गांधीनगर (गुजरात) : गुजरात की एक अदालत ने मोरबी में पुल ढहने के मामले में ओरेवा समूह के जयसुख पटेल की गिरफ्तारी का वारंट जारी किया है. मोरबी पुल हादसा 30 अक्टूबर को हुआ था. जिसमें 134 लोग मारे गए थे. अजंता मैन्युफैक्चरिंग लिमिटेड (ओरेवा ग्रुप) ने मोरबी में मच्छू नदी पर ब्रिटिश काल के पुल के नवीनीकरण, मरम्मत और संचालन का ठेका हासिल किया था. रविवार को मोरबी के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट एमजे खान ने दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 70 के तहत पटेल के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया.
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Court issued arrest warrant against Jaysukh Patel of Oreva Group, which had contract for renovation of Morbi bridge. He has not been arrested for 70 days. No lookout notice issued yet. Patel has moved a local court seeking anticipatory bail: Adv Sanjay Vora,Govt prosecutor (23.1) pic.twitter.com/9VzBSwkDuY
— ANI (@ANI) January 24, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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— ANI (@ANI) January 24, 2023
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सरकारी वकील संजय वोरा ने एएनआई को बताया कि अदालत ने ओरेवा ग्रुप के जयसुख पटेल के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया है. ओरेवा ग्रुप के पास मोरबी पुल के नवीनीकरण का ठेका था. लेकिन पुलिस ने उसे 70 दिनों तक गिरफ्तार नहीं किया गया. अभी तक उनके खिलाफ कोई लुकआउट नोटिस भी जारी नहीं किया गया है. विशेष रूप से, पटेल ने मामले में अग्रिम जमानत के लिए 20 जनवरी को मोरबी सत्र अदालत का रुख किया था, जबकि सुनवाई 1 फरवरी तक के लिए स्थगित कर दी गई थी क्योंकि सरकारी वकील उपस्थित नहीं थे.
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मामले में पुलिस द्वारा दर्ज की गई प्राथमिकी में पटेल का नाम आरोपी के रूप में नहीं है. मामले में अब तक अजंता मैन्युफैक्चरिंग (ओरेवा ग्रुप) के चार कर्मचारियों सहित नौ लोगों को गिरफ्तार किया गया है. इनमें ओरेवा समूह के दो प्रबंधक और इतनी ही संख्या में टिकट बुकिंग क्लर्क शामिल हैं जो ब्रिटिश युग के पुल का प्रबंधन कर रहे थे. गुजरात के मोरबी की मच्छू नदी में एक सदी पुराने सस्पेंशन ब्रिज के गिरने से 134 लोगों की जान चली गई थी. गुजरात उच्च न्यायालय ने 7 नवंबर को मोरबी दुर्घटना का स्वत: संज्ञान लिया, राज्य के गृह विभाग सहित अधिकारियों को नोटिस जारी किया और एक सप्ताह के भीतर रिपोर्ट मांगी. नवंबर में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मोरबी पुल ढहने की घटना एक 'बड़ी त्रासदी' थी. सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात उच्च न्यायालय से समय-समय पर सुनवाई करने के लिए.
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(एएनआई)