हैदराबाद: इन दिनों केंद्रीय मंत्रिमंडल के विस्तार की चर्चा जोरों पर है. हालांकि मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला मंत्रिमंडल विस्तार केंद्र सरकार के लिए टेढ़ी खीर साबित होने वाला है. इस वक्त मोदी सरकार में 60 मंत्री हैं, विस्तार के बाद मंत्रियों की संख्या 80 तक पहुंच सकती है. फिलहाल कई मंत्रियों के पास दो से तीन बड़े मंत्रालयों की जिम्मेदारी है. मोदी मंत्रिमंडल में विस्तार के बाद मंत्रियों का बोझ कम किया जाएगा. आगामी मंत्रिमंडल विस्तार में चुनावी राज्यों के साथ सियासी सहयोगियों और जातीय समीकरण को ध्यान में रखा जाना तय है. विस्तार की अटकलों के बीच कई सांसद इस रेस में शामिल है. बीजेपी के अलावा एनडीए के अन्य दलों के सांसद भी लॉटरी लगने का इंतजार कर रहे हैं. आइये आपको बताते हैं कि किस राज्य से कौन से चेहरे क्यों हैं पीएम मोदी के मंत्री बनने की रेस में...
बिहार
आरसीपी सिंह- जेडीयू में नंबर दो के नेता रामचंद्र प्रसाद सिंह राज्यसभा सांसद और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के करीबी विश्वासपात्र हैं. यूपी कैडर के आईएएस अधिकारी से राजनेता बने आरसीपी सिंह इस वक्त जेडीयू के अध्यक्ष हैं. नीतीश कुमार के गृह जिले नालंदा से हैं और नीतीश कुमार की ही तरह कुर्मी जाति से ताल्लुक रखते हैं. नीतीश रेल मंत्री बने तो आरसीपी सिंह उनके विशेष सचिव रहे, नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने तो उन्हें प्रधान सचिव की जिम्मेदारी मिली. फिर वक्त से पहले रिटायरमेंट और पार्टी में एंट्री हो गई.
राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह- बिहार में अगड़ी जाति से ताल्लुक रखने वाले राजीव रंजन सिंह मुंगेर से लोकसभा सांसद हैं और पार्टी संसदीय दल के नेता हैं. नीतीश कुमार के करीबी माने जाते हैं. 2014 में लोकसभा चुनाव हारने के बाद उन्हें एमएलसी बनाकर बिहार कैबिनेट में शामिल किया गया था.
रामनाथ ठाकुर- वर्तमान में राज्यसभा सांसद रामनाथ ठाकुर बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर के बेटे हैं. बिहार सरकार में मंत्री रह चुके हैं और पहले भी जेडीयू की तरफ से संसद के उच्च सदन पहुंच चुके हैं. रामनाथ ठाकुर अत्यंत पिछड़ा वर्ग से ताल्लुक रखते हैं, बिहार में अत्यंत पिछड़ा वर्ग की हिस्सेदारी 30 फीसदी की है. बिहार में लोकसभा चुनाव से लेकर विधानसभा चुनाव में इस वोट बैंक पर सबकी नजर रहती है. इन्हें मोदी मंत्रिमंडल में भेजकर एक संदेश अत्यंत पिछड़ा वर्ग को दिया जा सकता है.
संतोष कुमार- बिहार की पूर्णिया लोकसभा सीट से सांसद हैं, ये प्रदेश के तीसरे ऐसे सांसद हैं जिन्हें 6 लाख से ज्यादा वोट मिले थे. दूसरी बार लोकसभा पहुंचे संतोष कुमार, कुशवाहा जाति से आते हैं जेडीयू कोटे से जिन दो-तीन नामों को लेकर सबसे ज्यादा चर्चा है उनमें संतोष कुमार का नाम भी है.
पशुपति कुमार पारस- एलजेपी में चल रही उठा पटक के बीच पशुपति कुमार पारस की भी केंद्रीय कैबिनेट में एंट्री हो सकती है. एलजेपी के पूर्व अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के सबसे छोटे भाई हैं. हाजीपुर से मौजूदा लोकसभा सांसद हैं, 5 बार विधायक रह चुके हैं और नीतीश कुमार की सरकार में मंत्री भी रहे हैं.
उत्तर प्रदेश
अनिल जैन- राज्यसभा सांसद अनिल जैन बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव से लेकर राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं. हरियाणा और छत्तीगढ़ के प्रभारी भी रहे हैं. इसके अलावा कई राज्यों के सहप्रभारी समेत कई अहम भूमिकाएं संगठन में निभा चुके हैं.
वरुण गांधी- लगातार तीसरी बार सांसद बने वरुण गांधी को भी मंत्रिमंडल की रेस में माना जा रहा है. अगले साल होने वाले यूपी विधानसभा चुनाव को देखते हुए उन्हें युवा चेहरे के रूप में केंद्रीय कैबिनेट में जगह मिल सकती है. इससे पहले भी कैबिनेट विस्तार में उनका नाम चर्चा में रहा है.
