चतराः जिले में लंपी वायरस ने महामारी का रूप धारण कर लिया है. वायरस की चपेट में आने से चतरा में अब तक सैकड़ों पशुओं की मौत हो चुकी है. इसके अलावा जिले के विभिन्न इलाकों में 500 से भी अधिक पशु लंपी वायरस की चपेट में आकर जिंदगी और मौत का जंग लड़ रहे हैं. पशुओं में तेजी से फैल रहे लंपी वायरस की रोकथाम को लेकर पशुपालन विभाग गंभीर नहीं दिख रहा है. जिसका नतीजा यह हो रहा है कि दिन-प्रतिदिन वायरस विकराल रूप लेते जा रहा है और रोजाना दर्जनों पशु इसके चपेट में आ रहे हैं.
ग्रामीण इलाकों में कहर बरपा रहा लंपी वायरसः लंपी वायरस का कहर खासकर चतरा के ग्रामीण इलाकों में देखने को मिल रहा है. ग्रामीण इलाकों में निवास करने वाले लोग वायरस को पूरी तरह समझ नहीं पा रहे हैं. ग्रामीण लंपी वायरस को चेचक समझ रहे हैं. वायरस का सबसे ज्यादा प्रकोप जिले के हंटरगंज, कान्हाचट्टी, गिद्धौर, सिमरिया, लावालौंग और टंडवा प्रखंड में देखा जा रहा है. यह वायरस ज्यादातर गाय और बैल को अपना शिकार बना रहा है. वायरस की चपेट में आने वाले पशुओं की 15 दिनों के भीतर मौत हो जाती है. हालांकि पशुओं के उपचार और बचाव के लिए पशुपालक हर संभव प्रयास कर रहे हैं, लेकिन वायरस पर काबू नहीं पाया जा सका है.
पशुपालन पदाधिकारी और निदेशक ने क्या कहाः लंपी वायरस के चपेट में आकर पशुओं की मौत मामले को लेकर जिला पशुपालन पदाधिकारी डॉक्टर दीपक कुमार ने बताया कि लंपी वायरस का निश्चित तौर पर चतरा जिले में प्रकोप फैला है. उन्होंने कहा कि आशंका जताई जा रही है कि 250 से 300 पशुओं की वायरस के चपेट में आने से मौत हुई है. हालांकि हम सभी इसका अपने स्तर पर पता लग रहे हैं. दूसरी तरफ पशुपालन विभाग के निदेशक आदित्य रंजन झारखंड में पशुओं की लंपी वायरस से मौत होने की बात को सिरे से खारिज किया है. उन्होंने कहा कि झारखंड में लंपी वायरस से कितने पशुओं की मौत हुई है इसका आंकड़ा अब तक विभाग के पास नहीं आया है.