भोपाल। देश के प्रधानमंत्री के तौर पर मध्य प्रदेश में उज्जैन के महाकाल मंदिर दर्शन करने वाले नरेन्द्र मोदी पांचवे प्रधानमंत्री होंगे, इसके पहले नरेन्द्र मोदी 2013 में महाकाल मंदिर दर्शन के लिए आए थे और उन्होंने मंदिर के गर्भगृह में पूजा अर्चना की थी. उस वक्त वे गुजरात के मुख्यमंत्री थे. हालांकि इसके बाद मोदी 2016 में सिंहस्थ के समय भी उज्जैन आए थे, लेकिन वे मंदिर नहीं गए थे.(Ujjain Mahakal Lok)(Modi will be 5th PM to visit Baba Mahakal)(Baba Mahakal Temple Ujjain)
पूर्व प्रधानमंत्री में ये आ चुके हैं उज्जैन:
- इसके पहले प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री महाकाल दर्शन के लिए आ चुके हैं,इसके बाद प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई भी उज्जैन जा चुके हैं. प्रधानमंत्री रहते उन्होंने भगवान महाकाल के दर्शन किए थे, हालांकि इसके पहले उन्होंने 1977 में भी महाकाल के दर्शन किए थे. लेकिन उस पर वे जनता पार्टी के नेता के रूप में उज्जैन आए थे और भगवान भोले नाथ के दर्शन करने के बाद ही उन्होंन चुनाव प्रचार की शुरूआत की थी.
- गांधी परिवार का महाकाल मंदिर से बड़ा लगाव रहा है, प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, राजीव गांधी भी प्रधानमंत्री रहते महाकाल मंदिर पहुंचकर पूजा अर्चना कर चुके हैं. इंदिरा गांधी 29 दिसंबर 1979 को महाकाल मंदिर आई थी, जब वे मंदिर पहुंचे तो यहां भस्म आरती चल रही थी, इसलिए उन्होंने मंदिर के बाहर से ही दर्शन किए थे. वे गर्भगृह में प्रवेश नहीं किया था, भस्म आरती के दौरान वे करीब 20 मिनिट तक गलियारे में खड़ी रहीं. आरती होने के बाद उन्होंने करीब 35 मिनिट तक पूजा अर्चना की थी, हालांकि इस दौरान वे प्रधानमंत्री नहीं थी. इसके कुछ दिन बाद ही वे देश की प्रधानमंत्री बनी, इंदिर गांधी के बाद राजीव गांधी भी प्रधानमंत्री रहते महाकाल मंदिर पहुंचकर पूजा अर्चना कर चुके हैं.
- पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का उज्जैन से खास लगाव था, वे करीबन 10 बार उज्जैन गए. इस दौरान उन्होंने बाबा महाकाल के दर्शन भी किए, हालांकि प्रधानमंत्री रहते वे उज्जैन नहीं गए.
महाकाल की नगरी में रात नहीं रूकते पीएम-सीएम: भले ही कई प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री बाबा महाकाल के दर्शन के लिए पहुंच चुके हों, लेकिन महाकाल की नगरी में कोई भी पीएम और सीएम रात में नहीं रूकता. मान्यता है कि यहां रात रूकने पर उनकी सत्ता चली जाती है, क्योंकि बाबा महाकाल ही राजाधिराज हैं. ऐसे में बाबा के दरबार में दो राजा नहीं रूक सकते, यह परंपरा सालों से चली आ रही है. अवंतिका नगरी में राजा विक्रमादित्य की यह राजधानी थी, राजा भोज के समय से ही उज्जैन में कोई रात में नहीं रूकता. देश के चौथे प्रधानमंत्री मोरारजी एक रात उज्जैन में रूके थे, इसके बाद ऐसी परिस्थितियां बनी कि उन्हें अपनी पीएम की कुर्सी से हाथ धोना पड़ा.कर्नाटक के मुख्यमंत्री येदियुरप्पा भी उज्जैन में राशि विश्राम के लिए रूके थे, इसके 20 दिन बाद ही उनकी सत्ता जाती रही थी.