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राज्यों को महिलाओं के खिलाफ अपराध मामलों से सख्ती से निपटने का निर्देश - अपराध एवं अपराधी ट्रैकिंग नेटवर्क

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से महिलाओं के खिलाफ अपराधों के मामलों से निपटने की क्षमता को मजबूत करने को कहा है. साथ ही बीपीआरएंडडी द्वारा जारी की गई मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) को प्रयोग करते हुए पुलिसकर्मियों को प्रशिक्षण प्रदान करने का निर्देश दिया गया है.

केंद्रीय गृह मंत्रालय
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Published : Nov 16, 2021, 9:23 PM IST

Updated : Nov 16, 2021, 10:24 PM IST

नई दिल्ली : केंद्रीय गृह मंत्रालय (MHA) ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से महिलाओं के खिलाफ अपराधों के मामलों से निपटने की क्षमता को मजबूत करने को कहा है. राज्यों के अतिरिक्त मुख्य सचिवों, प्रमुख सचिवों (गृह), गृह सचिवों और डीजीपी को जारी एक सर्कुलर में, गृह मंत्रालय ने संसदीय स्थायी समिति द्वारा जारी विभिन्न सिफारिशों का भी उल्लेख किया.

सोमवार को जारी किए गए सर्कुलर में महिलाओं के खिलाफ अपराधों से निपटने के लिए तंत्र को मजबूत करने के लिए गृह मंत्रालय द्वारा जारी पिछली सलाह का भी उल्लेख है, विशेष रूप से दायर और निपटाई गईं कुल जीरो एफआईआर के विवरण सहित एफआईआर के पंजीकरण संबंधी मानक संचालन प्रक्रिया तथा महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधो से निपटने के लिए बीपीआरएंडडी (Bureau of Police Research and Development) द्वारा जारी की गई मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) को प्रयोग करते हुए पुलिसकर्मियों को प्रशिक्षण प्रदान करना शामिल है.

सर्कुलर में संसदीय स्थायी समिति की सिफारिशों का हवाला देते हुए आगे कहा गया है कि एफआईआर के पंजीकरण संबंधी एसओपी में शिकायतकर्ता द्वारा पुलिस को अपराध की सूचना दिए जाने में हुई देरी के कारण को भी दर्ज किए जाने संबंधी पुलिस के लिए दिशानिर्देशों को भी शामिल किया जाए.

सर्कुलर में कहा गया है, 'राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों को महिलाओं की सुरक्षा पर बीपीआरएंडडी की हैंडबुक को व्यापक रूप से प्रसारित करना चाहिए. पुलिस के प्रथम जांचकर्ताओं के लिए हैंडबुक को, सभी कर्मियों के लिए प्रदान की जानी चाहिए और इसे उनके ट्रेनिंग मॉड्यूल में भी शामिल किया जाना चाहिए.

गृह मंत्रालय ने दिल्ली पुलिस से गलियों में होने वाले अपराधों की रोकथाम के लिए क्राइम मैपिंग और हॉटस्पॉट्स की पहचान के जरिए क्राइम एनालिटिक्स का इस्तेमाल करने को कहा है.

यह भी पढ़ें- हिरासत में मौत मामले में दोषी क्यों नहीं पाए जाते हैं पुलिसकर्मी ?

मंत्रालय ने कहा, 'संसदीय स्थायी समिति ने सिफारिश की है कि अन्य महानगरों में भी इसी तरह के प्रयास किए जा सकते हैं. ऐसा करने में, अपराध एवं अपराधी ट्रैकिंग नेटवर्क (सीसीटीएनएस) पर तैनात क्राइम मैपिंग एनालिटिक्स एंड प्रोडक्टिव सिस्टम (सीएमएपी) और कॉग्नोस बीआई टूल का उपयोग किया जा सकता है. इन्हें राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो द्वारा राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को उपलब्ध कराया गया है.'

साथ ही गृह मंत्रालय ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से जमीनी स्तर पर सिफारिशों के कार्यान्वयन की निरंतर निगरानी करने को कहा है.

नई दिल्ली : केंद्रीय गृह मंत्रालय (MHA) ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से महिलाओं के खिलाफ अपराधों के मामलों से निपटने की क्षमता को मजबूत करने को कहा है. राज्यों के अतिरिक्त मुख्य सचिवों, प्रमुख सचिवों (गृह), गृह सचिवों और डीजीपी को जारी एक सर्कुलर में, गृह मंत्रालय ने संसदीय स्थायी समिति द्वारा जारी विभिन्न सिफारिशों का भी उल्लेख किया.

सोमवार को जारी किए गए सर्कुलर में महिलाओं के खिलाफ अपराधों से निपटने के लिए तंत्र को मजबूत करने के लिए गृह मंत्रालय द्वारा जारी पिछली सलाह का भी उल्लेख है, विशेष रूप से दायर और निपटाई गईं कुल जीरो एफआईआर के विवरण सहित एफआईआर के पंजीकरण संबंधी मानक संचालन प्रक्रिया तथा महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधो से निपटने के लिए बीपीआरएंडडी (Bureau of Police Research and Development) द्वारा जारी की गई मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) को प्रयोग करते हुए पुलिसकर्मियों को प्रशिक्षण प्रदान करना शामिल है.

सर्कुलर में संसदीय स्थायी समिति की सिफारिशों का हवाला देते हुए आगे कहा गया है कि एफआईआर के पंजीकरण संबंधी एसओपी में शिकायतकर्ता द्वारा पुलिस को अपराध की सूचना दिए जाने में हुई देरी के कारण को भी दर्ज किए जाने संबंधी पुलिस के लिए दिशानिर्देशों को भी शामिल किया जाए.

सर्कुलर में कहा गया है, 'राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों को महिलाओं की सुरक्षा पर बीपीआरएंडडी की हैंडबुक को व्यापक रूप से प्रसारित करना चाहिए. पुलिस के प्रथम जांचकर्ताओं के लिए हैंडबुक को, सभी कर्मियों के लिए प्रदान की जानी चाहिए और इसे उनके ट्रेनिंग मॉड्यूल में भी शामिल किया जाना चाहिए.

गृह मंत्रालय ने दिल्ली पुलिस से गलियों में होने वाले अपराधों की रोकथाम के लिए क्राइम मैपिंग और हॉटस्पॉट्स की पहचान के जरिए क्राइम एनालिटिक्स का इस्तेमाल करने को कहा है.

यह भी पढ़ें- हिरासत में मौत मामले में दोषी क्यों नहीं पाए जाते हैं पुलिसकर्मी ?

मंत्रालय ने कहा, 'संसदीय स्थायी समिति ने सिफारिश की है कि अन्य महानगरों में भी इसी तरह के प्रयास किए जा सकते हैं. ऐसा करने में, अपराध एवं अपराधी ट्रैकिंग नेटवर्क (सीसीटीएनएस) पर तैनात क्राइम मैपिंग एनालिटिक्स एंड प्रोडक्टिव सिस्टम (सीएमएपी) और कॉग्नोस बीआई टूल का उपयोग किया जा सकता है. इन्हें राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो द्वारा राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को उपलब्ध कराया गया है.'

साथ ही गृह मंत्रालय ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से जमीनी स्तर पर सिफारिशों के कार्यान्वयन की निरंतर निगरानी करने को कहा है.

Last Updated : Nov 16, 2021, 10:24 PM IST
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