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मोदी सरकार ने पिछले नौ सालों में सीमा बुनियादी ढांचे को बढ़ाया: विदेश मंत्री जयशंकर - चीन के साथ सीमा पर बुनियादी ढांचे

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार में चीन के साथ सीमा पर बुनियादी ढांचे में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है. इस बात की जानकारी विदेश मंत्री एस जयशंकर ने नई दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान दी है.

External Affairs Minister Dr S Jaishankar
विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर
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Published : Aug 7, 2023, 5:44 PM IST

नई दिल्ली: विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर ने सोमवार को कहा कि मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने पिछले नौ वर्षों में चीन के साथ सीमा पर बुनियादी ढांचे में उल्लेखनीय वृद्धि की है. नई दिल्ली में पत्रकारों के एक समूह के साथ बातचीत में जयशंकर ने कहा कि उत्तरी सीमा पर बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देना राष्ट्रीय सुरक्षा चुनौतियों पर भारत की प्रतिक्रिया तय करने जा रहा है. उन्होंने कहा कि 2014 के बाद भारतीय सेना चीनी आंदोलन का बेहतर ढंग से मुकाबला करने में सक्षम है.

जयशंकर ने आगे कहा कि चीनी पक्ष के साथ बातचीत जारी है और अगली बैठक जल्द ही होगी. हम गलवान, पैंगोंग सो जैसे किसी समाधान पर पहुंचे हैं. कुछ प्रगति हुई है और कूटनीति में समय लगता है. उन्होंने कहा कि चीनियों ने अपनी तरफ बुनियादी ढांचा विकसित किया है. हमें एक बिंदु पर अपने क्षेत्रों का विकास करना था. अगर हमें अपनी सेना तैनात करनी है, तो इसका कारण बुनियादी ढांचा विकास है.

विदेश मंत्री ने यह भी कहा कि सरकार इस साल म्यांमार के साथ तटीय शिपिंग समझौता करने पर विचार कर रही है. हालांकि, डॉ. जयशंकर ने कहा कि देश में कानून-व्यवस्था की स्थिति के कारण म्यांमार त्रिपक्षीय राजमार्ग एक बड़ी चुनौती है. उन्होंने कहा कि म्यांमार के साथ सीमा की स्थिति चुनौतीपूर्ण है. सिटवे बंदरगाह चालू है और हमें उम्मीद है कि इस साल तटीय शिपिंग समझौता संपन्न हो जाएगा.

जयशंकर ने कहा कि कानून-व्यवस्था की स्थिति के कारण म्यांमार त्रिपक्षीय राजमार्ग एक बड़ी चुनौती है, हम चुनौतियों से निपटने के लिए म्यांमार के अधिकारियों के साथ बातचीत कर रहे हैं. उन्होंने आगे कहा कि भारत म्यांमार त्रिपक्षीय राजमार्ग के रास्ते में आने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए म्यांमार के साथ बातचीत कर रहा है. उन्होंने कहा कि म्यांमार के साथ सीमा की स्थिति चुनौतीपूर्ण है. सिटवे बंदरगाह चालू है और हमें उम्मीद है कि इस साल तटीय शिपिंग समझौता संपन्न हो जाएगा.

उन्होंने कहा कि कानून-व्यवस्था की स्थिति के कारण म्यांमार त्रिपक्षीय राजमार्ग एक बड़ी चुनौती है, हम चुनौतियों से निपटने के लिए म्यांमार के अधिकारियों के साथ बातचीत कर रहे हैं. विदेश मंत्री ने आगे कहा कि भारत बांग्लादेश, नेपाल और भूटान के साथ कनेक्टिविटी बढ़ा रहा है. यह ध्यान रखना उचित है कि भारत उस देश और असम के बीच रेल लिंक के लिए भूटान के साथ बातचीत कर रहा है. उन्होंने कहा कि भूटान पर्यटकों के लिए और अधिक स्थान खोलने का इच्छुक है और रेल संपर्क असम के लिए भी फायदेमंद है.

यह भारत और भूटान के बीच पहला रेलवे कनेक्शन है और इसके 2026 तक पूरा होने की उम्मीद है. भारत सरकार 57 किमी रेलवे लिंक का वित्तपोषण करेगी. भूटान के विदेश मंत्री डॉ. टांडी दोरजी ने इस साल अप्रैल में कहा था कि भूटान सरकार पहले इस परियोजना पर काम करेगी और फिर सामत्से, फुएंतशोलिंग, नंगंगलाम और समद्रुपजोंगखार जैसे अन्य क्षेत्रों को जोड़ने पर विचार करेगी.

