देहरादून (उत्तराखंड): देवभूमि उत्तराखंड लगातार धार्मिक बदलाव को लेकर चर्चाओं में है. बीते एक साल में लैंड जिहाद पर सरकार ने जमकर की कार्रवाई की. इसके अलावा यूनिफॉर्म सिविल कोड पर सरकार आगे बढ़ रही है. अब उत्तराखंड में मदरसों के मॉर्डनाइजेशन को लेकर भी काम किया जा रहा है. जिस वजह से उत्तराखंड पूरे देश में एक मिसाल बनता जा रहा है.
उत्तराखंड में मदरसों में होने वाली मजहबी तालीम में आमूल चूल परिवर्तन कर उत्तराखंड वक्फ बोर्ड पूरे देश में मिसाल पेश करने जा रहा है. उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष शादाब शम्स ने बताया कि अब अब्दुल कलाम मदरसों के तर्ज पर मदरसों को मॉडर्न किए जाएंगे. सभी मदरसों में कंप्यूटर लैब के साथ लाइब्रेरी भी स्थापित की जाएगी. इसके अलावा बुर्के की अनिवार्यता को भी समाप्त किया जाएगा. आईटी, विज्ञान और अंग्रेजी समेत रोजगारपरक शिक्षा भी मदरसों में दी जाएगी.
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उन्होंने बताया कि उत्तराखंड के मदरसे से इंजीनियर डॉक्टर और वैज्ञानिक निकलें, इस दिशा में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देशन में काम जारी है. प्रदेश की 415 मदरसों में से 117 मदरसे वक्फ बोर्ड के अधीन हैं. चार मदरसों को मॉडर्न बनाने का काम शुरू कर दिया गया है. यहां एकेडमिक एवं फाइनेंस कमेटियां तैयार कर प्रशासक बनाए गए हैं. मदरसों के पाठ्यक्रम को 100 फीसदी बदला जाएगा और मॉर्डन पाठ्यक्रम लागू कर दिया जाएगा. इसके अलावा नया ड्रेस कोड भी लागू किए जाने की तैयारी है.
मदरसों में दी जाएगी संस्कृत, वेद और योग की शिक्षा: उत्तराखंड मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष मुफ्ती शमून कासमी ने बताया कि प्रदेश में 415 मदरसे से उत्तराखंड मदरसा बोर्ड के तहत चल रहे हैं. इन सभी में मॉडर्न शिक्षा नीति को अडॉप्ट किया गया है. साथ ही उन्होंने बताया कि मदरसा बोर्ड के तहत चल रहे सभी मदरसों में मुस्लिम तालीम के साथ संस्कृत शिक्षा, वेद और योग की शिक्षा भी दी जा रही है.
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उन्होंने बताया कि प्रदेश में संचालित सभी मदरसों में राष्ट्र प्राथमिकता की दृष्टि से शिक्षा दीक्षा दी जा रही है. उन्होंने कहना है कि उत्तराखंड में जिस तरह से देवभूमि का अपनी एक बड़ी भूमिका और महत्व है. उसे देखते हुए उत्तराखंड से पूरे देश में इस तरह का संदेश जाना चाहिए कि यहां पर सभी धर्म को एक नजरिए से देखा जाए.