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उत्तरकाशी टनल रेस्क्यू ऑपरेशन: रोबोटिक सिस्टम की मदद से जानेंगे मजदूरों की मानसिक स्थिति, एक्सपर्ट सिलक्यारा पहुंचे

Uttarkashi Tunnel Rescue Operation उत्तरकाशी टनल में फंसे मजदूरों का जैसे-जैसे समय बितता जा रहा है कि उनके स्वास्थ्य को लेकर सरकार और प्रशासन की चिंता बढ़ती जा रही है. यही कारण है कि मजदूरों को बचाने के लिए हरसंभव टेक्नोलॉजी की इस्तेमाल किया जा रहा है. वहीं, अब मजदूरों की मानसिक स्थिति जानने के लिए रोबोटिक सिस्मट का साहरा लिया जा रहा है, जिसके एक्सपर्ट सिलक्यारा पहुंचे चुके हैं.

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 27, 2023, 4:06 PM IST

उत्तरकाशी (उत्तराखंड): उत्तरकाशी टनल में फंसे 41 मजदूरों को आज (27 नवंबर) को 16 दिन हो चुके हैं, लेकिन अभी तक उनका रेस्क्यू नहीं किया जा सका है. केंद्र और राज्य सरकार की तमाम एजेंसियां इस रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटी हुई हैं. मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए विदेशी एक्सपर्ट की मदद भी ली रही है, बावजूद इसके टीम के हाथ कोई बड़ी सफलता नहीं लगी है. वहीं, सबसे बड़ी चिंता मजदूरों की मानसिक स्थिति को लेकर हो रही है. इसलिए अंदर फंसे मजदूरों की मानसिक स्थिति जानने के लिए रोबोटिक सिस्टम का सहारा लिया जा रहा है.

  • #WATCH | Uttarkashi (Uttarakhand) tunnel rescue | Robotics expert Milind Raj says, "I am here for the mental well-being of the 41 workers stuck in the Silkyara tunnel. This is a homegrown indigenous technology...We have systems to monitor the health of workers round the clock.… pic.twitter.com/gaWtUWNzxL

    — ANI (@ANI) November 27, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

लखनऊ से उत्तरकाशी पहुंचे रोबोटिक्स एक्सपर्ट मिलिंद राज ने रेस्क्यू रोबिटक सिस्टम की जानकारी दी. उन्होंने बताया कि उन्हें टनल में अंदर फंसे 41 मजदूरों की मानसिक स्थिति जानने के लिए यहां बुलाया गया है. वो एक घरेलू स्वदेशी तकनीक (homegrown indigenous technology) से चौबीस घंटे श्रमिकों के स्वास्थ्य की निगरानी कर सकते हैं. मजदूरों की इंटरनेट सेवा भी प्रदान की जाएगी. इसके अलावा बचाव रोबोटिक प्रणाली (rescue robotic system) टनल के अंदर मीथेन जैसी खतरनाक गैसों का पता लगाने में मदद करेगी.
पढ़ें- उत्तरकाशी टनल हादसा: ऑगर मशीन का टूटा हिस्सा निकला, रैट माइनिंग विधि से भारतीय सेना करेगी मैन्युअल ड्रिलिंग

मैन्युअल ड्रिलिंग के जरिए ब्रेक थ्रू की उम्मीद: वहीं, ऑगर मशीन के टूटने के बाद अब मैन्युअल ड्रिलिंग के जरिए मलबे को ब्रेक थ्रू करने का प्रयास किया जा रहा है. इस बारे में ज्यादा जानकारी देते हुए इंटरनेशनल टनलिंग एक्सपर्ट अर्नोल्ड डिक्स ने कहा कि उनका काम प्रगति पर है. जल्द ही मैन्युअल ड्रिलिंग का काम शुरू कर दिया जाएगा, जो काफी सुरक्षित है. उन्हें पूरी उम्मीद है कि जल्द ही वो अंदर फंसे मजदूरों को बाहर निकाल लेंगे.
पढ़ें- रेस्क्यू कार्य का जायजा लेने पहुंचे PM मोदी के प्रधान सचिव, केंद्रीय गृह सचिव और CS संधू, केंद्रीय मंत्री VK सिंह ने मंदिर में की पूजा

