जयपुर. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मिमिक्री करने वाले श्याम रंगीला पर वन विभाग ने 11000 रुपए का जुर्माना लगाया है. पिछले दिनों कॉमेडियन रंगीला ने वन अधिनियम का उल्लंघन करते हुए झालाना लेपर्ड रिजर्व में नीलगाय को खाना खिलाया था. जिसके बाद वन अधिनियम का उल्लंघन करने के मामले में वन विभाग ने श्याम रंगीला को नोटिस दिया था. वहीं, नोटिस के बाद सोमवार को रंगीला जयपुर स्थित वन विभाग के कार्यालय पहुंचे.
क्षेत्रीय वन अधिकारी जनेश्वर चौधरी ने बताया कि श्याम रंगीला सोमवार को झालाना नाका स्थित वन विभाग के कार्यालय में पेश होकर अपनी गलती स्वीकार किए साथ ही जुर्माने की राशि जमा करवाई है. उन्होंने बताया कि रेंज ऑफिसर द्वितीय योगेंद्र सिंह शेखावत के समक्ष रंगीला पेश हुए. उन पर वन अधिनियम का उल्लंघन करने पर 11000 रुपए का जुर्माना लगाया गया था, जिसे वो जमा कराए. दरअसल, कॉमेडियन श्याम रंगीला ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नकल करते हुए झालाना लेपर्ड रिजर्व में नीलगाय को खाना खिलाते हुए वीडियो बनाया था.
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मोदी की तरह टोपी पहनकर और दूरबीन लेकर शूट किया वीडियो - श्याम रंगीला ने झालाना लेपर्ड रिजर्व में प्रधानमंत्री मोदी की तरह टोपी पहनकर और दूरबीन लेकर वीडियो शूट किया था. साथ ही इस वीडियो को उन्होंने यूट्यूब पर भी अपलोड किया था. जिसके बाद वन विभाग ने श्याम रंगीला को नोटिस जारी कर दिया. रंगीला को नोटिस देकर पाबंद किया गया था कि 17 अप्रैल को वो कार्यालय में क्षेत्रीय वन अधिकारी जयपुर प्रादेशिक जगतपुरा रोड के समक्ष दोपहर 12 से 1 के बीच उपस्थित हो.
वन अधिनियम 1953 और वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 के प्रावधानों का उल्लंघन - क्षेत्रीय वन अधिकारी जनेश्वर चौधरी ने बताया कि श्याम रंगीला ने अपने यूट्यूब चैनल पर 13 अप्रैल को वीडियो अपलोड किया गया था. वीडियो में श्याम रंगीला जंगल में गाड़ी से नीचे उतरकर अपने हाथ से नीलगाय को खाद्य पदार्थ खिलाते नजर आए. वहीं, वन्यजीवों को खाद्य पदार्थ खिलाना वन अधिनियम 1953 और वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 के प्रावधानों का उल्लंघन है. वन्यजीव को खाद्य पदार्थ खिलाने से कई प्रकार की गंभीर बीमारियां हो जाती है. वहीं, वन्यजीवों की जान को भी खतरा रहता है.
झालाना में लगे हैं साइन बोर्ड - वन्यजीवों को खाद्य पदार्थ नहीं खिलाने को लेकर झालाना लेपर्ड रिजर्व में सूचना बोर्ड भी लगे हुए हैं. इसके बावजूद भी श्याम रंगीला ने नीलगाय को खाद्य पदार्थ खिलाया है. यह कृत्य वन अधिनियम 1953 और वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 का उल्लंघन है.