अनुप्रिया पटेल- अपना दल की अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर से लोकसभा सांसद हैं, मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में वो केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री रह चुकी हैं. यूपी चुनाव को देखते हुए उन्हें भी मंत्रीपद की रेस में माना जा रहा है.
स्वतंत्र देव सिंह- उत्तर प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह यूपी सरकार में मंत्री रह चुके हैं. एबीवीपी से लेकर आरएसएस और अब बीजेपी में अहम जिम्मेदारी निभाने वाले स्वतंत्र देव सिंह भी मोदी मंत्रिमंडल की रेस में बताए जा रहे हैं. बुंदेलखंड की नुमाइंदगी करने वाले स्वतंत्र देव सिंह की आगामी विधानसभा चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका होगी.
पंकज चौधरी- महाराजगंज लोकसभा सीट से सांसद हैं. छठी बार सांसद बने पंकज चौधरी को इस को इस बार टीम मोदी में आने का मौका मिल सकता है.
गुजरात
सीआर पाटिल- गुजरात के नवसारी से लोकसभा सांसद और गुजरात बीजेपी के अध्यक्ष चंद्रकांत रघुनाथ पाटिल भी पीएम मोदी की टीम में आने के दावेदारों में शामिल हैं. 2022 में गुजरात विधानसभा चुनाव को देखते हुए प्रदेश के कुछ और चेहरे भी इस रेस में शामिल हैं.
किरित सोलंकी- लगातार तीन बार से अहमदाबाद पश्चिम सीट से सांसद हैं. संसद में 100 फीसदी उपस्थिति को लेकर चर्चाओं में रहे सोलंकी श्रेष्ठ सांसद अवार्ड से नवाजे गए थे. इस वक्त अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति का कल्याण की संसदीय समिति के अध्यक्ष हैं.
राजस्थान
भूपेंद्र यादव- राज्यसभा सांसद भूपेंद्र यादव को संगठन का माहिर खिलाड़ी माना जाता है. शाह और नड्डा के करीबी भूपेंद्र यादव ने राजस्थान से लेकर गुजरात और यूपी से लेकर बिहार विधानसभा चुनाव में बीजेपी की जीत में अहम भूमिका निभाई. भूपेंद्र यादव के लिए कहा जाता है कि उन्हें जिस भी राज्य में जो जिम्मेदारी दी गई वो उसमें खरे उतरे और पार्टी के लिए जीत का तोहफा लेकर लौटे. ऐसे में वो मोदी मंत्रीमंडल का हिस्सा बनने के प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं. यूपी विधानसभा चुनाव मुहाने पर खड़े हैं, जहां यादव वोट बैंक को देखते हुए भूपेंद्र यादव को पीएम मोदी की टीम में जगह दी जा सकती है.
राज्यवर्धन सिंह राठौर- बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता की जिम्मेदारी निभा चुके ओलंपिक पदक विजेता राज्यवर्धन सिंह राठौर को एक बार फिर से मंत्री पद का दावेदार माना जा रहा है. राठौर लगातार दूसरी बार जयपुर ग्रामीण लोकसभा सीट से संसद पहुंचे हैं और मोदी सरकार पार्ट-1 में खेल मंत्री की जिम्मेदारी निभा चुके हैं.
दीया कुमारी- राजसमंद से लोकसभा सांसद दीया कुमारी की मोदी कैबिनेट में महिला मंत्री के रूप में एंट्री हो सकती है. राजघराने से ताल्लुक रखने वाली दीया कुमारी सवाई माधोपुर से विधायक भी रह चुकी हैं.
राहुल कस्वां-राजस्थान के चुरू से बीजेपी सांसद राहुल कस्वां लगातार दूसरी बार लोकसभा पहुंचे हैं. राजस्थान से चुने गए सबसे युवा सांसद रहे.
मध्य प्रदेश
ज्योतिरादित्य सिंधिया- कांग्रेस का हाथ छोड़ कमल थामने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया फिलहाल बीजेपी के राज्यसभा सांसद हैं. गुना से चार बार कांग्रेस की टिकट पर सांसद रहे सिंधिया, मनमोहन कैबिनेट में मंत्री भी रह चुके हैं. मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार गिराने और शिवराज चौहान की सरकार बनवाने में अहम भूमिका निभाने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया को मंत्री पद मिलना तय माना जा रहा है.
कैलाश विजयवर्गीय- बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय बिना कोई चुनाव हारे लगातार 6 बार विधानसभा पहुंच चुके हैं. राज्य सरकार में मंत्री रहने के अलावा उन्हें राज्यों के चुनाव प्रभारी की जिम्मेदारी दी गई. हरियाणा में बीजेपी की पहली बार सरकार बनाने और लोकसभा चुनाव के दौरान बंगाल की 18 सीटों पर कमल खिलाने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है.
