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सरकार के पास विजाग स्टील प्लांट के निजीकरण का अधिकार नहीं : पाटकर - medha-patkar-supports-visakhapatnam-steel-plant workers strike

सामाजिक कार्यकर्ता और नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर ने स्टील कान्सर्वेशन काम्बैट कमेटी के तहत विशाखापत्तनम स्टील प्लांट के निजीकरण के विरोध में चल रहे विरोध प्रदर्शन के लिए समर्थन व्यक्त किया है.

मेधा पाटक
मेधा पाटक
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Published : Oct 30, 2021, 3:48 PM IST

विशापत्तनम : केंद्र सरकार के निजीकरण के फैसले के विरोध में विशापत्तनम स्टील प्लांट से संबद्ध मजदूर संघों का विरोध जारी है. इसी बीच सामाजिक कार्यकर्ता और नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर ने भी सरकार के निजीकरण के फैसले का विरोध जताया है.

इस दौरान मेधा पाटकर ने कहा कि लोगों ने जो बनाया है, उसे बेचने का अधिकार किसी सरकार के पास नहीं है. सरकार इसे निजी व्यक्तियों के हाथों में नहीं सौंप सकती है.

वहीं IFTU के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अपर्णा ने सवाल किया कि अगर सार्वजनिक क्षेत्र का निजीकरण किया गया तो देश का विकास कैसे होगा.

यह भी पढ़ें- विशाखापट्टनम स्टील प्लांट के निजीकरण को स्वीकार नहीं करेगी तेलुगु भूमि

बता दें कि विशाखापट्टनम स्टील प्लांट सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों के बीच नवरत्न कंपनियों में से एक है. 2002 और 2015 के बीच संयंत्र ने राज्य और केंद्र सरकार दोनों को अलग-अलग तरीकों से 42,000 करोड़ रुपये की आय अर्जित करने में मदद की है.

विशापत्तनम : केंद्र सरकार के निजीकरण के फैसले के विरोध में विशापत्तनम स्टील प्लांट से संबद्ध मजदूर संघों का विरोध जारी है. इसी बीच सामाजिक कार्यकर्ता और नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर ने भी सरकार के निजीकरण के फैसले का विरोध जताया है.

इस दौरान मेधा पाटकर ने कहा कि लोगों ने जो बनाया है, उसे बेचने का अधिकार किसी सरकार के पास नहीं है. सरकार इसे निजी व्यक्तियों के हाथों में नहीं सौंप सकती है.

वहीं IFTU के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अपर्णा ने सवाल किया कि अगर सार्वजनिक क्षेत्र का निजीकरण किया गया तो देश का विकास कैसे होगा.

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बता दें कि विशाखापट्टनम स्टील प्लांट सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों के बीच नवरत्न कंपनियों में से एक है. 2002 और 2015 के बीच संयंत्र ने राज्य और केंद्र सरकार दोनों को अलग-अलग तरीकों से 42,000 करोड़ रुपये की आय अर्जित करने में मदद की है.

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