बेंगलुरु: बेंगलुरु में जनप्रतिनिधियों की एक विशेष अदालत ने नेहरू ओलेकर और उनके दो बेटों को नगर परिषद को स्वीकृत अनुदान के वितरण में भाई-भतीजावाद और भ्रष्टाचार का दोषी पाया है और उन्हें दो साल की जेल की सजा सुनाई है.
भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत सजा: नेहरू ओलेकर को भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत दोषी ठहराया गया है. विधायक के बेटों को 50 लाख रुपये का काम देने और काम के आवंटन में भाई-भतीजावाद के आरोप में जनप्रतिनिधियों की अदालत ने उन्हें 2 साल कैद और 2,000 रुपये जुर्माने की सजा सुनाई. विधायक के बेटों मंजूनाथ ओलेकारा और देवराज ओलेकरा के खिलाफ भी सजा सुनाई गई है. जानकारी के मुताबिक चूंकि सजा तीन साल से कम है, इसलिए विधायक को जनप्रतिनिधि अदालत से ही जमानत मिल जाएगी.
मामला दर्ज करने वाली आरटीआई कार्यकर्ता शशिधर हल्लीकेरे ने इस पर प्रतिक्रिया दी है. पिछले 10 वर्षों के संघर्ष को जीत लिया है. भाई-भतीजावाद करने वाले विधायकों को दंडित किया गया है. मामला 09-10-2012 को दर्ज किया गया था. हावेरी जिला न्यायालय में मामले की सुनावाई के बाद, इसे 2021 में जनप्रतिनिधि विशेष अदालत में स्थानांतरित कर दिया गया था. हावेरी नगर परिषद में जो अनुदान आया था, उसमें बच्चों के नाम पर फर्जीवाड़ा किया गया था.
उन्होंने कहा,'उसने बिल ले लिया था. उसने ठेकेदार के रूप में बच्चों के नाम से फर्जी दस्तावेज व प्रमाण पत्र बनवाए थे. बिना काम किए ही उसे 5 करोड़ 35 लाख रुपए मिल गए थे. विधायक को अपने विकास कार्यों का अनुदान बच्चों को नहीं देना चाहिए. लेकिन, विधायकों ने कानून की अवहेलना की और पैसा कमाए. बच्चों को ठेकेदार के रूप में पंजीकृत किया गया था. कोर्ट ने दोषियों के लिए सजा का ऐलान किया है. हम इससे खुश हैं.'
हावेरी विधायक नेहरू ओलेकर ने अपने पद के प्रभाव का इस्तेमाल बच्चों को ठेका देने और रिश्तेदारों को लाभ पहुंचाने के लिए किया. जनप्रतिनिधि अदालत ने इस मामले में सजा सुनाई है. विधायक नेहरू ओलेकर पर 50 लाख रुपये की पक्की सड़क बनाने सहित कुछ कार्यों में भाई-भतीजावाद का आरोप लगाया गया और मामला अदालत में चला गया था.