गोरखपुर: मणिपुर पिछले दो माह से आगजनी, मारपीट, बलात्कार जैसी तमाम घटनाओं से जल रहा है. सड़क से लेकर संसद तक, आम नागरिक हो या चुने हुए जनप्रतिनिधि अपनी आवाज बुलंद कर रहे हैं. लेकिन, इसके कारण का पता नहीं चल रहा. देश की जानी मानी सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर ने मणिपुर की घटना के पीछे की मुख्य वजह को गोरखपुर में मीडिया से बातचीत में शुक्रवार को उजागर किया.
मेधा पाटेकर ने कहा कि 'मणिपुर की पहाड़ियों में जो खनिज संपदा समाहित है उसको अडानी समूह को देने के लिए इस घटना की पृष्ठभूमि तैयार की गई है. मणिपुर जल रहा है. महिलाओं के साथ जो नृशंष अपराध हुए हैं उसे महिलाएं तो क्या, कोई पुरुष और युवक भी बर्दाश्त करने की स्थिति में नहीं है. फिर भी प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरेन सिंह और देश के प्रधानमंत्री चुप्पी साधे हुए हैं. किसी तरह का कोई एक्शन न होना और सरकारी खजाने से ही हथियारों और कारतूस का गायब होकर मणिपुर की घटना को अंजाम देने में प्रयोग किया जाना शासन की शिथिलता को दर्शाता है'.
मणिपुर में राजनीतिक साजिशः मेधा पाटकर ने कहा कि 'मणिपुर में यह हिंसा कुकी और मैती दो आदिवासी समुदायों के बीच भले ही हो रही है लेकिन, इसके पीछे राजनीतिक साजिश काम कर रही है. वहां के नियम के मुताबिक कुकी आदिवासी समाज के पास जो जमीन है, उसे कोई आदिवासी ही खरीद सकता है, बाहरी व्यक्ति नहीं. ऐसे में उनकी जमीनों को मैती समाज को बेचने और कब्जा दिलाने का प्रयास किया जा रहा है. जिससे यह विरोध की ज्वाला उठी है. कुछ शोध रिपोर्ट बताते हैं कि जब यह जमीन मैती समाज के पास आ जाएगी तो उसे बड़ी आसानी से मुख्यमंत्री को भरोसे में लेकर केंद्र की मोदी सरकार अडानी समूह को खदान की खुदाई करने के लिए आवंटित कर देगी. देश में सिर्फ इसी तरह की साजिश से बवाल नहीं मच रहा. धार्मिक भावनाएं भड़का कर भी माहौल को बिगड़ने की कोशिश की जा रही है.
यूपी में बुलडोजर बना न्यायपालिकाः मेधा पाटकर ने यूपी सरकार हमला बोलते हुए कहा कि 'यहां का बुलडोजर न्यायपालिका बन गया है. चाहे मुस्लिम समाज की जमीन हो या फिर वक्फ आदि की, बुलडोजर सीधे कार्रवाई करता है. उन्होंने कहा कि गांधी, अब्दुल कलाम आजाद, लाल बहादुर शास्त्री जैसे महान लोगों की जो विरासत रही है उन जमीनों को भी, हेरफेर करके सरकार में बैठे हुए कुछ लोग उसपर अपना कब्जा जमा लिए हैं'.
जनतंत्र को बचाने की लड़ाई लड़नी होगी: मेधा पाटकर ने कहा कि आज देश बहुत बड़ी चुनौती का सामना कर रहा है. आजादी के आंदोलन और संविधान निर्माण की प्रक्रिया से प्राप्त समानता, न्याय, समाजवाद के मूल्य पर चोट पहुंचाई जा रही है. गैरबराबरी आज सबसे वीभत्स रूप से हमारे सामने है. कानून में संशोधन कर और कानून को बदल कर किसानों, मजदूरों, आदिवासियों, के हक छीने जा रहे है. आंदोलनों की आवाज को कुचलने के लिए जनता को बांटने व लड़ाने का प्रयास हो रहा है. ऐसे समय में जनआंदोलनों की राजनीति बहुत महत्वपूर्ण हो जाती है. हमे एक होकर संगठित शक्ति में बदलना होगा. देश, संविधान, जनतंत्र को बचाने की लड़ाई लड़नी होगी.
देश की संपदा पूंजीपतियों को बेची जा रहीः मेधा पाटकर ने कहा कि आज हम एकदम विपरीत प्रक्रिया के अनुभव से गुजर रहे हैं. आवास का अधिकार, जीने का अधिकार, रोजगार का अधिकार, बोलने के अधिकार पर हमला हो रहा है. ऐसी अर्थव्यवस्था निर्मित की जा रही है जिसका रोजगार से कोई रिश्ता नहीं है. लाखों सरकारी पद खाली हैं. देश की संपदा पूंजीपतियों को बेची जा रही है. अर्थव्यवस्था पूंजीपतियों को और अमीर और देश की बहुसंख्यक जनता को गरीब बनाने की दिशा में चल रही हैं. अडानी की संपत्ति हर रोज 1600 करोड़ बढ़ रही है जबकि 80 करोड़ जनता को पांच किलो राशन पर संतुष्ट रहने को कहा जा रहा है. लाॅकडाउन में अमीरों की सम्पत्ति छह गुना बढ़ गयी है. पूंजीपतियों का 44 लाख करोड़ का कर्ज बट्टे खाते में डाल दिया गया. उन्होंने कहा कि गठबंधन विचारधारा के आधार पर होना चाहिए. देश में चल रहे विभिन्न आंदोलनों को एक साथ आना चाहिए. सोशल मीडिया के जरिए सत्ता और बाजार द्वारा फैलाए जा रहे झूठ का खंडन करने के लिए भी हमें सचेत कोशिश करनी चाहिए.
यह भी पढ़े-UP Assembly : सीएम योगी ने कहा- सपा ने अपने कार्यकाल में नहीं रखा गरीबों पिछड़ों और किसानों का ध्यान