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आयुष मंत्रालय ने BUMS के लिए उर्दू जानने की अनिवार्यता को खत्म करने का निर्णय लिया है - BUMS के लिए उर्दू जानने की अनिवार्यता

यूनानी मेडिसिन व सर्जरी की स्नातक शिक्षा में (Bachelor of Unani Medicine & Surgery-BUMS) में प्रवेश करने के लिए उर्दू जानने की अनिवार्यता को आयुष मंत्रालय ने खत्म कर दिया है.

आयुष मंत्रालय
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Published : Feb 14, 2022, 10:51 PM IST

श्रीनगर : आयुष मंत्रालय ने यूनानी मेडिसिन व सर्जरी की स्नातक शिक्षा में (Bachelor of Unani Medicine & Surgery-BUMS) में प्रवेश पॉलिसी में बदलाव किया है. मंत्रालय ने उर्दू भाषा जानने की अर्हता को खत्म करने का फैसला किया है. इस बदलाव के बारे में मंत्रालय की ओर से कॉलेजों को ई-मेल के जरिये सूचित कर दिया गया है.

उर्दू 10वीं क्लास में होनी चाहिए थी. वहीं, मंत्रालय के इस फैसले को लेकर अब विरोध की आवाजें उठने लगी हैं. माना जा रहा है कि इस फैसले से न केवल यूनानी चिकित्सा की प्रतिष्ठा खतरे में होगी, बल्कि BUMS में पढ़ने वाले छात्रों का भविष्य भी नष्ट होने की कगार पर आ जाएगी. चूंकि, इसका साहित्य और इससे जुड़ी शिक्षा केवल उर्दू भाषा में उपलब्ध है, गैर-उर्दू छात्र इसका अध्ययन नहीं कर पाएंगे.

पढ़ें : लद्दाख राजस्व विभाग से उर्दू की 'विदाई', सांसद बोले- थोपी गई भाषा से मिली स्वतंत्रता

इस संबंध में ईटीवी भारत के प्रतिनिधि ने विशेषज्ञों से बात की जिसमें उन्होंने कहा कि आयुष मंत्रालय का यह निर्णय वास्तविकता पर आधारित नहीं है. अगर अब भी उर्दू छात्रों के लिए भारी उर्दू समझना मुश्किल है, तो अब अगर गैर-उर्दू छात्र इसमें दाखिला लेना शुरू करते हैं, तो उन्हें और मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है.

श्रीनगर : आयुष मंत्रालय ने यूनानी मेडिसिन व सर्जरी की स्नातक शिक्षा में (Bachelor of Unani Medicine & Surgery-BUMS) में प्रवेश पॉलिसी में बदलाव किया है. मंत्रालय ने उर्दू भाषा जानने की अर्हता को खत्म करने का फैसला किया है. इस बदलाव के बारे में मंत्रालय की ओर से कॉलेजों को ई-मेल के जरिये सूचित कर दिया गया है.

उर्दू 10वीं क्लास में होनी चाहिए थी. वहीं, मंत्रालय के इस फैसले को लेकर अब विरोध की आवाजें उठने लगी हैं. माना जा रहा है कि इस फैसले से न केवल यूनानी चिकित्सा की प्रतिष्ठा खतरे में होगी, बल्कि BUMS में पढ़ने वाले छात्रों का भविष्य भी नष्ट होने की कगार पर आ जाएगी. चूंकि, इसका साहित्य और इससे जुड़ी शिक्षा केवल उर्दू भाषा में उपलब्ध है, गैर-उर्दू छात्र इसका अध्ययन नहीं कर पाएंगे.

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इस संबंध में ईटीवी भारत के प्रतिनिधि ने विशेषज्ञों से बात की जिसमें उन्होंने कहा कि आयुष मंत्रालय का यह निर्णय वास्तविकता पर आधारित नहीं है. अगर अब भी उर्दू छात्रों के लिए भारी उर्दू समझना मुश्किल है, तो अब अगर गैर-उर्दू छात्र इसमें दाखिला लेना शुरू करते हैं, तो उन्हें और मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है.

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