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छत्तीसढ़ में धर्मांतरण कोई मुद्दा ही नहीं है : रविन्द्र चौबे - religion conversion

प्रदेश के कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे (Agriculture Minister Ravindra Choubey) ने राज्यपाल द्वारा हाल ही में धर्मांतरण (conversion) को लेकर लिखे गए पत्र के विषय में कहा कि वे पत्र व्यवहार को लेकर कोई टिप्पणी नहीं करेंगे, मगर राजभवन को राजनीति का अखाड़ा नहीं बनना चाहिए.

रविन्द्र चौबे
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Published : Oct 21, 2021, 6:51 AM IST

रायपुर : राज्यपाल द्वारा हाल ही में धर्मांतरण को लेकर लिखे गए पत्र के विषय में सरकार के प्रवक्ता और प्रदेश के कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे (Agriculture Minister Ravindra Choubey) का कहना है कि वे पत्र व्यवहार को लेकर कोई टिप्पणी नहीं करेंगे मगर पहले भी हमने बयान दिया था कि राजभवन को राजनीति का अखाड़ा नहीं बनना चाहिए. इस बीच उन्होंने बीजेपी के उपर कई गंभीर आरोप लगाए.

रविन्द्र चौबे से बातचीत

उन्होंने कहा कि छत्तीसढ़ में धर्मांतरण कोई मुद्दा ही नहीं है. छत्तीसगढ़ में अगर धर्मातरण को बीजेपी मुद्दा बनाती और मानती है तो धर्मांतरण के विरोध में सबसे बड़े नेता थे स्व. दिलीप सिंह जूदेव. भाजपा ने लगातार उनकी उपेक्षा क्यों की थी? धर्मांतरण उनका प्रमुख विषय है, तो दिलीप सिंह जूदेव को प्रदेश का नेतृत्व को सौंपना था. तब उन्होंने यह काम नहीं किया.

अब सिर्फ राजनीति करने लिए धर्मांतरण का सहारा लिया जा रहा है. बीजेपी के पास कोई मुद्दा नहीं है. किसानों, वनवासियों, मजदूरों के अलावा हमने विकास का काम किया है. बीजेपी के दो प्रमुख मुददों में सांप्रदायिकता और धर्मांतरण है और इसके सहारे ही राजनीति करने की कोशिश की जा रही है लेकिन छत्तीसगढ़ के लोग इसे सफल नहीं होने देंगे.

राज्यपाल ने लिखा सीएम को पत्र

धर्मांतरण को लेकर छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनुसूईया उइके ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को एक पत्र लिखा है. उन्होंने इस पत्र में लिखा है कि जबरन धर्मांतरण की शिकायतों पर कानूनी कार्रवाई होनी ही चाहिए. राज्यपाल ने जबरन धर्मांतरण को कानूनन अपराध कहा है. यह पहला अवसर नहीं है, जब राज्यपाल ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखा हो. इससे पहले जब राज्यपाल के सचिव पद से आईएएस अधिकारी सोनमणि बोरा को हटा कर अमित कुमार खलखो को जिम्मेदारी दी गई थी, उसके बाद राज्यपाल ने मुख्यमंत्री को पत्र लिख कर कहा था कि राजभवन के लिए उनकी सहमति से पूर्णकालिक सचिव की नियुक्ति की जाए.

यही नहीं, राज्यपाल ने प्रदेश के कई मामलों को ले कर प्रधानमंत्री और देश के गृहमंत्री से मुलाकात की थी. इसे ले कर भी राजनीतिक गलियारों में खूब चर्चा होती रही. तब अपनी मुलाकात के दौरान राज्यपाल ने प्रधानमंत्री मोदी से कहा था कि पांचवीं अनुसूची के अंतर्गत आने वाले नगरीय क्षेत्रों में पेसा कानून लागू किया जाए. पेसा कानून लागू होने से जनजातियों को उनके संवैधानिक अधिकार प्राप्त होंगे. दरअसल, छत्तीसगढ़ के कई आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र को सरकार ने नगरीय निकाय घोषित कर दिया है.