असम
सर्बानंद सोनोवाल- असम के पूर्व मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल की भी मोदी कैबिनेट में एंट्री हो सकती है. 2016 में असम में पहली बार कमल खिलाने के बाद इस साल लगातार दूसरी बार असम में बीजेपी की सरकार बनाने में सोनोवाल की अहम भूमिका रही है. सोनोवाल को 2016 में बीजेपी ने मुख्यमंत्री बनाया था लेकिन इस बार ये जिम्मेदारी हेमंत बिस्वा सरमा को दी गई है. ऐसे में उन्हें मंत्रीपद का तोहफा मिल सकता है. 2014 लोकसभा चुनाव में असम की 14 लोकसभा सीटों में से बीजेपी ने सात और 2019 में 9 सीटें जीतीं थी. इसमें सर्बानंद सोनोवाल की भूमिका भी अहम रही. सोनोवाल दो बार लोकसभा सांसद और मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में खेल मंत्री की जिम्मेदारी भी निभा चुके हैं.
पश्चिम बंगाल
दिनेश त्रिवेदी- तृणमूल कांग्रेस से सांसद और फिर टीएमसी के कोटे से केंद्र में मंत्री रह चुके हैं. रेल मंत्री की जिम्मेदारी संभाल चुके दिनेश त्रिवेदी अब बीजेपी के साथ हैं. ऐसे में उनको भी मोदी मंत्रिमंडल में एंट्री मिल सकती है.
ओडिशा
अश्विनी वैष्णव- नौकरशाह से नेता बने अश्विनी वैष्णव ओडिशा से बीजेपी के राज्यसभा सांसद हैं. ओडिशा के बालासोर और कटक के कलेक्टर रह चुके हैं. अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्री बनने पर उन्हें पीएमओ में उप सचिव की जिम्मेदारी मिली. बाद में उन्हें अटल बिहारी वाजपेयी का निजी सचिव बनाया गया.
बैजयंत पांडा- बैजयंत पांडा बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और प्रवक्ता हैं. बीजू जनता दल से लोकसभा सांसद और राज्यसभा सदस्य भी रह चुके हैं. लेकिन साल 2018 में उन्हें पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में पार्टी से बाहर कर दिया गया. जिसके बाद उन्होंने साल 2019 में बीजेपी ज्वाइन कर ली.
महाराष्ट्र
नारायण राणे- महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री नारायण राणे बीजेपी के राज्यसभा सांसद हैं. शिवसेना के बाद कांग्रेस और फिर अपनी पार्टी बनाने के बाद उन्होंने बीजेपी का दामन थामा. महाराष्ट्र में 6 बार विधायक, नेता विपक्ष से लेकर कैबिनेट मंत्री समेत कई जिम्मेदारियां निभा चुके हैं.
प्रीतम मुंडे- पूर्व केंद्रीय मंत्री गोपीनाथ मुंडे की बेटी प्रीतम मुंडे अपने पिता की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ा रही हैं. लगातार दूसरी बार महाराष्ट्र के बीड से लोकसभा सांसद हैं. 2014 में अपने पिता के निधन के बाद पार्टी ने उन्हें टिकट दिया था.
हरियाणा
सुनीता दुग्गल- आईआरएस अधिकारी सुनीता दुग्गल ने साल 2014 में नौकरी छोड़ी और बीजेपी ज्वाइन की. 2014 में हरियाणा विधानसभा का चुनाव हारने के बाद पार्टी ने 2019 में उन्हें लोकसभा चुनाव में उतारा. उन्होंने सिरसा लोकसभा चुनाव से जीत दर्ज की.
दिल्ली
मीनाक्षी लेखी- नई दिल्ली लोकसभा सीट से लगातार दूसरी बार सांसद हैं. पेशे से वकील मीनाक्षी लेखी तेज तर्रार प्रवक्ता हैं. बीजेपी महिला मोर्चा की उपाध्यक्ष रह चुकीं मीनाक्षी लेखी मोदी मंत्रिमंडल में महिला चेहरे की कमी को पूरा कर सकती हैं.
इसके अलावा लद्दाख से बीजेपी सांसद जामयांग सेरिंग नामग्याल, कर्नाटक से राज्यसभा सांसद राजीव चंद्रशेखर, पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री पीपी चौधरी, राजस्थान के सीकर से सांसद स्वामी सुमेधानंद सरस्वती को भी मोदी मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है. हालांकि मंत्रिमंडल विस्तार के दौरान चुनावी राज्यों की पूछ अधिक हो सकती है, चुनाव को देखते हुए मंत्रिमंडल में जातिगत समीकरण और सहयोगियों का भी ध्यान रखना होगा.
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