नई दिल्ली: विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर ने सोमवार को कहा कि मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने पिछले नौ वर्षों में चीन के साथ सीमा पर बुनियादी ढांचे में उल्लेखनीय वृद्धि की है. नई दिल्ली में पत्रकारों के एक समूह के साथ बातचीत में जयशंकर ने कहा कि उत्तरी सीमा पर बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देना राष्ट्रीय सुरक्षा चुनौतियों पर भारत की प्रतिक्रिया तय करने जा रहा है. उन्होंने कहा कि 2014 के बाद भारतीय सेना चीनी आंदोलन का बेहतर ढंग से मुकाबला करने में सक्षम है.

जयशंकर ने आगे कहा कि चीनी पक्ष के साथ बातचीत जारी है और अगली बैठक जल्द ही होगी. हम गलवान, पैंगोंग सो जैसे किसी समाधान पर पहुंचे हैं. कुछ प्रगति हुई है और कूटनीति में समय लगता है. उन्होंने कहा कि चीनियों ने अपनी तरफ बुनियादी ढांचा विकसित किया है. हमें एक बिंदु पर अपने क्षेत्रों का विकास करना था. अगर हमें अपनी सेना तैनात करनी है, तो इसका कारण बुनियादी ढांचा विकास है.

विदेश मंत्री ने यह भी कहा कि सरकार इस साल म्यांमार के साथ तटीय शिपिंग समझौता करने पर विचार कर रही है. हालांकि, डॉ. जयशंकर ने कहा कि देश में कानून-व्यवस्था की स्थिति के कारण म्यांमार त्रिपक्षीय राजमार्ग एक बड़ी चुनौती है. उन्होंने कहा कि म्यांमार के साथ सीमा की स्थिति चुनौतीपूर्ण है. सिटवे बंदरगाह चालू है और हमें उम्मीद है कि इस साल तटीय शिपिंग समझौता संपन्न हो जाएगा.

जयशंकर ने कहा कि कानून-व्यवस्था की स्थिति के कारण म्यांमार त्रिपक्षीय राजमार्ग एक बड़ी चुनौती है, हम चुनौतियों से निपटने के लिए म्यांमार के अधिकारियों के साथ बातचीत कर रहे हैं. उन्होंने आगे कहा कि भारत म्यांमार त्रिपक्षीय राजमार्ग के रास्ते में आने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए म्यांमार के साथ बातचीत कर रहा है. उन्होंने कहा कि म्यांमार के साथ सीमा की स्थिति चुनौतीपूर्ण है. सिटवे बंदरगाह चालू है और हमें उम्मीद है कि इस साल तटीय शिपिंग समझौता संपन्न हो जाएगा.

उन्होंने कहा कि कानून-व्यवस्था की स्थिति के कारण म्यांमार त्रिपक्षीय राजमार्ग एक बड़ी चुनौती है, हम चुनौतियों से निपटने के लिए म्यांमार के अधिकारियों के साथ बातचीत कर रहे हैं. विदेश मंत्री ने आगे कहा कि भारत बांग्लादेश, नेपाल और भूटान के साथ कनेक्टिविटी बढ़ा रहा है. यह ध्यान रखना उचित है कि भारत उस देश और असम के बीच रेल लिंक के लिए भूटान के साथ बातचीत कर रहा है. उन्होंने कहा कि भूटान पर्यटकों के लिए और अधिक स्थान खोलने का इच्छुक है और रेल संपर्क असम के लिए भी फायदेमंद है.

यह भारत और भूटान के बीच पहला रेलवे कनेक्शन है और इसके 2026 तक पूरा होने की उम्मीद है. भारत सरकार 57 किमी रेलवे लिंक का वित्तपोषण करेगी. भूटान के विदेश मंत्री डॉ. टांडी दोरजी ने इस साल अप्रैल में कहा था कि भूटान सरकार पहले इस परियोजना पर काम करेगी और फिर सामत्से, फुएंतशोलिंग, नंगंगलाम और समद्रुपजोंगखार जैसे अन्य क्षेत्रों को जोड़ने पर विचार करेगी.

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