बता दें कि, 41 मजदूरों को उत्तरकाशी टनल में फंसे 16 दिन हो चुके हैं, लेकिन अभीतक उन्हें बाहर निकालने से सारे प्रयास असफल ही हुए हैं. गौरतलब हो कि उत्तरकाशी जिले के सिलक्यारा में साढ़े चार किमी लंबी निर्माणीधीन टनल में मुहाने से करीब 200 मीटर अंदर 12 नवंबर की सुबह दीपावली के दिन मलबा गिर गया था. इस दौरान वहां नाइट शिफ्ट में काम कर रहे 41 मजदूर फंस गए थे, जिन्हें निकालने का पिछले 16 से प्रयास किया जा रहा है, लेकिन अभीतक कोई कामयाबी नहीं मिल पाई है.

उत्तरकाशी (उत्तराखंड): उत्तरकाशी टनल में फंसे 41 मजदूरों को आज (27 नवंबर) को 16 दिन हो चुके हैं, लेकिन अभी तक उनका रेस्क्यू नहीं किया जा सका है. केंद्र और राज्य सरकार की तमाम एजेंसियां इस रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटी हुई हैं. मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए विदेशी एक्सपर्ट की मदद भी ली रही है, बावजूद इसके टीम के हाथ कोई बड़ी सफलता नहीं लगी है. वहीं, सबसे बड़ी चिंता मजदूरों की मानसिक स्थिति को लेकर हो रही है. इसलिए अंदर फंसे मजदूरों की मानसिक स्थिति जानने के लिए रोबोटिक सिस्टम का सहारा लिया जा रहा है.

  • #WATCH | Uttarkashi (Uttarakhand) tunnel rescue | Robotics expert Milind Raj says, "I am here for the mental well-being of the 41 workers stuck in the Silkyara tunnel. This is a homegrown indigenous technology...We have systems to monitor the health of workers round the clock.… pic.twitter.com/gaWtUWNzxL

    — ANI (@ANI) November 27, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

लखनऊ से उत्तरकाशी पहुंचे रोबोटिक्स एक्सपर्ट मिलिंद राज ने रेस्क्यू रोबिटक सिस्टम की जानकारी दी. उन्होंने बताया कि उन्हें टनल में अंदर फंसे 41 मजदूरों की मानसिक स्थिति जानने के लिए यहां बुलाया गया है. वो एक घरेलू स्वदेशी तकनीक (homegrown indigenous technology) से चौबीस घंटे श्रमिकों के स्वास्थ्य की निगरानी कर सकते हैं. मजदूरों की इंटरनेट सेवा भी प्रदान की जाएगी. इसके अलावा बचाव रोबोटिक प्रणाली (rescue robotic system) टनल के अंदर मीथेन जैसी खतरनाक गैसों का पता लगाने में मदद करेगी.
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मैन्युअल ड्रिलिंग के जरिए ब्रेक थ्रू की उम्मीद: वहीं, ऑगर मशीन के टूटने के बाद अब मैन्युअल ड्रिलिंग के जरिए मलबे को ब्रेक थ्रू करने का प्रयास किया जा रहा है. इस बारे में ज्यादा जानकारी देते हुए इंटरनेशनल टनलिंग एक्सपर्ट अर्नोल्ड डिक्स ने कहा कि उनका काम प्रगति पर है. जल्द ही मैन्युअल ड्रिलिंग का काम शुरू कर दिया जाएगा, जो काफी सुरक्षित है. उन्हें पूरी उम्मीद है कि जल्द ही वो अंदर फंसे मजदूरों को बाहर निकाल लेंगे.
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बता दें कि, 41 मजदूरों को उत्तरकाशी टनल में फंसे 16 दिन हो चुके हैं, लेकिन अभीतक उन्हें बाहर निकालने से सारे प्रयास असफल ही हुए हैं. गौरतलब हो कि उत्तरकाशी जिले के सिलक्यारा में साढ़े चार किमी लंबी निर्माणीधीन टनल में मुहाने से करीब 200 मीटर अंदर 12 नवंबर की सुबह दीपावली के दिन मलबा गिर गया था. इस दौरान वहां नाइट शिफ्ट में काम कर रहे 41 मजदूर फंस गए थे, जिन्हें निकालने का पिछले 16 से प्रयास किया जा रहा है, लेकिन अभीतक कोई कामयाबी नहीं मिल पाई है.

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