पोर्ट लुइस/ नई दिल्ली : मॉरीशस में अडाणी समूह की फर्जी कंपनियों के मौजूद होने का आरोप लगाने वाली हिंडनबर्ग रिपोर्ट को मॉरीशस के वित्तीय सेवा मंत्री ने संसद में ‘झूठा और आधारहीन’ बताते हुए कहा है कि उनका देश ओईसीडी के निर्धारित कर नियमों का पालन करता है. अमेरिकी निवेश शोध फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च ने गत 24 जनवरी को जारी अपनी रिपोर्ट में कहा था कि अरबपति गौतम अडाणी ने अपनी सूचीबद्ध कंपनियों के शेयरों के भाव में हेराफेरी करने के लिए मॉरीशस में बनाई गई फर्जी कंपनियों का इस्तेमाल किया है. मॉरीशस अपने निम्न कर ढांचे की वजह से विदेशी निवेशकों के बीच एक लोकप्रिय स्थान बना हुआ है. ‘शेल’ यानी फर्जी कंपनी उस निष्क्रिय फर्म को कहा जाता है जिसका इस्तेमाल कर कई तरह की वित्तीय धांधलियों को अंजाम दिया जाता है.
हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में लगाए गए इस आरोप के बारे में मॉरीशस के एक संसद सदस्य ने सरकार से सवाल पूछा था. उसके जवाब में वित्तीय सेवा मंत्री महेन कुमार सीरुत्तन ने कहा कि मॉरीशस का कानून फर्जी कंपनियों की मौजूदगी की इजाजत नहीं देता है. सीरुत्तुन ने कहा, "मैं सदन को सूचित करना चाहता हूं कि मॉरीशस में शेल कंपनियों की मौजूदगी के आरोप झूठे और निराधार हैं. कानून के अनुसार मॉरीशस में शेल कंपनियों की अनुमति नहीं है." उन्होंने कहा कि वित्तीय सेवा आयोग (एफएससी) से लाइसेंस लेने वाली सभी वैश्विक व्यापार कंपनियों को सतत आधार पर जरूरी शर्तों पर खरा उतरना होता है और आयोग इसपर कड़ी निगाह रखता है. उन्होंने कहा, "अब तक ऐसा कोई भी उल्लंघन नहीं पाया गया है."
मॉरीशस के वित्तीय सेवा मंत्री ने कहा कि एफएससी ने हिंडनबर्ग रिपोर्ट पर गौर किया है लेकिन कानून की गोपनीयता धारा से बंधे होने से इसके विवरण का खुलासा नहीं किया जा सकता है. उन्होंने कहा, "वित्तीय सेवा आयोग न तो इनकार और न ही पुष्टि कर सकता है कि जांच की गई है या की जा रही है. वैश्विक व्यापार कंपनियों के बारे में जानकारी देना वित्तीय सेवा अधिनियम की धारा 83 का उल्लंघन होगा और इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है." इसके पहले एफएससी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी धनेश्वरनाथ विकास ठाकुर ने कहा था कि मॉरीशस में अडाणी समूह से संबंधित सभी इकाइयों के प्रारंभिक मूल्यांकन में नियमों के अनुपालन में कोई खामी नहीं पाई गई है.
हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में लगाए गए आरोप के बाद अडाणी समूह से जुड़ी कथित फर्जी कंपनियों का मामला चर्चा में है. भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) अडाणी समूह और मॉरीशस की दो फर्मों- ग्रेट इंटरनेशनल टस्कर फंड एवं आयुष्मान लिमिटेड के बीच संबंधों का आकलन कर रहा है. इन फर्मों ने अडाणी एंटरप्राइजेज की तरफ से जनवरी के अंत में लाए गए एफपीओ में प्रमुख निवेशकों के तौर पर शिरकत की थी. उच्चतम न्यायालय में भी हिंडनबर्ग-अडाणी का मामला सुनवाई के लिए आने वाला है. इस मामले में विनियामक मुद्दों को देखने के लिए न्यायालय ने एक विशेषज्ञ समिति बनाई थी. लेकिन सेबी ने न्यायालय से इस समिति का कार्यकाल छह महीने बढ़ाने की अपील की है जिस पर विचार किया जाना है.
अडाणी समूह के खिलाफ धोखाधड़ी और शेयर की कीमत में हेराफेरी के आरोप लगाए जाने के बाद समूह की कंपनियों के बाजार पूंजीकरण में एक समय 140 अरब डॉलर तक की भारी गिरावट आ गई थी. हालांकि, अडाणी समूह ने शुरू से ही इन सभी आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा है कि हिंडनबर्ग के आरोप झूठे और गलत मंशा से लगाए गए हैं.
(पीटीआई-भाषा)