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Karnataka | Mortal remains of Group Captain Varun Singh, who passed away yesterday, December 15, reach Yelahanka Air Force Base in Bengaluru; IAF military officials pay tribute
— ANI (@ANI) December 16, 2021 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
He was the lone survivor of December 8 #TamilNaduChopperCrash in which 13 people had died. pic.twitter.com/LeNj4TjAZk
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— ANI (@ANI) December 16, 2021
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— ANI (@ANI) December 16, 2021
He was the lone survivor of December 8 #TamilNaduChopperCrash in which 13 people had died. pic.twitter.com/LeNj4TjAZk
8 दिसंबर को सेना का हेलीकॉप्टर एमआई17वी5 कुन्नूर के पास क्रैश हो गया था, जिसमें देश के पहले सीडीएस जनरल बिपिन रावत और उनकी पत्नी सहित कुल 14 लोग सवार थे, इस हादसे में शौर्य चक्र विजेता ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह अकेले जिंदा बचे थे, जिनका इलाज बेंगलुरू के आर्मी अस्पताल में चल रहा था, घायल होने के बाद से ही वो लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर थे, 15 दिसंबर को वह भी जिंदगी की जंग हार गए. ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह को इसी साल शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया था.