श्रीनगर : जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने मंगलवार को श्रीनगर प्रशासन के जामिया मस्जिद में शब ए बारात की नमाज की अनुमति नहीं देने के आदेश को 'मौलिक अधिकारों का खुला उल्लंघन' करार दिया.
महबूबा ने ट्वीट किया कि 'शब-ए-बारात के शुभ अवसर पर जामा मस्जिद को बंद करना भारतीय संविधान द्वारा गारंटीकृत मौलिक अधिकारों और धार्मिक स्वतंत्रता का खुला उल्लंघन है.'
उन्होंने कहा कि 'अल्लाह तआला हमें इस मुश्किल वक्त से निकलने की ताकत दे.' हालांकि श्रीनगर प्रशासन ने दावा किया कि जामिया मस्जिद में नमाज को लेकर कोई आदेश जारी नहीं किया गया है.
इससे पहले दिन में अंजुमन औकाफ जामिया मस्जिद ने एक बयान जारी किया था जिसमें दावा किया गया था कि 'संबंधित पुलिस और प्रशासन के अधिकारी जामिया मस्जिद नौहट्टा आए और शाम 5.30 बजे अंजुमन को सूचित करते हुए मस्जिद के गेट बंद कर दिए. उनका कहना था कि डीसी श्रीनगर के आदेश के अनुसार शब-ए-बारात की नमाज की मस्जिद में इजाजत नहीं है.
अंजुमन ने कहा कि वह 'अधिकारियों की मनमानी का कड़ा विरोध करती है और इसे घोर हस्तक्षेप और हमारे धार्मिक अधिकारों का उल्लंघन बताती है.' अंजुमन ने मुख्य मौलवी मीरवाइज उमर फारूक की रिहाई की भी मांग की थी, जो 5 अगस्त, 2019 से नजरबंद हैं. इससे पहले 4 मार्च को जारी बयान में अंजुमन ने कहा था कि शब-ए-बारात जैसे महत्वपूर्ण आयोजन नहीं हो रहे हैं, इसलिए वह नाराजगी जताते हैं.अंजुमन प्रमुख मीरवाइज-ए-कश्मीर डॉ. मौलवी मुहम्मद उमर फारूक 5 अगस्त 2019 से अपने घर में ही नजरबंद हैं. अंजुमन उनकी रिहाई की मांग कर रही है.