नई दिल्ली: पिछले कई दिनों से चल रही अटकलों पर बुधवार को विराम लगाते हुए मोदी मंत्रिमंडल (Modi Cabinet Reshuffle) का विस्तार हो गया. केंद्रीय मंत्रिमंडल के विस्तार में आगामी यूपी विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए क्षेत्रीय के साथ ही जातीय समीकरण को ध्यान में रखा गया है. इनमें से 5 लोकसभा सांसद और 2 राज्यसभा के सदस्य हैं. आइए जानते हैं कि किसको किस मंत्रालय में जिम्मेदारी मिली है...
बीजेपी के इस समीकरण पर पार्टी के यूपी महामंत्री व विधान परिषद सदस्य गोविंद नारायण शुक्ल ने बुधवार ने कहा कि केंद्रीय मंत्रिपरिषद विस्तार में उत्तर प्रदेश को विशेष महत्व के साथ समाज के सभी वर्गों को प्रतिनिधित्व मिला है. ये सभी संगठन के अनुभवी लोग हैं और पार्टी के साथ ही आमजन की उम्मीदों पर भी खरा उतरेंगे.
अनुप्रिया पटेल
उत्तर प्रदेश की मिर्जापुर लोकसभा सीट से सांसद अनुप्रिया पटेल ने नरेंद्र मोदी कैबिनेट में राज्य मंत्री के रूप में शपथ ली उनको वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय में राज्य मंत्री का पद भार मिला है. 2014 के आम चुनावों में बीजेपी गठबंधन की सदस्य अपना दल ने 2 सीटें हासिल की थी. इसके बाद मोदी सरकार ने मिर्जापुर से सांसद अनुप्रिया पटेल को केंद्र में स्वास्थ्य राज्यमंत्री बनाया था. हालांकि 2019 में मोदी सरकार दोबारा बनने के बाद अपना दल को केंद्रीय टीम में जगह नहीं मिली, अब यूपी चुनाव को ध्यान में रखते हुए मोदी सरकार में अनुप्रिया पटेल को शामिल किया गया है.
अनुप्रिया पटेल के मोदी मंत्रिमंडल में शामिल होने के कयास तभी से लग रहे थे, जब पिछले महीने उन्होंने गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी. 2019 में मोदी सरकार के गठन के बाद से ही वे मंत्रिमंडल में शामिल होने की कोशिश कर रही थीं, क्योंकि अभी तक मौका नहीं मिल सका. दूसरी तरफ वे उत्तर प्रदेश में योगी कैबिनेट में भी अपनी पार्टी का प्रतिनिधित्व बढ़ाने के लिए दबाव डाल रही थीं. यूपी विधानसभा में अभी अपना दल (एस) के नौ विधायक हैं.
पढ़ें:Cabinet Portfolios : अनुराग ठाकुर को सूचना प्रसारण, धर्मेंद्र प्रधान को शिक्षा मंत्रालय
सूत्रों की मानें तो 2018 में अनुप्रिया के पति आशीष पटेल के भाजपा के समर्थन से विधान परिषद के लिए चुने जाने के बाद अनुप्रिया उनको योगी मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने पर जोर दे रही थीं. लेकिन भाजपा की ओर से उन्हें कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिल रहा था. अब जब उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में कुछ ही महीने बचे हैं तो अनुप्रिया को अपना दांव चलने का एक मौका फिर मिल गया. इसके पीछे पूर्वांचल के एक खास क्षेत्र में उनकी पार्टी की महत्वपूर्ण भूमिका मानी जाती है.
सत्यपाल सिंह बघेल
आगरा से सांसद प्रोफेसर एसपी सिंह बघेल को नरेंद्र मोदी कैबिनेट में कानून और न्याय मंत्रालय में राज्य मंत्री की जिम्मेदारी मिली है. वैसे बीजेपी सांसद प्रोफेसर एसपी सिंह बघेल के सियासी सफर की कहानी भी कम दिलचस्प नहीं है. राजनीति सफर की बात करें, तो 1998, 1999 और 2004 में तीन बार लगातार सपा से सांसद रहे. 2017 में यूपी के फिरोजाबाद की टूंडला सीट से भाजपा विधायक सांसद सत्यपाल सिंह बघेल योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली राज्य सरकार में मंत्री भी रहे. बघेल इससे पहले 2014 में बसपा से राज्यसभा सांसद भी रह चुके हैं.
