शिमला : संस्कारों की भूमि कहे जाने वाले हिमाचल की विधानसभा में बजट सत्र के पहले दिन जिस तरह से कांग्रेस ने हंगामा किया, उससे देवभूमि के संस्कार तार-तार हुए. नेता प्रतिपक्ष सहित कांग्रेस के कुछ विधायकों ने राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय के साथ अभद्र व्यवहार की सीमाएं लांघ दीं.
राज्यपाल से अभद्र व्यवहार करने पर विधानसभा चीफ मार्शल की शिकायत के बाद नेता विपक्ष समेत पांच विधायकों के खिलाफ शिमला के बालूगंज थाने में मामला दर्ज किया गया है. इसके साथ ही सरकार ने मुकेश अग्निहोत्री को दिया नेता विपक्ष का स्टेटस भी वापस ले लिया है.
पूरे सत्र से किया गया निलंबित
जोरदार हंगामे के बाद तेजी से बदले घटनाक्रम में विधानसभा अध्यक्ष विपिन सिंह परमार ने नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री सहित कांग्रेस के पांच विधायकों को संपूर्ण सत्र से निलंबित कर दिया.
संसदीय कार्यमंत्री सुरेश भारद्वाज ने निलंबन प्रस्ताव लाया और उस पर संक्षिप्त चर्चा के बाद प्रस्ताव को मंजूर किया गया. साथ ही विधानसभा अध्यक्ष ने मुकेश अग्निहोत्री व चार अन्य कांग्रेस विधायकों को सदन की आगे की अवधि से निलंबित कर दिया.
पहली बार राज्यपाल के साथ हुआ दुर्व्यवहार
अमूमन हिमाचल विधानसभा को शांति व गरिमा के साथ काम करने वाली विधानसभा माना जाता है. यहां विपक्ष सदन के वेल में आकर भी नारेबाजी करता रहा है और हंगामा भी, लेकिन ऐसा इससे पहले कभी नहीं हुआ.
खास बात ये है कि प्रदेश के संवैधानिक प्रमुख के साथ कभी भी ऐसा दुर्व्यवहार नहीं हुआ. दुखद ये कि राज्यपाल के अभिभाषण को सुनने के लिए उनके परिवार के सदस्य भी सदन के भीतर मौजूद थे. उनमें अधिकांश महिलाएं थीं. ऐसे में उनके मन में हिमाचल की कैसी छवि निर्मित हुई होगी, इसे आसानी से समझा जा सकता है.
अग्निहोत्री ने की शुरूआत
दरअसल, कांग्रेस विधायकों की मंशा तो आरंभ से ही बजट अभिभाषण में व्यवधान डालने की थी. ऐसा संकेत सीएम जयराम ठाकुर ने सदन में निलंबन प्रस्ताव के दौरान अपने संबोधन में दिया था.
राज्यपाल जब सदन में आए तो शुरुआत में सब ठीक था. उन्होंने अपने अभिभाषण का अभी थोड़ा ही हिस्सा पढ़ा था कि नेता विपक्ष मुकेश अग्निहोत्री अपनी सीट से खड़े हो गए और कहने लगे कि ये बजट भाषण झूठ का पुलिंदा है. उसके बाद जो हंगामा हुआ, उसे सभी ने देखा.
विपक्ष ने की स्पीकर गेट के बाहर नारेबाजी
सोशल मीडिया पर भी इस हंगामे की चर्चा हो रही है और सभी ये कह रहे हैं कि हिमाचल में ऐसा घटनाक्रम देखने की शायद ही किसी ने कल्पना की होगी. राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय बजट सत्र की शुरुआत में अभिभाषण पढ़ने के बाद सदन से लौट रहे थे. स्पीकर गेट के बाहर नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री व अन्य कांग्रेस विधायक सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर रहे थे.
राज्यपाल की गाड़ी पर मारे घूंसे
राज्यपाल वहां से गुजरने लगे तो कांग्रेस के विधायक उनकी गाड़ी के आगे लेट गए. यही नहीं, अभिभाषण की प्रति को भी राज्यपाल की गाड़ी पर मारा गया. गवर्नर के वाहन के बोनट पर घूंसे मारे गए. उनके एडीसी के साथ हाथापाई की गई.
कांग्रेस के सदस्य यहां पर भी नहीं रुके और अभद्र शब्दों का प्रयोग भी किया गया. इस अभूतपूर्व हंगामे के बीच किसी तरह राज्यपाल के काफिले को वहां से निकाला गया.
स्पीकर ने दोबारा बुलाया सदन
कांग्रेस विधायकों ने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर, विधानसभा उपाध्यक्ष हंसराज और अन्य मंत्रियों के साथ धक्का-मुक्की भी की. कुल जमा आधे घंटे के इस हंगामे के बाद हिमाचल विधानसभा में जो हुआ, उसे अभूतपूर्व कहा जाएगा.
स्पीकर के चैंबर में आनन-फानन में मीटिंग हुई. संसदीय कार्यमंत्री सुरेश भारद्वाज सहित अन्य नेता आगे की कार्रवाई के लिए मंथन करने लगे. तभी स्पीकर ने अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए नियम विशेष के तहत सदन को दोबारा कॉल किया.
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कांग्रेस के पांच विधायक निलंबित
इससे पहले राज्यपाल के अभिभाषण के बाद विधानसभा उपाध्यक्ष हंसराज ने सदन को सोमवार तक के लिए स्थगित कर दिया था, लेकिन आपात परिस्थितियों में एक बजे से पहले बैठक को फिर से बुलाया गया. संसदीय कार्यमंत्री सुरेश भारद्वाज ने सदन में निलंबन प्रस्ताव रखा.
बाद में संक्षिप्त चर्चा के बाद सदन में इस प्रस्ताव को पारित कर मुकेश अग्निहोत्री सहित विधायक हर्षवर्धन चौहान, सुंदर ठाकुर, सतपाल रायजादा, विनय कुमार को सदन के शेष समय की कार्यवाही से निलंबित कर दिया गया.
प्रेम कुमार धूमल ने की निंदा
राज्यपाल के परिवार ने भी कभी ऐसी परिस्थिति की कल्पना नहीं की होगी. जिस समय राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय व उनके स्टाफ के साथ कांग्रेस के सदस्य दुर्व्यवहार कर रहे थे, राज्यपाल के परिजन हैरत में थे.
इस घटनाक्रम से हिमाचल की देवभूमि वाली छवि पर दाग लगा है. पूर्व सीएम प्रेम कुमार धूमल ने भी इस घटना की निंदा की है और खेद जताया है कि राज्यपाल के साथ हिमाचल में ऐसा व्यवहार हुआ. हिमाचल विधानसभा के इतिहास में राज्यपाल से दुर्व्यवहार और फिर दंड स्वरूप पांच सदस्यों का निलंबन पहली बार हुआ.
अपनी ही पार्टी के लोग असहमत
कांग्रेस सदस्यों की इस हरकत से खुद उनकी ही पार्टी के कुछ नेता सहमत नहीं थे. विरोध प्रदर्शन तक तो जायज था, लेकिन विधानसभा परिसर में राज्यपाल के साथ अभद्रता हिमाचल में पहले कभी नहीं हुई थी.