मिर्जापुर: विश्व प्रसिद्ध मां विंध्यवासिनी का मंदिर श्रद्धालुओं के लिए तो वैसे साल भर आकर्षण का केंद्र बना रहता है. लेकिन इन दिनों विंध्याचल में कुछ खास मेहमान आए हैं, जो श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं. साथ ही गंगा की खूबसूरती को बढ़ा रहे हैं. हम बात कर रहे हैं सात समंदर पार से आए साइबेरियन पक्षियों की, जो हजारों किलोमीटर की दूरी तय करके हर साल ठंड के मौसम में विंध्याचल में आ जाते हैं. इन साइबेरियन पक्षियों को देखने के लिए दूर-दूर से सैलानी आ रहे हैं और नाव से गंगा नदी में जाकर पक्षियों को दाना खिला रहे हैं. इन मेहमानों के आने से एक और जहां विंध्याचल में पर्यटकों की संख्या में इजाफा हो रहा है वहीं दूसरी ओर गंगा में नाव चलाने वाले खुश नजर आ रहे हैं.
सात समंदर पार कर आने वाले मेहमानों ने मिर्जापुर में डेरा डाल दिया है. हजारों किलोमीटर की महीनों तक यात्रा कर पहुंचे साइबेरियन पक्षियों के चलते गंगा तटों का नजारा बदल गया है. एक ओर जहां खुशनुमा मौसम के कारण विंध्याचल धाम की सैर करने वाले सैलानियों में खुशी का माहौल है. वहीं विदेशी मेहमानों की मौजूदगी से गंगा घाटों की सुंदरता और बढ़ गई है. विदेशी धरती से मिर्जापुर प्रवास करने अपने दल के साथ पहुंचे साइबेरियन पक्षियों को देखने के लिए इन दिनों विंध्याचल में सैलानियों की भीड़ लगी हुई है. इन मेहमान पक्षियों को देखने के लिए दूर-दूर से सैलानी पहुंच रहे हैं. गंगा नदी की लहरों पर अटखेलियां करते यह विदेशी मेहमान विंध्याचल आने वाले दर्शनार्थियों के लिए इस समय आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं.
मेहमानों के आने से नाविकों का हो रहा है जीविकोपार्जन
विदेशी साइबेरियन पक्षियों की गूंज से गंगा का नजारा पूरी तरह से इस समय बदला हुआ है. इन पक्षियों की चह-चह से पूरे गंगा में स्वरों की मीठी लहर सी उठ रही है. इसी नजारे को देखने के लिए भारी संख्या में लोग पहुंच रहे हैं. लोग घंटो-घंटो के लिए बड़ी या छोटी नाव बुक करके इस पल का लुफ्त उठा रहे हैं. गंगा नदी में नाव से घूमने वाले पर्यटक इन पक्षियों को यहां पर मिलने वाले नमकीन दाने डालते हैं, जिन्हें खाने के लिए सैकड़ों की संख्या में यह साइबेरियन पक्षी नाव और पर्यटकों के चारों को उड़ते दिखाई देते हैं. विदेशी मेहमानों के आने से यहां पर नाविकों के लिये यह जीविकोपार्जन बन गए हैं. तीन महीने तक यहां पर इसी तरह से नजारा देखने को हर साल मिलता है और इसी का इंतजार इन नाविकों को भी रहता है और सैलानियों को भी.
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हजारों किलोमीटर की यात्रा कर आते हैं मेहमान
गंगा नदी में हर साल ठंड में साइबेरियन पक्षी आ जाते हैं, जो करीब तीन महीने तक यहां रहते हैं. दरअसल, साइबेरिया के साथ रूस और यूरोप के उन हिस्सों में जहां ठंड के मौसम में कड़ाके की ठंड पड़ती है और पक्षियों को वहा खाने की दिक्कतें होती हैं. ऐसे में वह उड़कर भारत की ओर निकल लेते हैं. करीब दो हजार किलोमीटर की हवाई यात्रा करने के बाद यह पक्षी एक महीने की यात्रा करके यहां पर पहुंचते हैं. गंगा नदी में फरवरी महीने तक साइबेरियन पछी रहते हैं और इसके बाद यह फिर से एक महीने की यात्रा तय करके अपने मुल्क पहुंच जाते हैं.