'ईटीवी भारत' से बात करते हुए राज्य मंत्री एसपी सिंह बघेल ने कहा कि इस नई कैबिनेट में यूपी के सभी जाति धर्म के लोगों का ख्याल रखा गया है. मंत्रिमंडल में भी अंत्योदय हुआ है. उत्तर भारत में आजादी के बाद मैं अपने समाज का पहला व्यक्ति हूं जिसे मंत्री पद मिला है.
जब उनसे यह पूछा गया कि उनके लिए यह कितनी बड़ी चुनौती होगी तो उन्होंने कहा कि किसी के लिए भी चुनौती आसान हो जाती है जब किसी पार्टी में दुनिया के सबसे वैश्विक नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हो. कहा कि हमारा संगठन बूथ लेवल तक है इसलिए हमारे लिए चुनौती और आसान हो जाती है.
पंकज चौधरी
यूपी के महराजगंज से भाजपा सांसद पंकज चौधरी ने मोदी कैबिनेट (Union Cabinet Expansion) में वित्त मंत्रालय में राज्य मंत्री बनाया गया है. पंकज ने लोकसभा का चुनाव छठवीं बार जीता है. राजनीति सफर की बात करें तो 1991- 10वीं लोकसभा के लिए पहली बार चुने गए, 1991-96 दूसरी बार, 1998-12वीं लोकसभा, 2004- 14वीं लोकसभा, 2014- 16वीं लोकसभा और 2019 में 17वीं लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए. पंकज चौधरी को केंद्र में संतोष गंगवार के इस्तीफा देने के बाद मौका मिला है, क्योंकि गंगवार भी कुर्मी समाज से हैं.
पढ़ें: मोदी मंत्रिमंडल विस्तार : सात महिला सांसदों को मिली जगह
ध्यान रहे कि यूपी में यादव समाज के बाद अन्य पिछड़ा वर्ग में कुर्मी बिरादरी की मजबूत भागीदारी है. कोरोना महामारी के दौरान देश में इसके मामले बढ़ने के दौरान संतोष गंगवार ने एक बार राज्य सरकार के महामारी प्रबंधन को लेकर सवाल भी उठाए थे. महाराजगंज से छह बार के सांसद पंकज चौधरी जहां मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गोरखपुर क्षेत्र से आते हैं. वह गोरखपुर के डिप्टी मेयर भी रह चुके हैं.
भाजपा के जातीय समीकरण को ऐसे समझा जा सकता है कि हाल के दिनों में दूसरे दलों के कई कुर्मी नेताओं ने समाजवादी पार्टी की सदस्यता ली है. दूसरी तरफ बहुजन समाज पार्टी ने विधान मंडल दल के नेता लालजी वर्मा और सुषमा पटेल जैसे कुर्मी समाज के कई नेताओं को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया है, तो ऐसे में विशेष रूप से इस वर्ग पर भाजपा और सपा की नजरें टिकी हुई हैं. हाल में कुर्मी समाज से ही आने वाली बहराइच जिले की भाजपा विधायक माधुरी वर्मा के पति पूर्व विधायक दिलीप वर्मा भी भाजपा छोड़कर सपा में शामिल हो गए.