पढ़ें :- जबरन धर्मांतरण करने वालों पर कार्रवाई होनी चाहिए : राज्यपाल अनुसुइया उईके

राज्य सरकार ने नहीं दिया था हेलीकॉप्टर

इसको लेकर राज्यपाल ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को पत्र भी लिखा था. दिल्ली में राज्यपाल अनुसुइया उइके ने जब गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी तब देश के गृहमंत्री ने कहा था कि प्रदेश के आदिवासी और ग्रामीण क्षेत्रों का अधिक से अधिक दौरा करें. सरकार ने इनके लिए अच्छी योजनाएं बनाई हैं. जिनका क्रियान्वयन किया जा रहा है. उन्होंने कहा था कि आपके इन इलाकों में दौरे से इनका क्रियान्वयन और भी प्रभावी हो सकेगा.

राज्यपाल ने गरियाबंद के सुपेबेड़ा गांव जाने की घोषणा की. तब उनका कहना था कि उन्होंने इसके लिए राज्य सरकार से हेलीकॉप्टर मांगा था, जो नहीं मिला. उसके बाद उन्होंने कहा कि उन्हें हेलिकॉप्टर मिले अथवा नहीं, वह वहां जाएंगी जरूर. इसको लेकर सरकार असहज हुई. तब स्वास्थ्य मंत्री खुद उनके साथ सुपेबेड़ा गए. यहां से टकराव की शुरुआत हुई.

कुलपतियों की नियुक्ति को लेकर बढ़ा विवाद
विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की नियुक्तियों से सरकार और राजभवन में ठन गई. कुशाभाउ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय में आरएसएस पृष्ठभूमि के बलदेवराज शर्मा की कुलपति पद पर नियुक्ति से यह टकराव बढ़ा. सरकार ने बजट सत्र के दौरान छत्तीसगढ़ विश्वविद्यालय अधिनियम में बदलाव कर कुलपति नियुक्ति की प्रक्रिया में राज्यपाल का हस्तक्षेप सीमित कर दिया. राज्यपाल ने इस अधिनियम को वीटो कर दिया. इससे राजभवन और सरकार के बीच विवाद गहरा गया.

रायपुर : राज्यपाल द्वारा हाल ही में धर्मांतरण को लेकर लिखे गए पत्र के विषय में सरकार के प्रवक्ता और प्रदेश के कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे (Agriculture Minister Ravindra Choubey) का कहना है कि वे पत्र व्यवहार को लेकर कोई टिप्पणी नहीं करेंगे मगर पहले भी हमने बयान दिया था कि राजभवन को राजनीति का अखाड़ा नहीं बनना चाहिए. इस बीच उन्होंने बीजेपी के उपर कई गंभीर आरोप लगाए.

रविन्द्र चौबे से बातचीत

उन्होंने कहा कि छत्तीसढ़ में धर्मांतरण कोई मुद्दा ही नहीं है. छत्तीसगढ़ में अगर धर्मातरण को बीजेपी मुद्दा बनाती और मानती है तो धर्मांतरण के विरोध में सबसे बड़े नेता थे स्व. दिलीप सिंह जूदेव. भाजपा ने लगातार उनकी उपेक्षा क्यों की थी? धर्मांतरण उनका प्रमुख विषय है, तो दिलीप सिंह जूदेव को प्रदेश का नेतृत्व को सौंपना था. तब उन्होंने यह काम नहीं किया.

अब सिर्फ राजनीति करने लिए धर्मांतरण का सहारा लिया जा रहा है. बीजेपी के पास कोई मुद्दा नहीं है. किसानों, वनवासियों, मजदूरों के अलावा हमने विकास का काम किया है. बीजेपी के दो प्रमुख मुददों में सांप्रदायिकता और धर्मांतरण है और इसके सहारे ही राजनीति करने की कोशिश की जा रही है लेकिन छत्तीसगढ़ के लोग इसे सफल नहीं होने देंगे.