भानु प्रताप सिंह वर्मा
यूपी के जालौन से सांसद भानुप्रताप सिंह वर्मा को मोदी कैबिनेट में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय में राज्य मंत्री के तौर पर जगह मिली है. भाजपा सांसद भानु प्रताप वर्मा अनुसूचित वर्ग के कोरी समाज से आते हैं. भानु प्रताप वर्मा कानपुर-बुंदेलखंड के प्रतिनिधित्व के तौर पर भी एक प्रमुख चेहरा हैं. राजनीतिक सफर की बात करें तो 1991 92 में उत्तर प्रदेश विधान सभा, 1996- 1998 में 11वीं लोकसभा के लिए चुने गए, 1998 - 1999: 12वीं लोकसभा, 2001 में उपाध्यक्ष, एस.सी. मोर्चा, भाजपा, उत्तर प्रदेश, 2004-2009 में 14वीं लोकसभा, 2014- 2019 में 16वीं लोकसभा, मई 2019 में 17वीं लोकसभा के लिए फिर से निर्वाचित हुए.
कौशल किशोर
वामपंथी पृष्ठभूमि से शुरुआती राजनीति करने वाले पासी समाज के और लखनऊ की मोहनलालगंज लोकसभा सीट से सांसद कौशल किशोर को आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय में राज्य मंत्री की जिम्मेदारी मिली है. कभी यूपी में मुलायम सरकार में राज्यमंत्री रहे कौशल किशोर अब मोदी सरकार में राज्यमंत्री बनने जा रहे हैं. वे लखनऊ जिले की सुरक्षित सीट मोहनलालगंज से लगातार दूसरी बार सांसद बने हैं.
पढ़ें:कैबिनेट विस्तार : अमित शाह को सहकारिता मंत्रालय का प्रभार, अश्विनी वैष्णव रेल मंत्री
पार्टी ने उन्हें दूसरी बार राज्य में अनुसूचित मोर्चा का अध्यक्ष भी बनाया है. यूपी में गैर जाटव दलितों में पासी समाज की अच्छी तादाद है. 2002-2007 सदस्य, उत्तर प्रदेश विधान सभा, 2003-2004 राज्य मंत्री, उत्तर प्रदेश सरकार, मई, 2014 16वीं लोकसभा के लिए निर्वाचित, मई 2019 में 17वीं लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए.
बीएल वर्मा
केंद्र की मोदी सरकार में राज्यसभा सांसद यूपी के बदायूं के बीएल वर्मा को उत्तर पूर्वी क्षेत्र के विकास मंत्रालय में राज्य मंत्री और सहकारिता मंत्रालय में राज्य मंत्री का पद भार मिला है. बीएल वर्मा को पिछले साल ही बीजेपी ने राज्यसभा का टिकट देकर संसद भेजा. राज्यसभा का टिकट दिया तो कयास लगाया गया कि रुहेलखंड के साथ आगरा मंडल में पार्टी ने लोधी वोट बैंक को सहेजने की कोशिश की है. वैसे बीएल वर्मा उत्तर प्रदेश बीजेपी के दिग्गज नेता और पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के करीबी भी माने जाते रहे हैं.
अजय कुमार मिश्र
यूपी के तराई के जिले लखीमपुर खीरी क्षेत्र से भाजपा के दूसरी बार के सांसद अजय कुमार मिश्र टेनी के मोदी कैबिनेट में राज्य मंत्री बनाए जाने से एक दूसरा संदेश गया है उनको गृह मंत्रालय में राज्य मंत्री का पद भार मिला है. अजय कुमार पार्टी के कैडर बेस कार्यकर्ता माने जाते हैं. माना जा रहा है कि पार्टी ने अपने कैडर बेस कार्यकर्ता को महत्व देकर ब्राह्मणों के साथ-साथ कार्यकर्ताओं को भी महत्व दिया है.
अजय कुमार मिश्र 2012 के विधानसभा चुनाव में जीते और विधानसभा पहुंचे. इसके बाद 2016 में 16वीं लोकसभा के लिए खीरी से भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार के रूप में चुने गए. उन्होंने 2,88,304 मतों से कांग्रेस पार्टी के अरविंद गिरि को मात दी थी. 2019 के लोकसभा चुनाव में खीरी सीट से भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी के रूप में अजय कुमार मिश्र ने 5,84,285 वोट पाकर 2,16,769 मतों के अंतर से जीत हासिल की.