राज्यपाल ने लिखा सीएम को पत्र

धर्मांतरण को लेकर छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनुसूईया उइके ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को एक पत्र लिखा है. उन्होंने इस पत्र में लिखा है कि जबरन धर्मांतरण की शिकायतों पर कानूनी कार्रवाई होनी ही चाहिए. राज्यपाल ने जबरन धर्मांतरण को कानूनन अपराध कहा है. यह पहला अवसर नहीं है, जब राज्यपाल ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखा हो. इससे पहले जब राज्यपाल के सचिव पद से आईएएस अधिकारी सोनमणि बोरा को हटा कर अमित कुमार खलखो को जिम्मेदारी दी गई थी, उसके बाद राज्यपाल ने मुख्यमंत्री को पत्र लिख कर कहा था कि राजभवन के लिए उनकी सहमति से पूर्णकालिक सचिव की नियुक्ति की जाए.

यही नहीं, राज्यपाल ने प्रदेश के कई मामलों को ले कर प्रधानमंत्री और देश के गृहमंत्री से मुलाकात की थी. इसे ले कर भी राजनीतिक गलियारों में खूब चर्चा होती रही. तब अपनी मुलाकात के दौरान राज्यपाल ने प्रधानमंत्री मोदी से कहा था कि पांचवीं अनुसूची के अंतर्गत आने वाले नगरीय क्षेत्रों में पेसा कानून लागू किया जाए. पेसा कानून लागू होने से जनजातियों को उनके संवैधानिक अधिकार प्राप्त होंगे. दरअसल, छत्तीसगढ़ के कई आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र को सरकार ने नगरीय निकाय घोषित कर दिया है.

पढ़ें :- जबरन धर्मांतरण करने वालों पर कार्रवाई होनी चाहिए : राज्यपाल अनुसुइया उईके

राज्य सरकार ने नहीं दिया था हेलीकॉप्टर

इसको लेकर राज्यपाल ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को पत्र भी लिखा था. दिल्ली में राज्यपाल अनुसुइया उइके ने जब गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी तब देश के गृहमंत्री ने कहा था कि प्रदेश के आदिवासी और ग्रामीण क्षेत्रों का अधिक से अधिक दौरा करें. सरकार ने इनके लिए अच्छी योजनाएं बनाई हैं. जिनका क्रियान्वयन किया जा रहा है. उन्होंने कहा था कि आपके इन इलाकों में दौरे से इनका क्रियान्वयन और भी प्रभावी हो सकेगा.

राज्यपाल ने गरियाबंद के सुपेबेड़ा गांव जाने की घोषणा की. तब उनका कहना था कि उन्होंने इसके लिए राज्य सरकार से हेलीकॉप्टर मांगा था, जो नहीं मिला. उसके बाद उन्होंने कहा कि उन्हें हेलिकॉप्टर मिले अथवा नहीं, वह वहां जाएंगी जरूर. इसको लेकर सरकार असहज हुई. तब स्वास्थ्य मंत्री खुद उनके साथ सुपेबेड़ा गए. यहां से टकराव की शुरुआत हुई.

कुलपतियों की नियुक्ति को लेकर बढ़ा विवाद
विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की नियुक्तियों से सरकार और राजभवन में ठन गई. कुशाभाउ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय में आरएसएस पृष्ठभूमि के बलदेवराज शर्मा की कुलपति पद पर नियुक्ति से यह टकराव बढ़ा. सरकार ने बजट सत्र के दौरान छत्तीसगढ़ विश्वविद्यालय अधिनियम में बदलाव कर कुलपति नियुक्ति की प्रक्रिया में राज्यपाल का हस्तक्षेप सीमित कर दिया. राज्यपाल ने इस अधिनियम को वीटो कर दिया. इससे राजभवन और सरकार के बीच विवाद गहरा गया.

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